आईएएनएस–सीवोटर पंजाब ट्रैकर कैप्टन अमरिंदर सिंह के भाजपा के नए सहयोगी के रूप में प्रवेश के साथ कुछ दिलचस्प नए रुझानों का खुलासा कर रहा है। यह मुकाबला पहले से ही बहुकोणीय है। ट्रैकर के एक हिस्से के रूप में‚ एक स्नैप पोल ने पंजाब की सभी ११७ सीटों पर उत्तरदाताओं से पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि पीएलसी–भाजपा–शिअद गठबंधन के उम्मीदवार अपने ही क्षेत्र में ‘कड़े मुकाबले’ में हैं। नतीजे बताते हैं कि पंजाब में हर तीसरा मतदाता मानता है कि कैप्टन अपने नए गठबंधन सहयोगियों के साथ अभी भी कड़े मुकाबले में है।
दोआबा और माझा के हिंदू बहुल इलाकों में यह भावना अधिक उजागर होती है और मालवा में कम है। चुनावी मुकाबलों में‚ यदि वोट भौगोलिक क्षेत्र में केंद्रित हैं‚ तो कम वोट शेयर वाली पार्टी काफी सीटें जीत सकती है। उदाहरण के लिए‚ २०१९ के लोकसभा चुनाव में‚ लोक जनशक्ति पार्टी को बिहार में मुश्किल से ८ प्रतिशत वोट मिले और वह ६ लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही। इसके विपरीत‚ राजद को वोट शेयर अधिक मिले‚ लेकिन एक भी सीट जीतने में असफल रही। इसी तरह के रुझान कर्नाटक में जेडीएस‚ जम्मू–कश्मीर में एनसी या झारखंड में झामुमो के मामले में देखे गए हैं॥। जबकि बहुत कम विश्लेषकों को उम्मीद थी कि भाजपा‚ कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पार्टी (पीएलसी) और अकाली दल (एस) के एक टूटे हुए धड़े के बीच गठबंधन अपने दम पर सत्ता के लिए एक कड़ा दावेदार होगा‚ पंजाब के मतदाताओं को लगता है कि यह पटियाला‚ पठानकोट‚ गुरदासपुर और जालंधर जैसे चुनिंदा इलाकों में आश्चर्य पैदा कर सकता है। इसमें विभिन्न राजनीतिक दलों की सभी गणनाओं को बिगाड़ने की क्षमता है।
पंजाब ट्रैकर ने खुलासा किया कि लगभग दो तिहाई भाजपा समर्थक अब मानते हैं कि उनके गठबंधन के उम्मीदवार दौड़ में शीर्ष और अग्रणी स्थानों में से एक के लिए गंभीर विवाद में हैं। कुछ महीने पहले भाजपा के दस प्रमुख समर्थकों में से मुश्किल से ही एक को विश्वास था कि वे इस मुकाबले में हैं। दस में से चार कांग्रेस समर्थक भी भाजपा समर्थकों द्वारा किए गए दावे का समर्थन करते हैं और १३ प्रतिशत अन्य अनिर्णीत हैं। फिर से‚ अनिर्णीत मतदाताओं के एक समान विभाजन को मानते हुए‚ कांग्रेस के लगभग आधे मतदाता भाजपा–पीएलसी द्वारा संभावित नुकसान को गंभीरता से ले रहे हैं। अकाली दल (बादल) के मतदाता भी भाजपा–पीएलसी गठबंधन को हल्के में नहीं ले रहे हैं। लगभग आधे अकाली मतदाताओं को लगता है कि स्थानीय भाजपा–पीएलसी उम्मीदवार शीर्ष तीन पदों पर हार जाएंगे और अकाली दल के २३ प्रतिशत और मतदाता अनिर्णीत हैं। संभावित अकाली मतदाताओं का बहुमत भाजपा–पीएलसी को अपनी–अपनी सीटों पर एक गंभीर दावेदार के रूप में स्थान दे रहा है। केवल आप समर्थक (३० प्रतिशत) ही भाजपा–पीएलसी उम्मीदवारों को खारिज कर रहे हैं। लगभग ६० प्रतिशत आप समर्थकों को लगता है कि बीजेपी–पीएलसी वास्तव में अपनी–अपनी सीटों पर चुनाव में नहीं है। आप मालवा के जाट सिख बेल्ट में अधिक सक्रिय है‚ जबकि अकाली दल और कांग्रेस अखिल पंजाब पार्टियां हैं। वर्तमान में‚ आप मालवा पर हावी है‚ जहां पटियाला और कुछ अन्य भाजपा–पीएलसी की उपस्थिति कम है। इस प्रकार आप के मतदाता पीएलसी–बीजेपी को कहीं भी हिसाब में नहीं देखते हैं।साथ ही‚ यह डेटा बढ़ते सांप्रदायिक विभाजन को दर्शाता है जिसे किसान विरोध के दौरान कुछ तत्वों द्वारा बढ़ावा दिया गया था। पंजाबी शहरों में मुख्य रूप से शहरी और केंद्रित हिंदू वोट कैचमेंट शायद ग्रामीण भावना के साथ तालमेल में नहीं हैं।
