आम आदमी पार्टी (आप) ने चंड़ीगढ़ नगर निगम चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें जीतकर पिछली बार पूर्ण बहुमत से शहर में सरकार बनाने वाली भाजपा को करारा झटका दिया है। निकाय चुनाव के लिए २४ दिसम्बर को मतदान हुआ था। वोटों की गिनती सोमवार को हुई। कुल ३५ सीटों में से आप ने १४ सीटें जीतीं। भाजपा को १२‚ कांग्रेस को ८ और शिरोमणि अकाली दल को मात्रएक सीट मिली। हालांकि यह खंडि़त जनादेश है क्योंकि निगम में सरकार बनाने के लिए १८ सीटें होना जरूरी है। कहना यह कि जोड़़तोड़़ करके ही सरकार बना पाना संभव होगा। बहरहाल‚ कांग्रेस और भाजपा में होने वाले पारंपरिक मुकाबले को आप ने रोचक बना दिया था। आप का अच्छा प्रदर्शन पार्टी के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के शासन के मॉड़ल की जीत कहा जा सकता है‚ कहा भी जा रहा है। इसे आने वाले दिनों में पंजाब की राजनीति में बदलाव का संकेत भी समझा जा सकता है। प्रदर्शन से दिल्ली में निगम चुनाव के लिए आप का यकीनन उत्साहवर्धन होगा। गौरतलब है कि इससे पहले आप ने उप्र‚ हिप्र‚ गुजरात‚ जम्मू–कश्मीर और गोवा में स्थानीय और निकाय चुनाव लड़े़ थे। सभी जगहों पर उसका प्रदर्शन अच्छा रहा। उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में आप ने जिला पंचायत सदस्य की ८३ जबकि ग्राम पंचायत की ३०० सीटें जीतीं और क्षेत्रपंचायत के लिए उसके २३२ सदस्य चुने गए। सूरत नगर निगम में उसने १८ सीटों पर काबिज होते हुए धमाकेदार एंट्री की। महाराष्ट्र में ग्राम पंचायत की ३०० में से १४५ सीटें जीतीं। हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव में ४० प्रत्याशी मैदान में उतारे जिनमें से ३६ जीत गए। जम्मू–कश्मीर में जिला विकास काउंसिल सदस्य की एक तो गोवा में जिला पंचायत सदस्य की एक सीट जीती। इस प्रकार चुनाव दर चुनाव आप का बेहतर होता प्रदर्शन तस्दीक करता है कि मतदाता बदलाव के लिए तरस रहा है‚ विकल्प की तलाश में है। जो भी पार्टी जनसरोकार वाली राजनीति से उसे आश्वस्त करेगी उसे समर्थन देने में जरा भी देर नहीं करेगा। इस लिहाज से आप सफल हो रही है। हालांकि कुछलोग इस सफलता को मुफ्त बिजली–पानी–शिक्षा आदि से जोड़़ रहे हैं‚ लेकिन मतदाता के फैसले और विवेक को कमतर नहीं आंका जाना चाहिए।
बीजेपी से मुकाबला …………
भले ही कांग्रेस ने दिल्ली में सेवाओं पर अधिकार के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी अध्यादेश के मुद्दे पर अब...