स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि केंद्र और राज्य की एनडीए सरकार सूबे में न्याय के साथ तेजी से विकास कर रही है। शनिवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा एक न्यूज चैनल पर खास कार्यक्रम में दिये बयान पर श्री पांडेय ने कहा कि राजद की स्थिति ‘खिसयानी बिल्ली खंभा नोंचे’ वाली है। दरअसल‚ बिहार के हर क्षेत्र में द्रुतगति से हो रहे विकास से उनकी सियासी रोटी नहीं पक पा रही है। इसलिए अनर्गल बातें कर हमेशा बरगलाते रहते हैं‚ लेकिन राज्य की जनता उनकी बातों को नोटिस नहीं लेती है।
श्री पांडेय ने कहा कि बिहार में मुख्य विपक्ष सबसे बडी पार्टी होने का दंभ भरता है‚ लेकिन जब बिहार मुसीबतों के दौर से गुजरता है‚ तो नेता प्रतिपक्ष दायित्व का निर्वहन छोड सैर–सपाटा करने कहीं और चले जाते हैं‚ जिसकी भनक उनकी पार्टी के लोगों को भी नहीं रहती। उनकी तानाशाही का ही परिणाम है कि तथाकथित महागठबंधन कभी बनता है‚ तो कभी टूटता है। यही नहीं‚ उनके रवैये से खफा उनकी पार्टी के कई दिग्गज भी लगातार राजद को बाय–बाय कर रहे हैं। जो लोग बिहार में कानून व्यवस्था और विकास की दुहाई दे रहे हैं‚ उनके पूर्वजों के शासनकाल से तंग आकर ही राज्य की जनता ने डेढ दशक पूर्व एनडीए को सत्ता सौंपा था। दशकों से परिवारवाद‚ वंशवाद और जातिवाद की राजनीति करने वालों ने सिर्फ और सिर्फ अपना और अपने रिश्तेदारों का घर भरने का काम किया है। यही नहीं‚ सामाजिक न्याय के नाम पर मुख्य विपक्ष राजद राजनीति का अपराधीकरण कर राज्य के खजानों पर १५ सालों तक डाका डालते रहा। जगजाहिर है कि पति–पत्नी के राज में बिहार की स्थिति बदहाल हुई और एक खास दल के लोग मालामाल होते रहे।
श्री पांडेय ने कहा उन्हें मालूम होना चाहिए कि बिहार के विकास में गुणात्मक प्रगति हो रही है न कि बिहार सरकार उनके माता–पिता के ढर्रे पर चल रही है। राज्य की जनता अब दहशत और गरीबी में नहीं‚ बल्कि सुखी और सम्मानित जिंदगी जी रही है। अब बिहारी कहलाना गर्व की बात है। केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से गरीब परिवार के हर घर में रौशनी‚ शौचालय और एलपीजी सिलेंडर की उपलब्धता करवायी जा रही है।
हर तबके और समुदाय के रोजगार और उनके समेकित विकास के लिए कई योजनाएं चलायी जा रही हैं। आधी आबदी को समान हक दिया जा रहा है। सरकारी नौकरियों में उनकी उचित भागीदारी के साथ–साथ उन्हें शिक्षित करने के लिए प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च और उच्चतर शिक्षा में उारार सुधार किया गया है। यही कारण है कि आज स्कूलों और कलेजों में छात्रों के साथ–साथ छात्राओं की उपस्थिति काफी रहती है।
बिहार में बढ़ सकती है कोरोना से मरने वालों की तादाद, पटना के आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता
टना में कोरोना से मरने वालों की तादाद अचानक बढ़ गई है। ऐसा राज्य के दूसरे जिलों में भी होने के पूरे आसार हैं। बिहार में कोरोना से मौत के आंकड़े और बढ़ सकते हैं। दरअसल, कोविड की दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की वास्तविक संख्या अब तक सरकारी रिकार्ड में दर्ज नहीं हो सकी है। अभी भी कई आवेदन लंबित हैं, जिनकी जांच चल रही है। सरकार ने सभी जिलों के डीएम व सिविल सर्जन को लंबित आवेदनों की जांच कर जल्द भेजने को कहा है। इसके बाद राज्यस्तरीय समिति इसकी समीक्षा करेगी। आगे जितने आवेदन स्वीकार होंगे उस हिसाब से मृतकों की सूची फिर अपडेट की जाएगी।
दरअसल, कोरोना की वजह से जिन लोगों की मौत हुई है उन्हें आर्थिक लाभ पहुंच सके, इसे ध्यान में रखकर सूची अपडेट की जा रही है। सरकार की ओर से 2424 मृतकों की सूची अपडेट की गई है। कई लोगों के आवेदन निरस्त भी किए गए हैं। ऐसे करीब 50 से अधिक आवेदन हैं। इन लोगों को मुआवजा देने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
पटना में कोरोना से मरने वालों की नई सूची में 380 नाम जुड़े
कोरोना से पटना में मरने वालों की नई सूची में 380 लोगों का नाम शामिल किया गया है। स्वजनों के आवदेन पर कराए गए सत्यापन में कोरोना से मौत की पुष्टि अस्पताल, श्मशान घाट, मृत्यु प्रमाणपत्र और आधार कार्ड से करा ली गई है। अब तक कोरोना से हुई मौत की संख्या पटना जिले में ढाई हजार पहुंच गई है।
आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से मृतकों के निकटतम आश्रित को चार-चार लाख रुपये भुगतान के लिए अंचल पदाधिकारी से आवासीय पते का सत्यापन कराने का निर्देश दिया गया है। अंचल पदाधिकारी को मृतक के आश्रित पति-पत्नी छोड़कर अन्य दावेदार होने की स्थिति में वंशावली के साथ भुगतान करने की अनुशंसा भेजने को कहा गया है। अब तक तीन किस्तों में कोरोना से मौत का सत्यापन कराया गया है। सबसे अधिक मौत पटना सदर और पटना सिटी क्षेत्र में हुई है।