नगालैंड के मोन जिले में रविवार को सेना की फायरिंग में 13 नागरिकों और एक जवान की मौत हुई। हादसे के बाद गुस्साए लोगों ने असम राइफल्स पर हमला किया जिसमें एक नागरिक की और मौत हो गई। इस मामले में मर्डर केस दर्ज किया गया है। नगालैंड सरकार ने पांच सदस्यों वाली स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम गठित की है। केस को क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया है।
सेना ने गोलीबारी और इसके बाद की घटनाओं पर खेद जताते हुए कोर्ट आफ इंक्वायरी का आदेश दे दिया है। नगालैंड सरकार ने भड़काऊ वीडियो, तस्वीरें या टेक्स्ट मैसेज का प्रसार रोकने के लिए जिले में मोबाइल, इंटरनेट और डाटा सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य सरकार ने मारे गए नागरिकों के परिवार को पांच-पांच लाख रुपये देने का एलान किया है। मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो सोमवार को घटनास्थल का दौरा करेंगे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे को घटना के बारे में अवगत करा दिया गया है।
गोलीबारी की पहली घटना शनिवार शाम ओटिंग और तिरु गांवों के बीच हुई। कुछ दिहाड़ी मजदूर कोयला खदान से पिक अप वैन से अपने घर लौट रहे थे। सुरक्षा बलों ने इन मजदूरों को गलती से उग्रवादी समझ लिया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रतिबंधित संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आफ नगालैंड-के (एनएससीएन-के) के युंग ओंग धड़े के उग्रवादियों की गतिविधि की सूचना मिलने के बाद अभियान चला रहे सैन्यकर्मियों ने वाहन पर गोलीबारी की। इसमें छह मजदूरों की मौत हो गई। मजदूर जब अपने घर नहीं पहुंचे तो स्थानीय युवा और ग्रामीण उन्हें खोजते हुए घटनास्थल तक पहुंचे। उन्होंने सैन्य बलों को घेरकर उन पर हमला कर दिया। उन्होंने सुरक्षा बलों के वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया। इस संघर्ष में एक सैनिक की मौत हो गई।