कुछ ही दिन पहले जो बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने चिर–परिचित सहज अंदाज में कह गए‚ विश्लेषण करने पर वह बात सौ फीसद सही लगती है यानी उत्तर प्रदेश में योगी की सरकार वाकई ‘उपयोगी’ है। स्मृतियां धूमिल न हुई हों‚ तो लोगों को याद होंगी कोरोना की पहली लहर शुरू होते ही दिल्ली‚ नोएडा‚ मुंबई से पैदल ही निकल पड़े लाखों लोगों की कतारें।
लोगों को यह भी स्मरण होगा कि इन कतारों को देख कर कुछ ही घंटों के अंदर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया गया यूपी रोडवेज की बसों का इंतजाम। इन बसों में बड़े करीने से लोगों को बैठा कर पहले जिला मुख्यालय तक पहुंचाया जाना। जिला मुख्यालय पर उन सभी के स्वास्थ्य की जांच करवाया जाना। फिर पर्याप्त राशन–पानी देकर उन्हें उनके घरों तक पहुंचाया जाना। यही नहीं‚ घर पहुंचे लोगों के पास निश्चित अंतराल पर अधिकारियों के फोन भी लगातार आते रहे। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सरकार द्वारा घोषित सुविधाएं मिली हैं‚ या नहीं। कोरोना के दौरान शुरू हुई गरीब लोगों को मुफ्त राशन देने की मुहिम अभी तक जारी है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत १५ करोड़ लोगों को पांच किलोग्राम अतिरिक्त निशुल्क राशन उपलब्ध कराया गया है। इसके साथ ही प्रदेश सरकार द्वारा भी प्रति माह तीन किलोग्राम निशुल्क राशन दिया गया है।
मलीहाबाद के रहने वाले टैक्सी चालक सरोज वर्मा यूं ही नहीं कहते कि यह सरकार न होती तो लोग भूखों मर जाते। कोरोना के संकटकाल में जब महाराष्ट्र और दिल्ली जैसी सरकारें अपने राज्य को समृद्ध बनाने वाले उत्तर प्रदेश के श्रमिकों को संभालने में नाकाम रहीं‚ उसी दौरान उत्तर प्रदेश ने दिल्ली‚ मुंबई‚ अहमदाबाद‚ सूरत सहित अनेक बड़े शहरों में अपने प्रशासनिक अधिकारियों को नोडल ऑफिसर नियुक्त कर वहां न सिर्फ राहत पहुंचाई‚ बल्कि लोगों को सुरक्षित अपने गांव–घर तक पहुंचाने में भी मदद की। आबादी की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा और घनी आबादी वाला राज्य होने के बावजूद कोरोना के दौरान प्रबंधन की जो मिसाल उत्तर प्रदेश ने प्रस्तुत की‚ वह तो केरल जैसा बहुत छोटा और सुशिक्षित माना जाने वाला राज्य भी नहीं कर पाया। महाराष्ट्र जैसा दूसरे नम्बर का बड़ा राज्य जहां टीकाकरण के दौरान आरोप–प्रत्यारोप में ही लिप्त नजर आया‚ वहीं उत्तर प्रदेश अब तक साढ़े नौ करोड़ लोगों का टीकाकरण सफलतापूर्वक कर चुका है।
संकटकाल में अपने लोगों के साथ खड़ी रहने वाली ऐसी सरकार को उपयोगी सरकार न कहें‚ तो और क्या कहें! दरअसल‚ केंद्र और राज्य सरकारें आमजन के लिए जो योजनाएं बनाती हैं‚ या घोषित करती हैं‚ उन्हें जमीनी स्तर पर पहुंचाना ही बड़ी चुनौती होती है। निष्पक्ष मूल्यांकन करें तो योगी सरकार इस चुनौती से पार पाने में कामयाब रही है। यही कारण है कि केंद्र सरकार से जो राशि राज्यों को जन कल्याण के लिए प्राप्त होती है‚ उसे प्राप्त करने में योगी सरकार अव्वल रही है यानी २०१२ से २०१७ के बीच जितनी सहायता केंद्र से प्राप्त हुई‚ उसकी दोगुनी सहायता २०१७ से २०२१ के बीच प्राप्त हो चुकी है।
