मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर केंद्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की। मुख्यमंत्री ने सोमवार को कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कोई राजनीतिक मुद्ा या व्यक्तिगत विचार नहीं‚ बल्कि यह जनहित और राज्यहित में है‚ इसलिए केंद्र सरकार को बिहार समेत अन्य पिछड़े राज्यों को भी विकसित राज्यों के समकक्ष लाने के लिए इसपर गौर करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने सोमवार को शुरू ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि वर्ष २००५ में सत्ता में आने के बाद मेरी सरकार ने सीमित उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए राज्य के विकास के लिए सर्वोत्तम प्रयास किया है‚ बावजूद इसके बिहार विकास के विभिन्न मापदंडों पर अब भी राष्ट्रीय औसत से बहुत पीछे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग लंबे समय से की जा रही है। इसके लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने कई कार्यक्रम‚ बैठकें और अभियान चलाया। तब केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस मुद्े पर अध्ययन के लिए एक समिति गठित की थी और उस समिति ने भी अपनी कुछ बात कही थी‚ लेकिन इसके बावजूद केंद्र की तत्कालीन सरकार ने राज्य को विशेष दर्जा नहीं दिया। सीएम ने कहा कि नीति आयोग की हाल की रिपोर्ट में भी बिहार को सबसे पिछड़ा बताया गया है। इसके बाद नीति आयोग को राज्य सरकार की ओर से पत्र भेजा गया और बताया गया है कि अपने सीमित संसाधनों के जरिये राज्य के विकास के लिए सरकार ने क्या–क्या कार्य किया है। बावजूद इसके राज्य की ऐसी स्थिति है‚ तो इस पर गौर नीति आयोग को ही करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कौन क्या बोलता है‚ मैं इसकी चिंता नहीं करता। मैं अपने कर्तव्य का पालन कर रहा हूं। बिहार के लोगों की सेवा करना ही मेरा धर्म है। उन्होंने कहा कि बिहार के लिए मुझे जबसे काम करने का मौका मिला‚ तब से ही मैं राज्य के विकास के लिए काम कर रहा हूं। वर्ष २००५ का बिहार आज कहां पहुंच गया है‚ यह सभी लोग देख रहे हैं। राज्य की विकास दर में वृद्धि हुई है और प्रति व्यक्ति आय भी बढी है। राज्य में प्रति व्यक्ति आय ८ हजार के करीब थी‚ जो अब बढकर ५० हजार पर पहुंच गयी लेकिन देश की औसत प्रति व्यक्ति आय सवा लाख से भी ऊपर है‚ उससे हमलोग नीचे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आबादी ज्यादा और क्षेत्रफल कम होना बिहार के पिछड़ेपन का प्रमुख कारण है। एक वर्ग किलोमीटर में जितनी आबादी बिहार में है‚ उतनी देश में क्या पूरी दुनिया में कहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में राज्य सरकार चाहे जितना भी काम कर ले‚ बिहार राष्ट्रीय औसत से नीचे ही रहेगा। ऐसी स्थिति में राज्य को यदि विशेष दर्जा मिलता है‚ तो इसका फायदा होगा। विशेष राज्य का दर्जा मिलने से केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी ९०:१० होगी। अभी ६०:४० तो कहीं–कहीं ५०:५० है। ९०:१० रहेगा तो राज्य का पैसा जो बचेगा‚ वह विकास के और कामों में लगेगा। कुल मिलाकर आज जो स्थिति है उससे बहुत तेजी से राज्य आगे बढेगा। उन्होंने कहा कि मेरी सरकार में विकास का काम तो हो ही रहा है और बिहार आगे भी बढ रहा है‚ लेकिन जो न्यूनतम आधार है‚ उसमें तो कोई लाख काम भी कर ले‚ बहुत कुछ नहीं होगा‚ लेकिन यदि विशेष राज्य का दर्जा मिलता है‚ तो बिहार बहुत आगे बढ जायेगा। उन्होंने कहा‚केंद्र सरकार को इस पर जरूर गौर करना चाहिए। सिर्फ हम ही पर नहीं‚ बल्कि हम जैसे अन्य पिछड़े राज्यों को भी विशेष दर्जा दिया जाना चाहिए। वैसे करना ना करना केंद्र का काम है‚ हम लोग अपना काम करते रहेंगे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मानना है कि जातीय गणना होने से किसी भी जाति की उपेक्षा नहीं होगी। ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम के बाद सीएम नीतीश कुमार ने कहा जातीय जनगणना के मुद्े पर हमलोगों की आपस में बातचीत तो हुई ही है। हमलोग ऑल पार्टी मीटिंग करेंगे। इसके लिए हमलोग मन बनाकर बैठे हुए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने भी कहा है कि यदि कोई राज्य जातीय जनगणना करना चाहे‚ तो कर सकता है। जातीय जनगणना होने से सबको जानकारी हो जायेगी कि किस जाति की कितनी आबादी है। हमलोगों को सुधार के लिए क्या करना पडेगा। लोगों के विकास के लिए और उनके उत्थान के लिए क्या करना पडेगा‚ जो राज्य के हित में होगा किया जायेगा। इससे किसी भी जाति की उपेक्षा नहीं होगी। हिजाब को लेकर बवाल बेकार की बात
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिजाब को लेकर मचे बवाल को बेकार की बात करार दिया। उन्होंने कहा कि इस मसले पर बोलने का कोई औचित्य ही नहीं है। इस मामले को लेकर लोग कोर्ट गये हैं। यहां के स्कूलों में सभी स्कूली बच्चे एक ही तरह के ड्रेस पहनते हैं। उन्होंने कहा कि देश–दुनिया में कोई बात होती है‚ वह एक अलग बात है। बिहार में ऐसी कोई बात नहीं है। हमलोग तो काम करने में लगे हुए हैं। सबके लिए हमलोग काम करते हैं और सबकी इज्जत करते हैं। कुछ लोगों का अपना–अपना तरीका है‚ तो हमलोग उसमे इंटरफेयर नहीं करते हैं। मूर्ति लगाना या अपने–अपने ढंग से पूजा करना‚ यह सबकी अपनी–अपनी मान्यता है। हमलोगों के हिसाब से इस पर बहस करने की कोई जरूरत नहीं है।