मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल में मोतियाबिंद आपरेशन के बाद मरीजों के संक्रमण के मामले की जांच करने शनिवार को प्रदेश राजद की छह सदस्यीय टीम पहुंची। टीम के संयोजक विधायक राजवंशी महतो ने कहा कि अस्पताल की लापरवाही से गरीबों को अपनी आंख गंवानी पड़ी है, इसके लिए सरकार जिम्मेवार है। सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त है। नीतीश कुमार को आंख का इलाज कराना होता है तो दिल्ली चले जाते हैं लेकिन गरीब कहां जाएं। यदि यहां आंख के इलाज की सरकारी व्यवस्था बेहतर होती तो गरीबों को अपनी आंख नहीं गंवानी पड़ती।
जांच दल ने जिनकी आंख निकाली गई वैसे पीडि़त के स्वजनों को 20-20 लाख रुपये, जिनके आंखों की रोशनी चली गई उनके स्वजनों को 10-10 लाख रुपये और जिनकी मृत्यु हो चुकी है उनके स्वजन को 50 लाख रुपये मुआवजा राशि अविलंब देने की मांग सरकार से की। कहा कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो राजद सड़क से लेकर विधान सभा तक सरकार के खिलाफ संघर्ष करेगी। जांच दल में विधायक डा. रामानुज यादव, डा. मुकेश रौशन, पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम, प्रदेश महासचिव भाई अरुण एवं सतीश प्रसाद चंद्रवंशी शामिल थे। उनके साथ जिला राजद जिलाध्यक्ष रमेश गुप्ता, मुन्ना यादव, विधायक निरंजन राय, इसराइल मंसूरी, अनिल कुमार सहनी, महानगर राजद अध्यक्ष राई शाहिद एकबाल मुन्ना मौजूद रहे। जांच दल सबसे पहले मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल पहुंची और वहां के हालात का जायजा लिया। जांच टीम को जानकारी मिली कि सुपरिटेंडेंट छुट्टी पर हैं और डिप्टी सुपरिटेंडेंट जांच टीम के डर से हास्पिटल छोड़कर भाग गए हैं। इसके बाद जांच टीम ने एसकेएमसीएच में जाकर पीडि़तों व स्वजनों से मुलाकात की और पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली।
अस्पताल पहुंचकर डीएसपी और थानाध्यक्ष ने कर्मियों से की पूछताछ
आपरेशन के दौरान आंखों की रोशनी छीन लेने के मामले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्राथमिकी दर्ज कराई जाने के बाद ब्रह्मपुरा थाने की पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी है। मामले में शनिवार को नगर डीएसपी रामनरेश पासवान व ब्रह्मपुरा थानाध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता आइ हास्पिटल पहुंच कई ङ्क्षबदुओं पर जांच की। इस दौरान अस्पताल के कर्मियों, गार्ड व ओटी में काम करने वाले कर्मी से विभिन्न ङ्क्षबदुओं पर पूछताछ की गई। पूछताछ के बाद इन सभी का पुलिस पदाधिकारियों ने बयान दर्ज किया। नगर डीएसपी ने बताया कि सभी ङ्क्षबदुओं पर जांच चल रही है। साक्ष्य के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। दूसरी ओर पुलिस पदाधिकारियों का कहना है कि मामला दर्ज कर लिया गया है। संगीन धाराओं के तहत सभी को आरोपित किया गया है। इसलिए कभी भी आरोपितों की गिरफ्तारी हो सकती है। हालांकि पुलिस अधिकारियों की तरफ से इस संबंध में अभी कुछ नहीं कहा जा रहा। कहा जा रहा कि जांच प्रभावित होने की वजह से पुलिस अधिकारियों की तरफ से विशेष जानकारी नहीं दी जा रही। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से अस्पताल प्रबंधन, चिकित्सक समेत 14 पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। मामले में एसएसपी जयंत कांत का कहना है कि पूरे मामले में जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन की कवायद चल रही है। बोर्ड की रिपोर्ट से भी पुलिस जांच में सहयोग लिया जाएगा।