कोरोना संकट के बीच एक और चिंता बढ़ाने वाली खबर सामने आई है. ओमिक्रॉन के बाद वैज्ञानिकों ने कोरोना के एक और वैरिएंट (Variant IHU) का पता लगाया है. जानकारी के मुताबिक, Variant IHU पूरे 46 बार रूप बदल चुका है. माना जा रहा है कि यह मूल कोविड वायरस के मुकाबले ज्यादा टीका प्रतिरोधी और संक्रामक हो सकता है.
न्यूज वेबसाइट डेली मेल के मुताबिक, Variant IHU की खोज फ्रांस में हुई है. फ्रांस के मारसैल (Variant IHU in Marseille) में नए वैरिएंट के 12 मामले सामने आए हैं. ये मामले उन लोगों में देखने को मिले हैं जो अफ्रीकी देश कैमरून से लौटे थे.
फ्रांस में फिलहाल ओमिक्रॉन का कहर
फिलहाल Variant IHU कितना घातक और संक्रामक होगा यह साफ नहीं है. क्योंकि फिलहाल फ्रांस में ओमिक्रॉन वैरिएंट का कहर है. आ रहे कुल कोरोना केसों में से 60 फीसदी ओमिक्रॉन के हैं. इस वैरिएंट को Méditerranée Infection Foundation ने 10 दिसंबर को खोजा था. राहत की बात यह है कि फिलहाल Variant IHU तेजी से नहीं फैल रहा है .
अभी यह भी देखना बाकी है कि क्या अन्य देशों में भी Variant IHU पहुंचा है. फिर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) इसे वैरिएंट अंडर इंवेस्टिगेशन का लेबल आगे जांच करेगा. Variant IHU को B.1.640.2 भी कहा गया है. बताया गया है कि यह B.1.640 से अलग है जो कि सितंबर में कांगो में मिला था.
नए वैरिएंट की खोज करने वाली टीम के प्रमुख प्रोफेसर फिलिप कोलसन ने कहा कि टेस्ट में पाया गया है कि यह E484K म्यूटेशन से बना है जो इसे अधिक वैक्सीन प्रभाव हो, इसके चांस कम हैं.
भारत में तेजी से बढ़ रहे ओमिक्रॉन के मामले
Variant IHU से पहले ओमिक्रॉन वैरिएंट मिला था. अफ्रीका से होते हुए यह वैरिएंट बहुत से देश में पहुंच चुका है, जिसमें भारत भी शामिल है. इसे डेल्टा या डेल्टा प्लस जितना घातक को नहीं माना जा रहा, लेकिन यह उसके मुकाबले काफी तेजी से फैल रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि देश में ओमिक्रॉन के मामलों की कुल संख्या बढ़कर 1,892 हो चुकी है. महाराष्ट्र और दिल्ली में ओमिक्रॉन के सबसे ज़्यादा 568 और 382 मामले हैं. ओमिक्रोन के 1,892 मरीज़ों में से 766 मरीज़ रिकवर हो गए हैं.
