खेलो में भी राजनीति को शामिल करना चीन को भारी पड़़ गया है। चीन की कुटिल चालों से वैसे तो पूरी दुनिया परेशान है‚ लेकिन इस बार उसने भारत को उकसाने वाली जो हरकत की है उसने भारत को बेहद नाराज कर दिया है। बीजिंग के शीतकालीन ओलंपिक की मशाल रिले में पूर्वी लद्दाख के गलवान में भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़़प में बुरी तरह घायल होे चुके पीएलए के एक सैनिक कमांड़र की फाबाओ को शामिल करने की भारत में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। परिणामस्वरूप भारत ने शीतकालीन ओलंपिक खेला के उद्घाटन और समापन समारोहों का राजनयिक बहिष्कार कर दिया है। भारत और अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों के बहिष्कार के बीच ये खेल शुक्रवार से शुरू हो गए। भारत के आधिकारिक प्रसारक प्रसार भारती ने भी इन खेलों का प्रसारण न करने की घोषणा की है। ड़ीड़ी स्पोर्ट्स चैनल खेलों के उद्घाटन और समापन समारोह का सीधा प्रसारण नहीं करेगा। चीन की इस भड़़काने वाली हरकत से लगता है कि भारत के खिलाफ उसका आक्रामक सूचना युद्ध जारी है। गलवान संघर्ष में अपने सैनिकों के मरने के बारे में जानकारी देने में तो उसे काफी समय लगा था‚ लेकिन की फाबाओ को मशालवाहक बनाने में उसने बड़़ी तत्परता दिखाई। पीएलए कमांडर को प्रतिष्ठित शीतकालीन ओलंपिक खेलों के मशालवाहक के रूप में इस्तेमाल करना चीन के उन कई कदमों में से एक है‚ जो गलवान में हुई झड़प को सुर्ख़ियों में बनाए रखने के लिए उठाए गए हैं। ये खेल चीन की राजनीति का जरिया बन गए हैं‚ लेकिन दुनिया भर में चली जा रही चीन की चालें पलटकर उसे ही भारी पड़़ने लगी हैं। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों ने इन खेलों का बहिष्कार किया है। अमेरिका ने चीन के शिनिजयांग में उइगुर मुसलमानों की प्रताड़ना को मुद्दा बनाते हुए खेलों का बहिष्कार किया है‚ बहुत से यूरोपीय समुदाय के देश भी अमेरिका का साथ दे रहे हैं। जर्मनी के चांसलर भी बीजिंग नहीं पहुंचे। २० जून २०२० को लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक मुठभेड़ के बाद से ही भारत और चीन के संबंधों में तनाव लगातार बना हुआ है। लाख छुपाने के बाद भी संघर्ष में हुए नुकसान पर भी चीन बेनकाब हो गया है। वक्त आ गया है कि दुनिया भी चीन से निपटने में भारत जैसी सख्ती दिखाए
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