पिछले साढ़े चार वर्षों में दो लाख करोड़ रुपयों से ज्यादा की राशि केंद्र से उत्तर प्रदेश को मिली है‚ और प्रदेश में बड़ी संख्या में लोगों ने इसका लाभ भी उठाया है। इस अवधि में कोरोना का विकट दौर भी शामिल रहा है। कल्पना की जा सकती है कि यदि इस दौरान ऐसी सरकार न होती तो उत्तर प्रदेश किन मुसीबतों से गुजर रहा होता। जबकि आज उत्तर प्रदेश केंद्र सरकार की ४४ योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में पहले स्थान पर है। तो इसे ‘उपयोगी सरकार’ न कहें‚ तो और क्या कहें! कृषि और उद्योग‚ किसी भी राज्य की समृद्धि के दो प्रमुख घटक होते हैं। यही दो घटक आमजन के रोजगार एवं रोजी–रोटी का प्रमुख जरिया भी होते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार इन दोनों घटकों को उभारने में कामयाब रही है। पिछली सरकारों के कार्यकाल में प्रदेश में कितनी चीनी मिलें बंद हुइ‚ यह सर्वविदित है। एक चीनी मिल बंद होने पर उस इलाके के सैकड़ों किसानों की अर्थव्यवस्था डगमगाने लगती है। घर के न जाने कितने काम रु क जाते हैं। बच्चों की पढ़ाई–लिखाई छूट जाती है।
योगी राज्य सरकार ने न सिर्फ बंद पड़ी दर्जनों चीनी मिलों को फिर से चालू करवाया‚ बल्कि सरकार द्वारा गन्ना किसानों को अब तक १.४३ लाख करोड़ रु पयों का भुगतान भी करवाया है। कोरोना जैसे संकटकाल में लगातार चालू रहीं राज्य की ११९ चीनी मिलों ने ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को संभालने में बड़ी भूमिका निभाई है। गन्ने के अलावा अन्य फसलों के किसानों को भी उनकी उपज का सही मूल्य पाने में नाकों चने चबाने पड़ते थे। योगी सरकार ने तकनीक का उपयोग कर ऐसे किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की सुविधाएं विकसित कीं। एमएसपी के तहत किसानों से उनकी उपज की खरीद में ई–पॉप सिस्टम का उपयोग कर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई। कृषि क्षेत्र की पैदावार बढ़ाने में सिंचाई की अहम भूमिका होती है। योगी सरकार के दौरान सिंचाई परियोजनाओं पर किए गए कार्यों से प्रदेश में ३.७७ लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता विकसित हुई है। इतने बड़े क्षेत्र के लिए यह एक स्थायी समाधान सामने आ चुका है। इसी प्रकार उद्योग क्षेत्र में भी उपलब्धियां कम नहीं रही हैं।
उत्तर प्रदेश की आलोचना यह कहकर की जाती रही है कि वहां उद्योग–धंधे विकसित न होने के कारण लोगों को अन्य राज्यों में रोजगार तलाशने जाना पड़ता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार बनने के कुछ ही महीनों बाद प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट कर प्रदेश के औद्योगीकरण का खाका तैयार कर लिया था। अब उसके सकारात्मक परिणाम भी नजर आने लगे हैं। समिट में प्राप्त ४.६८ लाख करोड़ रु पयों के निवेश प्रस्तावों में से तीन लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों को मूर्तरूप दिया जा चुका है। इसी दौरान शुरू हुई ‘एक जनपद एक उत्पाद’ योजना भी रंग लाने लगी है। एक ओर एमएसएमई सेक्टर से अब १.२१ लाख करोड़ का सालाना निर्यात हो रहा है‚ तो दूसरी ओर कई मल्टीनेशनल कंपनियां चीन से अपने कारोबार समेट कर उत्तर प्रदेश में अपनी इकाइयां स्थापित कर रही हैं। तो इसे उपयोगी सरकार न माना जाए तो और क्या माना जाए !