प्रदेश के रैयतों को डिजिटाइज्ड अधिकार अभिलेख देने की तारीख तय हो गयी है। अगले माह की पहली तारीख से सभी 534 अंचलों से आमलोगों को डिजिटाइज्ड जमाबंदी की डिजिटली साइंड प्रति मिलने लगेगी। इस संबंध में तैयारियों को विभाग अंतिम रूप देने में लगा है। 3 फरवरी को अपने कार्यालय कक्ष में आयोजित समीक्षा बैठक में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री राम सूरत कुमार ने डिजिटाइज्ड अधिकार अभिलेख की सेवा शुरू नहीं होने पर नाराजगी जताई थी और जल्द ही पूरे प्रदेश के रैयतों को यह सेवा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।
पूर्व में भी डिजिटाइज्ड जमाबंदी आमलोगों को उपलब्ध कराने के प्रयास हुए हैं किन्तु तैयारी पूरी नहीं होने की वजह से यह सेवा शुरू नहीं की जा सकी है। गौरतलब है कि प्रदेश में कुल ३.७७ करोड जमाबंदियां हैं जिन्हें विशेष अभियान चलाकर डिजिटाइज्ड और ऑनलाइन कराया जा चुका है। इसके आधार पर ही पूरे बिहार में अक्टूबर‚ २०१८ से ऑनलाइन म्युटेशन शुरू किया गया था। किन्तु इस दौरान कई तरह की अशुद्धियां रह गईं जिन्हें शुद्ध किए बगैर को इस पर आधारित सेवा को शुरू करना संभव नहीं था। जमाबंदी के डिजिटाइजेशन की अशुद्धि को ठीक करने के लिए ‘परिमार्जन’ नाम का पोर्टल भी शुरू किया गया। किन्तु जिन रैयतों ने अपने स्तर से आवेदन नहीं दिया है उनकी प्रविष्टि को ठीक करना संभव नहीं था। इस हेतु अभियान चलाकर प्रविष्टियों को दुरुस्त करने की कई बार कोशिश की गई और इसके लिए राजस्व विभाग द्वारा बिहार के जिला पदाधिकारियों को कई बार पत्र लिखा गया। जमाबंदी पंजियों में कई प्रकार की इंट्री होती है जिनमें गलती होने पर अधिकार अभिलेख गलत हो जाता है। गलतियों में कुछ इस प्रकार हैं– जमाबंदी पंजी में लगान का विवरण दर्ज नहीं होना‚ पंजी में खाता–खेसरा और रकबा अंकित नहीं होना‚ नाम‚ पिता का नाम और पता गलत दर्ज होना आदि। ऐसे में लोगों द्वारा जमाबंदी पंजी की कॉपी मांगने पर गलत प्रति देने की आशंका थी। राजस्व अभिलेखों के आधुनिकीकरण और डिजिटाइजेशन करने की मुहिम के तहत डाटा इंट्री ऑपरेटरों द्वारा कई तरह की गलतियां अपने स्तर से भी कर दी गई थीं। सरकार के निर्णय के मुताबिक डिजिटल जमाबंदी को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी अंचलों के राजस्व अधिकारी अंचल निरीक्षक की होगी। जो भी दस्तावेज दिया जाएगा उस पर कर्मचारी‚ राजस्व अधिकारी और अंचल अधिकारी का दस्तखत होगा। जमाबंदी पंजी की हार्ड कॉपी आधुनिक अभिलेखागारों में रखी जाएगी। इससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि जमाबंदी पंजी में अगर कोई सुधार किया गया तो किस तारीख को और किसके हस्ताक्षर से किया गया है।