राज्य में कोरोना की संक्रमण दर शनिवार को एक प्रतिशत से नीचे आ गई है। कोरोना संक्रमण दर 0.85 प्रतिशत दर्ज की गई। राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान 1302 नए संक्रमित मिले हैं। 2577 संक्रमित स्वस्थ हो गए हैं। कोरोना के संक्रमितों की संख्या अधिक होने के कारण राज्य में इसकी रिकवरी रेट अब 57.57 प्रतिशत हो गई है। इधर राज्य में अब 7712 एक्टिव केस रह गए हैं। संक्रमण की जांच के लिए राज्यभर में कुल एक लाख 53 हजार 310 सैंपल लिए गए।
बिहार में कोरोना के नए मामले भले ही तेजी से कम हो रहे हों लेकिन खतरा कम नहीं हो रहा है। राज्य में 24 घंटे के अंदर 6 लोगों की कोरोना से मौत हुई है, जबकि मासूमों पर संक्रमण का असर देखने को मिला है। पटना AIIMS में 24 घंटे में 5 साल तक के 6 मासूम भर्ती हुए हैं। एक्सपर्ट का भी यही कहना है कि कोरोना का केस कम हुआ है लेकिन खतरा बीमार लोगों पर अभी भी दूसरी लहर की तरह ही है। ऐसे में सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से अलर्ट रहना होगा।
पटना के दो लोगों की AIIMS में मौत
बिहार में 24 घंटे में 6 लोगों की मौत हुई है, इसमें पटना के रहने वाले दो लोग शामिल हैं। पटना AIIMS में भर्ती 50 साल की लालसा देवी और 82 साल के नैमुल हक शामिल है। पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भी एक संक्रमित की मौत हुई है। अब तक राज्य में मरने वाले संक्रमितों की संख्या 12217 हो गई है। कोरोना की तीसरी लहर में अब मौत का आंकड़ा हर दिन बढ़ रहा है। ऐसे में सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से अलर्ट रहना होगा।
मासूमों में बढ़ रहा कोरोना का खतरा
बिहार में 24 घंटे में मासूमों पर कोरोना का अटैक देखने को मिला है। पटना AIIMS में 24 घंटे में 5 साल तक के 6 मासूम भर्ती हुए हैं। इसमें दो साल के दो और तीन साल के दो मासूमों के साथ 5 साल से कम उम्र के बच्चे हैं। पटना एम्स में 24 घंटे में कुल 12 संक्रमित भर्ती हुए हें जिसमें 6 की उम्र पांच साल से कम है। ऐसे में बच्चों में संक्रमण के खतरे को समझा जा सकता है। पटना एम्स के कोरोना नोडल डॉ संजीव कुमार का कहना है कि बड़े वैक्सीनेटेडे होने के बाद लापरवाही नहीं करें, वह भी सामान्य लोगों की तरह कोरोना की गाइडलाइन का पालन करें। थोड़ी सी लापरवाही में लोग बच्चों के लिए कोरोना कैरियर बन सकते हैं।
बिहार में 1% नीचे आई संक्रमण दर
बिहार में संक्रमण की दर एक प्रतिशत से भी कम हो गई है। राज्य में 24 घंटे में 153310 लोगों की जांच कराई गई है, जिसमें 1302 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। संक्रमण की दर अब 0.85% हो गई है। पटना में 24 घंटे में 4203 लोगों की जांच हुई है जिसमें 228 नए संक्रमित मिले हैं। पटना में संक्रमण की दर अब 5.42% हो गई है। बिहार अब नए संक्रमण के मामले में देश में 23 वें नंबर पर है। पटना के बाद पूर्णिया में सबसे अधिक 138 मामले आए हैं, वहीं बेगूसराय में 89 मामले आए हैं। पश्चिमी चंपारण में 72 नए मामले आए हैं। वहीं 24 घंटे में 2577 लोग कोरोना से ठीक हुए हैं जिससे अब राज्य में संक्रमण से रिकवरी का रेट 97.57% हो गई है।
कोरोना की तीसरी लहर में अब बड़ा खतरा ब्रेन स्ट्रोक का है। संक्रमण के बाद कमजोर हुई दिमाग की नस फट रही है, जिससे मरीजों की हालत बिगड़ रही है। बिहार के अस्पतालों में कोरोना से ठीक हुए लोगों में ब्रेन स्ट्रोक के चौंकाने वाले मामले आ रहे हैं। पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान ने तो कोरोना संक्रमितों में तेजी से बढ़ रहे ब्रेन स्ट्रोक के मामलों को शोध का विषय बताया है। IGIMS में 15 दिनों में ब्रेन स्ट्रोक 42 मामलों में 30 में पोस्ट कोविड का इंडीकेटर है।
