मुद्दा तो विशेष राज्य का दर्जा है, लेकिन इसकी जगह आम बजट में विशेष पैकेज की घोषणा भी होती है तो इसे संतोषजनक कहा जाएगा। बिहार के विभिन्न उद्योग संघों को केंद्रीय बजट से बहुत उम्मीदें हैं। बिहार सरकार के उद्योग मंत्री सैय्यद शाहनवाज हुसैन की पहल से भी विभिन्न उद्योग संघ उत्साहित हैं, और उन्हें उम्मीद है कि उद्योग मद में केंद्रीय बजट कुछ खास लेकर आएगा। जानते हैं उद्योग संघों की राय।
हर साल मिले एक लाख करोड़ रुपये का पैकेज : बीआइए
उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार विशेष प्रयास कर रही है। प्रदेश के उद्योग मंत्री की ओर से अनेक तरह की पहल की गई है। उम्मीद है कि केंद्रीय बजट में बिहार के उद्योगों के लिए कुछ खास होगा। बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण अग्रवाल ने कहा कि इसकी वजह भी है। बिहार में पर प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति आय 45 हजार रुपये है जबकि राष्ट्रीय औसत 1.35 लाख रुपये है। यह बड़ी खाई तभी दूर होगी जब पांच साल तक हर साल एक लाख करोड़ रुपये का विशेष पैकेज मिले। रिन्यूबल एनर्जी, ई-व्हेकिल और अनुसंधान आधारित परियोजनाओं को बढ़ावा देने से बिहार को अधिक फायदा होगा।
विशेष फंड के साथ कर छूट का भी मिले लाभ : चैंबर आफ कामर्स
बिहार को विशेष फंड के साथ कर में छूट भी मिलनी चाहिए। प्रदेश के उद्योग मंत्री की ओर से इथेनाल का कोटा बढ़ाकर 33 हजार लीटर पर ले जाना यह संकेत देता है कि वे केंद्रीय बजट में बिहार केलिए कुछ विशेष प्रविधान कराएंगे। बिहार चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने कहा कि हमारा मानना है कि इथेनाल कोटा एक लाख लीटर होना चाहिए। बिहार के 22 जिलो में उद्योग लगाने पर कर छूट मिलती थी इसे बंद कर दिया गया है। यह फिर से चालू होना चाहिए। किशनगंज में चाय की खेती को बढ़ावा देने, उत्तर बिहार को गैस पाइप लाइन से जोडऩे, फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने, बिहार के लिए प्रोडक्टविटी लिंक्ड इंसेंटिव के तहत अधिक सुविधा देने व पर्यटन के विकास जैसे उपायों से बिहार को विशेष फायदा होगा।
एमएसएमई को मिले वित्तीय मदद, पूंजीगत निवेश भी बढ़े : पीएचडी चैंबर
केंद्र की ओर से देश के उद्योगों के लिए कुल आवंटित राशि में से दिल्ली, तमिलनाडु और महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत है। इसमें बिहार की हिस्सेदारी महज 0.6 प्रतिशत है। पीएचडी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज -बिहार के अध्यक्ष सत्यजीत सिंह ने कहा कि यह तो हमारा हक है कि बिहार की हिस्सेदारी बढ़े। प्रदेश के उद्योग मंत्री का नये उद्योगों पर विशेष जोर है। पीएचडी चैंबर आफ कामर्स के एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि कोविड काल के बाद 45 प्रतिशत एमएसएमई यूनिट घाटे में हैं, एनपीए का शिकार हो चुकी हैं। सर्वाधिक रोजगार देने वाले इस सेक्टर के लिए बजट में रीकैपिटलाइजेशन यानी पुनर्वित्त प्रोत्साहन का प्रविधान होना चाहिए, नहीं तो ये डूब जाएंगे। ग्रामीण इलाकों में उत्पादों की मांग घटी है। यह अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। इसलिए मनरेगा सहित अन्य ग्रामीण योजनाओं में पूंजीगत निवेश बढऩा चाहिए।
मुद्रा लोन की सीमा 20 लाख रुपये की जाए: कैट
कैट ने छोटे उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा योजना की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने की मांग की है। बजट से अन्य कई उम्मीदें भी हैं। कारोबारियों से प्रोफेशनल टैक्स दो स्तर पर लिया जा रहा है। इस व्यवस्था को खत्म किया जाना चाहिए। जीएसटी के तहत प्रोफेशनल टैक्स लिया जाए लेकिन नगर निगम का प्रोफेशनल टैक्स बंद होना चाहिए। पूर्व में कैट की मांग को आम बजट में शामिल नहीं किया गया लेकिन इस बार हमारी कुछ मांगों को शामिल किया जा सकता है। कारोबार की सुगमता के लिए सोना और चांदी पर से कस्टम ड्यूटी हटाने की जरूरत है।