बिहार में शराबबंदी कानून को सफल बनाने और शराबियों पर नकेल कसने के लिए शिक्षा विभाग ने नया फरमान जारी किया है. इसके मुताबिक अब राज्य के सभी सरकारी शिक्षक शराबियों की पहचान करेंगे और इसकी सूचना उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग को देंगे. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने बिहार के तमाम डीईओ और डीपीओ को पत्र जारी कर इसे अमल में लाने को कहा है. यह आदेश तमाम सरकारी शिक्षकों के साथ शिक्षक समितियों को भी दिया गया है. शिक्षा विभाग के इस फरमान के बाद राज्य का सियासी पारा गर्म हो गया है और इसे तुगलकी करार दिया जा रहा है.
मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इसको तुगलकी फरमान करार देते हुए कहा कि शिक्षा विभाग का यह फैसला हास्यास्पद है, इसे तत्काल वापस लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार में पहले ही शिक्षकों की कमी है, ऐसे मैं यदि शिक्षक पढ़ाने के बजाय शराबियों को ढूंढने में लग जाएंगे तो छात्रों को कौन पढ़ाएगा?
शिक्षक पाठशाला की जगह खोजेंगे मधुशाला
शिक्षा विभाग के इस फैसले पर कांग्रेस ने भी कड़ा प्रहार करते हुए कहा है कि यह फैसला आश्चर्यजनक है. पार्टी के प्रवक्ता अजीत नाथ तिवारी ने सवाल उठाया कि जब बिहार में शिक्षक पाठशाला जाने के बजाय मधुशाला खोजने में लगेंगे, तो छात्रों की पढ़ाई-लिखाई कैसे होगी. उन्होंने इसे शिक्षा विभाग का सनकपन भरा फैसला बताते हुए तत्काल इसे वापस लिए जाने की मांग की.
JDU ने किया समर्थन, BJP ने इशारों में कही बात
वहीं, शिक्षा विभाग के इस फैसले पर जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) ने पूर्ण सहमति जताते हुए कहा कि शिक्षक, समाज के हर तबके को जानता और समझता है. बिहार के तमाम शिक्षक अगर शराबबंदी के इस मुहिम से जुड़ेंगे तो इसको सफल बनाने में मदद मिलेगी. जेडीयू के प्रवक्ता अभिषेक झा ने विपक्षी दलों पर पलटवार करते हुए कहा कि बिहार में विपक्ष चाहता ही नहीं है कि पूर्ण शराबबंदी सफल हो. हालांकि, सरकार में सहयोगी बीजेपी ने सधे हुए शब्दों में इसका समर्थन करते हुए इशारों-इशारों में सवाल भी खड़ा किया है.
बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि शिक्षकों का काम स्कूल में बच्चों को पढ़ाना है ताकि उन्हें अच्छी शिक्षा मिल सके और उनके अंदर बेहतर संस्कार पैदा हो सके. यदि शिक्षा विभाग का यह निर्णय स्कूलों में शराब के सेवन को रोकने के लिए है तो यह स्वागत योग्य है, और इसका समर्थन किया जाना चाहिए.