भारत में ओमिक्रॉन की एंट्री 2 दिसंबर को हुई थी और करीब 1 महीने में ही केसेज बढ़कर 1700 से भी ज्यादा हो गए हैं। इस वजह से एक हफ्ते में देश में कोरोना संक्रमण की दर लगभग तीन गुना बढ़ गई है।
ओमिक्रॉन को लेकर चिंता की बात ये है कि ये तेजी से फैल रहा है, लेकिन इससे संक्रमित लोगों में गंभीर लक्षण कम है। गंभीर लक्षण भले ही कम हों, लेकिन मरीजों की ज्यादा संख्या हमारे लिए खतरे की घंटी है। अनुमान के मुताबिक, तीसरी लहर की पीक के दौरान 40-60 हजार मरीजों को हॉस्पिटलाइज करने की जरूरत पड़ सकती है। ये हमारे हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए नई चुनौती पैदा कर सकता है।
सबसे पहले हॉस्पिटलाइजेशन से जुड़ा अलग-अलग देशों का डेटा समझते हैं
ब्रिटेन
ब्रिटेन हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी ने 5,28,176 ओमिक्रॉन और 5,73,012 डेल्टा केसेज का एनालिसिस किया था। इसमें सामने आया कि डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन में केवल एक तिहाई लोगों को ही हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा था। ओमिक्रॉन पर वैक्सीन के प्रभाव को लेकर एजेंसी ने कहा था कि वैक्सीन के 2-3 डोज लेने के बाद हॉस्पिटलाइजेशन में 81% की कमी आती है। साथ ही ओमिक्रॉन की वजह से वेंटिलेटर वाले मरीजों की संख्या भी डेल्टा की तुलना में कम है।
अमेरिका
अमेरिका में चिंता वाली बात ये है कि यहां पर बच्चों में हॉस्पिटलाइजेशन रेट ज्यादा है। 28 दिसंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक, 0-17 एज ग्रुप में के 378 बच्चों को हॉस्पिटलाइज करना पड़ा। पिछले हफ्ते के मुकाबले ये 66% और डेल्टा की वजह से आई दूसरी लहर के पीक से भी ज्यादा है। हालांकि, हॉस्पिटलाइजेशन ज्यादा होने के बावजूद गंभीर लक्षण कम हैं।
दक्षिण अफ्रीका
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिसीज (NICD) ने दक्षिण अफ्रीका में अप्रैल से नवंबर तक मिले डेल्टा और ओमिक्रॉन केसेज को एलानाइज किया है। इसके मुताबिक, डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन की वजह से हॉस्पिटल में ए़डमिट लोगों में गंभीर लक्षण का खतरा 30% तक कम है।
ओमिक्रॉन से गंभीर मरीज भले ही कम, लेकिन मरीजों की ज्यादा संख्या चिंताजनक
ओमिक्रॉन को लेकर एक अच्छी और एक बुरी बात है। अच्छी बात ये कि इससे संक्रमित ज्यादातर मरीजों में गंभीर लक्षण नहीं है। बुरी बात ये कि ओमिक्रॉन डेल्टा से 4-5 गुना तेजी से फैल रहा है। अगर ओमिक्रॉन की तुलना डेल्टा से करें तो तीसरी लहर के पीक पर एक दिन में 16-20 लाख तक नए केसेज आ सकते हैं। हमारे लिए समझने वाली बात ये है कि मरीजों में गंभीर लक्षण भले ही कम हों, लेकिन मरीजों की संख्या ज्यादा होना भी अपने आप में चिंता का विषय है। जैसे-जैसे मरीज बढ़ेंगे उसी अनुपात में गंभीर मरीज भी बढ़ते जाएंगे।
दूसरी लहर के पीक के दौरान भारत में हर रोज 4 लाख के करीब नए केसेज आ रहे थे। इनमें से करीब 25 हजार को हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा था। माना जा रहा है कि ओमिक्रॉन की वजह से रोजाना 16-20 लाख तक नए केसेज आ सकते हैं और इनमें से 40-60 हजार को हॉस्पिटलाइज करना होगा। जब 25 हजार लोगों को हॉस्पिटलाइज करना पड़ा था तब आपने स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल देखा ही था। 40-60 हजार लोगों को जब हॉस्पिटालइज करने की जरूरत होगी तब स्थिति भयावह हो सकती है।
सरकारी आंकड़ों में फिलहाल ओमिक्रॉन के कम मामले आ रहे हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि संक्रमितों की संख्या 18 हजार तक हो सकती है। चूंकि वैरिएंट का पता लगाने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग करनी होती है और भारत में इसके लिए लैब कम हैं, इस वजह से टेस्टिंग भी कम हो रही है और आंकड़े भी कम आ रहे हैं। जबकि वास्तविकता में ये काफी ज्यादा हैं।
ओमिक्रॉन काफी तेजी से फैल रहा है। भारत में 2 दिसंबर को पहले 2 केस डिटेक्ट हुए थे। उसके बाद एक महीने में ही कुल केसेज के करीब आधे केसेज ओमिक्रॉन की वजह से आ रहे हैं।