देश आज 1971 की महाविजय का जश्न मना रहा है। शहीदों को देश नमन कर रहा है। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में स्थित वार मेमोरियल पहुंचे। उनके साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘स्वर्णिम विजय मशालों’ के सम्मान और स्वागत समारोह में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने 1971 की जंग के शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने वार मेमोरियल पर आगंतुक पुस्तिका पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने लिखा,’ पूरे राष्ट्र की ओर से, मैं 1971 के युद्ध के योद्धाओं को सलाम करता हूं। नागरिकों को उन वीर योद्धाओं पर गर्व है, जिन्होंने वीरता की अनूठी दास्तां लिखी।’
बता दें कि इससे पहले वार मेमोरियल पर मौजूद रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया था। बांग्लादेश के अस्तिव में आने के आज 50 साल पूरे हो चुके हैं। 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध को बांग्लादेश मुक्ति संग्राम भी कहा जाता है। इस दौरान पाकिस्तान पर भारतीय सशस्त्र बलों को जीत मिली थी। इस उपलक्ष्य में हर साल 16 दिसंबर को भारत में ‘विजय दिवस’ मनाया जाता है। इस खास अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री अमित शाह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से लेकर तमाम नेताओं ने देश के वीर जवानों को नमन किया है, जिन्होंने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर किया।
पीएम मोदी ने ट्वीट कर इस अवसर के महत्व के बारे में भी बताया. उन्होंने ट्वीट में लिखा, ’50वें विजय दिवस के अवसर पर, मैं मुक्तिजोद्धों, वीरांगनाओं और भारतीय सशस्त्र बलों के वीरों द्वारा महान वीरता और बलिदान को याद करता हूं. हमने साथ मिलकर दमनकारी ताकतों से लड़ाई लड़ी और उन्हें हराया. ढाका में राष्ट्रपति जी की उपस्थिति का प्रत्येक भारतीय के लिए विशेष महत्व है.’
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा,’ भारतीय सैनिकों के अद्भुत साहस व पराक्रम के प्रतीक ‘विजय दिवस’ की स्वर्ण जयंती पर वीर सैनिकों को नमन करता हूं। 1971 में आज ही के दिन भारतीय सेना ने दुश्मनों पर विजय कर मानवीय मूल्यों के संरक्षण की परंपरा के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा था। सभी को विजय दिवस की शुभकामनाएं।’
राजनाथ बोले- हमें अपने सशस्त्र बलों और उनकी उपलब्धियों पर गर्व
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा,’ स्वर्णिम विजय दिवस’ के अवसर पर हम 1971 के युद्ध के दौरान अपने सशस्त्र बलों के साहस और बलिदान को याद करते हैं। 1971 का युद्ध भारत के सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। हमें अपने सशस्त्र बलों और उनकी उपलब्धियों पर गर्व है।’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा,’ साल 1971 में आज ही के दिन भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था। विजय दिवस पर देश के उन सभी वीर जवानों को नमन जिनकी बहादुरी और वीरता हम सभी को गौरवान्वित करती है।’
सशस्त्र बल और उनकी उपलब्धियों पर गर्व
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस दिन को भारत के सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय बताया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘स्वर्णिम विजय दिवस’ के अवसर पर हम साल 1971 के युद्ध के दौरान अपने सशस्त्र बलों के साहस और बलिदान को याद करते हैं. साल 1971 का युद्ध भारत के सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है. हमें हमारे सशस्त्र बल और उनकी उपलब्धियों पर गर्व है. उन्होंने इंस्ट्रूमेंट ऑफ सरेंडर की एक तस्वीर भी साझा की.
अनंत लौ में समाहित हुआ स्वर्णिम विजय मशाल
बीते साल पीएम मोदी ने 16 दिसंबर को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर स्वर्णिम विजय मशाल जलाई थी. उन्होंने चार मशालें भी जलाईं जिन्हें अलग-अलग दिशाओं में भेजा गया था. यह चार मशालें सियाचिन, कन्याकुमारी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लोंगेवाला, कच्छ के रण, अगरतला सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में गईं. इन मशालों को प्रमुख युद्ध क्षेत्रों और साल 1971 के युद्ध के वीरता पुरस्कार विजेताओं और सेना के वरिष्ठों के घरों में भी ले जाया गया. आज श्रद्धांजलि समारोह के दौरान इन चारों मशालों को पीएम मोदी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही अनंत लौ में समाहित किया
बांग्लादेश के दौरे पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
पाकिस्तान के साथ साल 1971 में हुए युद्ध में विजय और बांग्लादेश गठन की 50वीं वर्षगांठ की याद में एक ओर जहां देश में अलग-अलग कार्यक्रम हो रहे हैं वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बांग्लादेश दौरे पर पहुंचे हैं. इस मौके पर वहां होने वाले आयोजनों में हिस्सा लेने के साथ ही प्रधानमंत्री शेख हसीना से द्विपक्षीय वार्ता में भी राष्ट्रपति कोविंद शामिल होंगे. विजय दिवस की स्वर्ण जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ के तौर पर उनका सम्मान किया जाएगा.