बिहार के गोपालगंज और बेतिया में इस हफ्ते जहरीली शराब से 25 लोगों की मौत के बाद भारी बवाल मचा है. विपक्ष पूरे मामले को लेकर लगातार सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है. वहीं सूबे के सीएम नीतीश कुमार ने भी शुक्रवार को बड़ा बयान देते हुये कहा है कि छठ महापर्व के बाद शराबबंदी को लेकर समीक्षा बैठक की जाएगी. शराबबंदी को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए बड़ा अभियान चलाया जाएगा. ऐसे में बिहार में शराब से हो रही मौतों के बीच कुछ और आंकड़े और तथ्यों को भी आपको जानना चाहिए. दरअसल आज न्यूज 18 हिन्दी आपको बिहार में पंचायत चुनाव, हर पंचायत में भट्टियां और जहरीली शराब से मौत के बीच वोट फिक्सिंग और ‘दारू’ कनेक्शन के बारे में बताने जा रहा है. बिहार में इस बार पंचायात चुनाव 11 चरणों में हो रहा है, अब तक छठे चरण का चुनाव हो चुका है. लेकिन, छठे चरण तक शराब सेवन को लेकर जो आंकड़े जारी किए गए हैं वह निश्चित तौर पर कुछ देर के लिए किसी को भी हैरान कर सकते हैं. अलग-अलग जिलों से जो आंकड़े सामने आए हैं उसके अनुसार अब तक बिहार के हर पंचायत में एक से दो शराब भट्टियों के होने की जानकारी मिली है. हालांकि प्रशासन इन सभी को नष्ट करने की बात कह रहा है. लेकिन, गांवों की हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है.
एक और आंकड़े के अनुसार प्रशासन ने 1 सितंबर से लेकर 3 नवंबर तक करीब एक लाख से अधिक शराब भट्टियों को नष्ट किया है. इसके अलावा हर चरण में अलग-अलग पंचायतों से अवैध शराब मिलने की खबर भी आती रही है. कई शराब कारोबारियों को गिरफ्तार करने का मामला भी देखने को मिलता रहा है. इन आकड़ों से आप समझ सकते हैं कि बिहार में पंचायत चुनाव के दौरान शराब की कितनी अहम भूमिका होती होगी !
बिहार पंचायत चुनाव के 6 चरणों की बात करें तो हर चरण में 12 हजार से उपर शराब भट्टियां नष्ट की गयी हैं. पहले चरण में 50 लाख लीटर से ज्यादा शराब जब्त हुई है. पहले चरण में 5406143 लीटर शराब जब्त किया गया, वहीं 12054 भट्टियां नष्ट की गयी. दूसरे चरण में 5616783 लीटर शराब बरामद हुआ, जबकि 14034 भट्टियों को तोड़ा गया. इसी तरह तीसरे चरण में 5706072 लीटर शराब जब्ती और 16363 भट्टियां नष्ट हुईं. चौथे चरण में 5963958 लीटर शराब बरामद हुई, वहीं 19410 शराब भट्टियों को तोड़ा गया. पांचवें चरण में 5963958 लीटर शराब जब्त हुई और 20193 भट्टियों को नष्ट किया गया. अगर बात करें छठे चरण की तो इसमें 6181802 लीटर शराब की बरमदगी हुई, वहीं 22774 शराब की भट्टियों को नष्ट किया गया.
बिहार के गोपालगंज जिले में जहरीली शराब से हुई 10 लोगों की मौत मामले में भी पंचायत चुनाव के दौरान वोटरों को प्रभावित करने की बात सामने आ रही है. मिली जानकारी के अनुसार जिले मोहम्मदपुर के कुशहर, मोहम्मदपुर और तुरहा टोला में प्रत्याशियों द्वारा समर्थकों और दूसरे ग्रामीणों को शराब परोसा जा रहा था और इसी शराब के सेवन से लोगों की मौत की बात कही जा रही है. इस मामले में गोपपालगंज के डीएम डॉ नवल किशोर का कहना है कि तीन जगह छापेमारी की गयी है, जिसमें से 2 जगहों पर शराब बरामद हुआ है.
चुनाव में क्यों बढ़ जाती है शराब की खपत
बिहार पंचायत चुनाव ही नहीं, विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव के दौरान भी अलग-अलग जिलों में शराब की खपत बढ़ जाने के मामले पहले भी आते रहे हैं. लेकिन, बिहार पंचायत चुनाव में खास तौर पर ग्रामीणों के बीच देसी शराब के सेवन को खूब बढ़ावा दिया जाता है. वोट फिक्सिंग के लिए देसी शराब का इस्तेमाल कोई नई और छिपी बात नहीं है. अपने पक्ष में ग्रामीणों से वोट करवाने के लिए प्रत्याशी और उनके समर्थक बड़े आराम से शराब की सप्लाई कराते हैं. इस मामले को लेकर बिहार के जाने-माने पत्रकार और लेखक पुष्य मित्र का कहना है कि चुनाव के दौरान वोटरों को प्रभावित करने के लिए शराब पिलाने का चलन बहुत पुराना है और यह बिहार ही नहीं दूसरे राज्यों में भी देखने को मिलता है. बिहार में शराबबंदी है, ऐसे में इस तरह के मामले आना गंभीर बात है. बिहार में बीते दिनों जहरीली शराब से हुई मौतों को अब पंचायत चुनाव के लिए शराब का उपयोग करने से भी जोड़ा जा रहा है.
वहीं इस मामले को लेकर वरिष्ठ पत्रकार रामाकांत चन्दन का कहना है कि भले ही बिहार में शराबबंदी कानून लागू है लेकिन इसके बावजूद राज्य में शराब की सप्लाई लगातार जारी है. बेतिया और गोपालगंज में जहरीली शराब से मौत मामले को पंचायत चुनाव से भी जोड़ कर इसलिए देखा जा रहा है क्यों कि चुनाव के दौरान शराब पिलाकर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का सिलसिला दशकों से चल रहा है और इस बार भी ऐसी ही बात सामने आ रही है कि ग्रामीणों को नकली शराब मिला जिस कारण उनकी मौत हुई है.