उत्तराखंड़ का महत्व सिर्फ देवभूमि होने के कारण ही नहीं है अपितु सीमावर्ती इलाका होने के कारण यह भारत की सुरक्षा के लिए भी अहम है। सीमांत इलाकों को जाने वाली सड़़कों का हर मौसम में खुला रहना जरूरी होता है जिससे जरूरत पड़़ने पर जरूरी सैन्य सामग्री और आयुध इत्यादि आसानी से मोर्चे पर पहुंचाए जा सकें। इलाके के विकास का भी इससे सीधा संबंध होता है। इसी अहमियत को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सामरिक रूप से अहम चारधाम राजमार्ग परियोजना के तहत बन रही सड़़कों को दो लेन तक चौड़़ा करने की मंजूरी दे दी। न्यायालय ने कहा कि हाल के समय में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं। अदालत न्यायिक समीक्षा में सेना की अवसंरचना की जरूरतों का अंदाजा नहीं लगा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता में समिति बनाई है जोे परियोजना के संदर्भ में सीधे न्यायालय को रिपोर्ट देगी। लगभग ९०० किलोमीटर लंबी चारधाम सड़़क परियोजना सामरिक रूप स बेहद महत्वपूर्ण है‚ जिस पर करीब १२ हजार करोड़़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इस परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड़ के चार पवित्र तीर्थ–यमुनोत्री‚ गंगोत्री‚ केदारनाथ और बद्रीनाथ–को हर मौसम में संपर्क प्रदान करना है। निगरानी समिति नये पर्यावरण आकलन पर विचार नहीं करेगी। रक्षा मंत्रालय सशस्त्र बलों की परिचालन जरूरतों को लेकर फैसला करने के लिए अधिकृत है जिनमें जवानों की आवाजाही की सुविधा के लिए अवंसरचना जरूरत भी शामिल है। मंत्रालय द्वारा व्यक्त सुरक्षा चिंताएं समय के साथ बदल सकती हैं। हाल के समय में राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष गंभीर चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं। केंद्र ने शीर्ष अदालत में तर्क दिया था कि अगर सेना मिसाइल लॉन्चर और भारी मशीनरी ही उत्तर की भारत–चीन सीमा तक नहीं ले जा सकेगी तो लड़़ाई होने पर कैसे रक्षा करेगी। चार धाम राजमार्ग परियोजना से हिमालयी क्षेत्र में भूस्खलन बढ़ने की चिंता पर सरकार ने कहा कि आपदा को रोकने के लिए सभी जरूरी उपाय किए जाएंगे। सरकार ने तर्क दिया कि देश के कई हिस्सों में भूस्खलन होता है और यह सड़़क निर्माण की वजह से नहीं होता। हिमालय प्रकृति के विकास क्रम में सबसे बाद में बनी संरचना है‚ इसीलिए इसे कमजोर माना जाता है। मानसून के मौसम में उत्तराखंड़ में अक्सर बाढ़‚ भूस्खलन जैसी घटनाएं होती हैं। वनों की कटाई ने पहाड़़ों को और कमजोर कर दिया है। सड़़कों के निर्माण के लिए ब्लास्टिंग की जाती है और मलबा नदियों में ड़ाल दिया जाता है। वर्तमान में भी राजमार्गों के निमार्ण के लिए वन संपदा दांव पर लगी है। इन सब बातों का ध्यान रखा जाए तो सीमाएं भी सुरक्षित रहेंगी और पर्यावरण को भी बचाया जा सकेगा।
पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर पर आतंकी साजिशों में शामिल होने का आरोप…………..
पिछले छह सालों में भारत पर हुए बड़े आतंकी हमलों के पीछे एक ही शख्स का नाम बार-बार उभरकर सामने...