यूक्रेन पर रूसी सेना ने हमला किया तो जर्मनी और रूस की अरबों डॉलर की नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन हमेशा के लिए बंद हो जाएगी. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जर्मन चांसलर से मुलाकात के दौरान ये चेतावनी दी है.जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की सोमवार को वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से पहली बार मुलाकात हुई. सामान्य माहौल में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका और यूरोप की सबसे बड़ी इकोनॉमी जर्मनी के बीच बातचीत कारोबार पर ही केंद्रित हुआ करती थी, लेकिन इस बार यूक्रेन संकट ने बाकी मुद्दों को हाशिए पर धकेल दिया. अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूस के साथ अपने साझेदार जर्मनी को भी कड़ा संदेश दिया. बाइडेन ने कहा कि अगर रूस यूक्रेन में दाखिल होगा तो ये रूस और जर्मनी को जोड़ने वाली अहम नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन का अंत होगा. बाइडेन ने कहा, “कोई नॉर्ड स्ट्रीम 2 नहीं होगी. हम इसका अंत कर देंगे. मैं आपसे वादा करता हूं कि हम ऐसा कर सकते हैं” इस कड़े संदेश के साथ ही बाइडेन ने जर्मनी को अमेरिका का सबसे करीबी साझेदार भी बताया. व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत मे जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स पाइपलाइन से जुड़े सवालों का टाल गए.
शॉल्त्स ने कहा, “हम सारे जरूरी कदम उठाएंगे. आप भरोसा कर सकते हैं कि ऐसे कदम नहीं उठाए जाएंगे, जिन्हें लेकर हमारा नजरिया अलग हो. हम एक साथ मिलकर संयुक्त कदम उठाएंगे” जर्मनी के गले पड़ी गैस पाइपलाइन 1,230 किलोमीटर लंबी नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन बाल्टिक सागर की गहराई से गुजरते हुए रूस और जर्मनी को जोड़ती है. पाइपलाइन पूरी तरह तैयार है, लेकिन जर्मनी और यूरोपीय संघ के रेग्युलेटरों ने नई पाइपलाइन के ऑपरेशन को मंजूरी नहीं दी है. फिलहाल रूस जर्मनी को नॉर्ड स्ट्रीम वन पाइपलाइन के जरिए गैस बेचता है. 2021 में इस पाइपलाइन के जरिए जर्मनी ने रूस से रिकॉर्ड मात्रा में गैस खरीदी. रूस की सरकारी ईंधन कंपनी गाजप्रोम के मुताबिक बीते साल जर्मनी को 59.2 अरब घनमीटर गैस सप्लाई की गई. नॉर्ड स्ट्रीम 2 के चालू होने पर गैस सप्लाई की मात्रा कम से कम दो गुना बढ़ जाएगी.
जर्मनी यूरोप में रूसी गैस का सबसे बड़ा खरीदार है. जर्मनी के साथ गैस के कारोबार से रूसी अर्थव्यवस्था को बड़ी मदद मिलती है. लेकिन आलोचक कहते हैं कि रूस गैस सप्लाई को एक हथियार की तरह भी इस्तेमाल कर सकता है. मौजूदा संकट के बीच अगर रूस ने जर्मनी की गैस सप्लाई बंद कर दी तो बर्लिन ऊर्जा की मांग कैसे पूरी करेगा.अमेरिका और जर्मनी मिलकर ऐसी समस्याओं का हल खोजना चाहते हैं. मान गया अमेरिकाः नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन पर जर्मनी से समझौता हुआ गैस के कारण रूस पर अति निर्भरता और यूक्रेन को हथियार न देने के कारण जर्मनी फिलहाल बुरी तरह घिरा हुआ है. अमेरिका अगर रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाएगा तो कई जर्मन कंपनियां भी इनकी मार झेलेंगी. कई जगहों पर कई बैठकें वॉशिंगटन में जहां बाइडेन और शॉल्त्स बात कर रहे थे, उसी दौरान मॉस्को में फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत कर रहे थे. दोनों नेताओं के बीच पांच घंटे लंबी वार्ता हुई.
बातचीत का मुख्य मुद्दा यूक्रेन था. वहीं यूक्रेन की राजधानी कीव में भी एक के बाद एक बैठकें होती रहीं. जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा से मुलाकात की. जर्मनी द्वारा हथियार न भेजे जाने से परेशान यूक्रेन अपनी नाराजगी बार बार जाहिर कर चुका है. सोमवार को बेयबॉक ने कीव में कहा, “यूक्रेन की सुरक्षा दांव पर है” जर्मन विदेश मंत्री के मुताबिक अगर रूस पर कड़े प्रतिबंध लगे तो इसकी कीमत बर्लिन को भी चुकानी होगी और तनाव बढ़ा तो जर्मनी यह कीमत चुकाएगा. इन मुलाकातों के बाद अब जर्मन चांसलर और फ्रांसीसी राष्ट्रपति की मुलाकात होनी है. फिर जर्मन चांसलर मॉस्को जाकर पुतिन से मुलाकात करेंगे. यूक्रेन बॉर्डर पर रूसी सेना के भारी जमावड़े के करीब महीने भर बाद अब सभी पक्षों को लगने लगा है कि मामला बहुत निर्णायक स्थिति में पहुंच गया है.