बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन विवाद के साथ खत्म हुआ। हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) के विधायकों ने शुक्रवार को विधानसभा में हंगामा खड़ा कर दिया। पार्टी विधायक ने सत्र समापन के दौरान वंदे मातरम गाने से मना कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष पर राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत थोपने का आरोप लगाया।
राष्ट्रगान को लेकर सदन में हुआ हंगामा
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन राष्ट्रगीत गाने को लेकर बवाल हुआ। सदन के अंदर ओवैसी के विधायकों ने राष्ट्रगीत गाने से मना कर दिया। एआईएमआईएम विधायक अख्तरुल इमान ने वंदे मातरम गाने को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने दलील देते हुए कहा कि संविधान में कहीं नहीं लिखा है कि राष्ट्रीय गीत गाना जरूरी है। दरअसल, इस बार शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभाध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सत्र के पहले दिन राष्ट्रगान (जन-गण-मन) और आखिरी दिन वंदे मातरम गाने की परंपरा शुरू की।
ऑप्शनल है राष्ट्रीय गीत गाना
अख्तरुल इमान ने कहा, ‘जिसे राष्ट्रीय गीत गाना है वो गाए। मगर मेरा सवाल यह है कि क्या संविधान में राष्ट्रीय गीत गाना अनिवार्य है? राष्ट्रीय गीत गाना ऑप्शनल है, राष्ट्रीय गीत गाना हमारे लिए जरूरी नहीं है।’ इसपर बीजेपी विधायक ने उनपर जमकर हमला बोला। बीजेपी विधायक संजय सिंह ने कहा कि जिन्हें सदन में राष्ट्रगीत गाने पर ऐतराज है वो देश से प्यार नहीं करते। ऐसे लोगों को देश छोड़कर चले जाना चाहिए। बता दें कि इससे पहले खुद एआईएमआईएम अध्यक्ष ओवैसी राष्ट्रगान और वंदे मातरम गाने को लेकर सवाल खड़े कर चुके हैं।
एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल इस्लाम ने यह भी कहा कि मैं वंदेमातरम नहीं कहूंगा. पूछे जाने पर अख्तरुल इस्लाम ने यहां तक कह दिया कि पहले यह बताया जाये कि यह जरूरी क्यों है? अख्तरुल इस्लाम ने कहा कि पूर्व में जिस तरह की परंपरा बिहार विधानसभा में चली आ रही है, आखिर पूर्व के जो लोग बिहार विधानसभा चलाते थे उन्होंने इस परंपरा को लागू क्यों नहीं किया.
अख्तरुल इस्लाम के इस बयान पर भाजपा विधायक संजय सिंह ने कहा कि आखिर वे राष्ट्र गीत क्यों नहीं गाएंगे. राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत नहीं गाने वालों से हमें आपत्ति हैं. वंदेमातरम गाने से यदि किसी को आपत्ति है, तो इसका मतलब साफ है कि उनकी मंशा ही गलत है.
भाजपा विधायक संजय सिंह ने कहा कि इस देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान अनिवार्य है, लेकिन जिन्हें इस पर आपत्ति है, तो जान लिजिए उनकी मंशा गलत है. जिनकों इस देश के राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान से आपत्ति है उनसे पूछिए कि उन्हें कहां का राष्ट्रगान अच्छा लग रहा है. अब कोई यह कहे कि देश का राष्ट्रीय पक्षी मोर को कबूतर क्यों नहीं बना दिया गया?