अंधें अंधा ठेलिया‚दोनों कूप पड़ंत! कबीर की यह बानी इस समय ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर की जोड़ी पर फिट बैठती नजर आती है। तृणमूल कांगेस के हाल के कदमों से‚ जिनमें मेघालय तथा गोवा में कांग्रेस को दलबदल के जरिए मुख्य विपक्षी पार्टी की हैसियत से अपदस्थ करने की तिकड़म शामिल है। बहरहाल‚ ममता तथा किशोर के ताजा बयान बताते हैं कि वे न सिर्फ कांग्रेस को देश के पैमाने पर विपक्ष के अगुआ की हैसियत से हटाने के लिए काम कर रहे हैं‚ इसकी उन्हें कुछ ज्यादा ही जल्दी भी है‚ लेकिन उनकी यह जल्दबाजी मोदी निजाम के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशों में पलीता लगाने का ही काम करेगी। दुर्भाग्य से यह जल्दबाजी इस खामख्याली पर टिकी हुई है कि विकल्प की खिचड़ी पकी–पकाई है‚ बस उसके प्रधानमंत्री का फैसला होना बाकी है। ऐसा कतई नहीं है। विकल्प की जगह धैर्य से और जनता के हितों के लिए संघर्षों से बननी है। इस तरह की जल्दबाजी विपक्ष की इस जगह के बनने में ही खलल डालती है और इसलिए वस्तुगत रूप से उल्टी पड़ सकती है। बहरहाल‚ ममता का एनडीए तथा कांग्रेस के साथ घृणा–प्रेम का जैसा नाता रहा है‚ उसे देखते हुए‚ बंगाल विधानसभा चुनाव में जोरदार जीत के बाद‚ उनकी जल्दबाजी समझी जा सकती है। पिछले आम चुनाव की पूर्व–संध्या में भी ममता ने इसी तरह विकल्प खड़ा करने की विफल कोशिश की थी लेकिन‚ उनके राजनीतिक–चुनावी चाणक्य की भूमिका में प्रशांत किशोर का ममता को इस रास्ते पर ठेलना‚ जरूर थोड़ा हैरान करता है। आखिरकार‚ राजनीतिक परामर्श के इस नये जमाने के धंधे में उनकी प्रतिष्ठा को देखते हुए‚ वह कम–से–कम इस तथ्य से अनजान नहीं हो सकते हैं कि क्षेत्रीय पार्टियों की मुकम्मल कतारबंदी अगर किसी संयोग से कायम हो भी जाए‚ तब भी उस कांग्रेस को अलग करके वास्तविक विकल्प नहीं पेश कर सकती है‚ जो अब भी एक–तिहाई से ज्यादा लोक सभा सीटों पर प्रभावी है। इसलिए‚ पहले से विपक्ष के नेतृत्व का फैसला कराने की जिद‚ सिर्फ विपक्ष का खेल बिगाड़ सकती है। लेकिन‚ किशोर का खुद परामर्श सेवा के अपने धंधे से अलग‚ उनके अपने शासक का चाणक्य बनने के उतावलेपन की ओर इशारा करता है। इसी का नतीजा है–अंधे‚अंधा ठेलिया।
भारतीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट , सेंसेक्स 1235 अंक टूटा
भारतीय शेयर बाजार का बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स में आज 1,200 से अधिक अंकों की गिरावट दर्ज की गई, जबकि निफ्टी...