हॉट सीट फगवाड़़ा
तमाम पार्टियों के ‘दिग्गजों‘ को चुनावी मैदान में उतारे जाने के कारण पंजाब के दोआबा में आने वाला फगवाड़ा विधानसभा क्षेत्र (सुरक्षित) ‘हॉट सीट’ बन गया है। कांग्रेस ने जहां वर्तमान विधायक बलविंदर सिंह धालीवाल (जो २०१९ उपचुनाव में चुनकर आये थे) पर दांव खेला है वहीं आम आदमी पार्टी (आप) ने कांग्रेस छोड़कर उनके पाले में शामिल हुए वरिष्ठ नेता जोगिंदर सिंह मान को टिकट दिया है। श्री मान कांग्रेस टिकट के दावेदार थे और जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो उन्होंने आप की सदस्यता ग्रहण कर ली। उधर‚ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यहां से दिग्गज एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग अध्यक्ष विजय सांपला को टिकट दिया है। भाजपा की उम्मीदवारी पर केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश की पत्नी अनिता सोम प्रकाश की भी दावेदारी थी पर पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा में एक परिवार में एक टिकट के फार्मूले के कारण उन्हें टिकट नहीं मिला। इसी कारण राजनीतिक क्षेत्रों में यह भी चर्चा है कि सोम प्रकाश गुट अंदरखाने नाराज है और खुलकर पार्टी प्रत्याशी के साथ नहीं है।
इन तीन प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशियों के अलावा शिरोमणि अकाली दल–बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में बसपा की पंजाब इकाई के प्रमुख जसवीर सिंह गढी चुनावी अखाड़े में हैं। कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ एक साल चले किसान आंदोलन के बाद किसान जत्थेबंदियों के बनाये संयुक्त समाज मोर्चा ने यहां से भारतीय प्रशासनिक सेवा(आईएएस) के पूर्व अधिकारी खुशी राम को चुना है‚ वह होशियारपुर‚ तरण तारण और अमृतसर समेत पंजाब के कई क्षेत्रों में उपायुक्त रह चुके हैं। यह भी एक दिलचस्प पहलू है कि फगवाड़ा से कई पूर्व आईएएस अधिकारी अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कर चुके हैं जिनमें केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश और मौजूदा विधायक धालीवाल शामिल हैं। इनके अलावा लोक इंसाफ पार्टी के प्रत्याशी जरनैल नंगल हैं।
इस सीट पर पारंपारिक तौर पर कांग्रेस का कब्जा रहा है लेकिन पिछले दो दशकों में भाजपा‚(जो पिछले चुनाव तक शिअद के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ती रही है) भी इस सीट से चार बार जीत चुकी है लेकिन इस बार तमाम दलों के समीकरण उलट–पुलट जाने और प्रत्याशियों की भीड़ के कारण पता नहीं कि नतीजा क्या होगा‚ यह अनुमान कोई नहीं लगा पा रहा है‚ इस कारण इस सीट के परिणाम पर सबकी खास नजर लगी हुई है।