कोरोना की दूसरी लहर में नहीं था ब्रेन स्ट्रोक
कोरोना की दूसरी लहर में पोस्ट कोविड में ब्रेन स्ट्रोक का मामला नहीं आया था। कोरोना की तीसरी लहर में बिहार में ओमिक्रॉन वैरिएंट से अधिक संक्रमित हैं, जिसमें अब नई मुश्किल ब्रेन स्ट्रोक की आ रही है। पटना में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को बेड मिलना मुश्किल हो रहा है। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में इन दिनों ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में डॉक्टरों को भी चौंका दिया है। शनिवार को एक ही दिन ब्रेन स्ट्रोक 8 नए मामले आए हैं, जबकि 35 मरीज हाल में ही भर्ती हुए। 15 दिनों के अंदर 42 से अधिक ब्रेन स्ट्रोक के मरीज भर्ती हुए हैं।
पोस्ट कोविड में ब्रेन स्ट्रोक शोध का विषय
IGIMS के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर में जिस तरह से कोरोना संक्रमितों में ब्रेन स्ट्रोक का मामला आ रहा है, यह जांच का विषय है। 2021 में भी कोविड था, लेकिन ब्रेन स्ट्रोक का ऐसा मामला नहीं आया था। इस बार 15 दिनों में 42 ब्रेन स्ट्रोक के मामले आए हैं, जिसमें 30 में कोरोना का साइड इफेक्ट दिख रहा है। बाकी 12 मरीजों को कोरोना नहीं था, ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें बिना लक्षण वाला संक्रमण रहा हो। डॉ. मनीष मंडल का कहना है कि ऐसा हो सकता है कि संक्रमण से दिमाग की नस कमजोर हो गई हो और फिर वह ब्लड के प्रेशर से फट रही हों। ऐसे मामले शोध का विषय हैं।
पटना AIIMS में भी बढ़ा मामला
पटना के नरेश प्रसाद गुप्ता को भी कोरोना के बाद ब्रेन स्ट्रोक हुआ। शुक्रवार को उनकी मौत हो गई। पटना AIIMS के कोरोना नोडल डॉ. संजीव कुमार का कहना है कि ब्रेन स्ट्रोक से ही नरेशन की मौत हुई कोरोना का संक्रमण भी भारी पड़ा है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मामले तेजी से बढ़े हैं। ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की ICU की जरूरत होती है और मामला बढ़ने से अस्पतालों में बेड की समस्या हो गई है। ब्रेन स्ट्रोक के इलाज में नरेश के परिवार वालों की तरह बिहार में ऐसे परिवारों की संख्या अधिक है, जो परेशान हैं। डॉक्टरों का कहना है कि 40 प्लस वालों के लिए पोस्ट कोविड ब्रेन स्ट्रोक का खतरा लेकर आया है।
क्यों हो रहा ब्रेन स्ट्रोक
- कोरोना संक्रमण के बाद दिमाग की नसों पर बड़ा असर पड़ रहा है।
- दिमाग कर कमजोर नसों पर रक्त का दबाव बढ़ाने से वह फट जा रही हैं।
- मौसम कभी बहुत ठंडा हो रहा है तो कभी बहुत गर्मी हो रही है, यह भी कारण बन रहा है।
- ब्लड प्रेशर और शुगर की मॉनिटरिंग में कमी के साथ दवा में लापरवाही भी खतरा बढ़ा रही है।
- कोरोना के संक्रमण के बाद लोग लापरवाही कर रहे हैं जिससे खतरा बढ़ रहा है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
पटना के न्यूरो फिजीशियन समय न्यूरो हॉस्पिटल के एमडी डॉ. अखिलेश कुमार सिंह का कहना है कि कोरोना के कारण नसों से जुड़ी समस्या तेजी से बढ़ी है। संक्रमण से ठीक होने के बाद भी ऐसा देखा जा रहा है कि मरीजों में ब्रेन स्ट्रोक से लेकर नसों की अन्य समस्या हो रही है। ऐसे में कोरोना के बाद भी लोगों को उतना ही अवयेर रहना होगा जितना कोरोना को लेकर रहा जाता है।
खान-पान के साथ शुगर ब्लड प्रेशर की मॉनिटरिंग व एक्सरसाइज से कोरोना के साइड इफेक्ट को कम किया जा सकता है। इस ठंड के मौसम में खासकर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।