पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस का दामन छोड़ नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है. पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस के खिलाफ खड़े होंगे. पिछले कुछ दिनों से पीएम नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह सहित कई बड़े बीजेपी नेताओं के साथ उनकी मुलाकात ने संभावित गठबंधन की ओर भी इशारा कर दिया है. बीजेपी के लिए अकेले पंजाब में कोई बड़ा उलटफेर करने की अभी संभावना नहीं दिखती है. ऐसे में वह कैप्टन के साथ राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश करेगी.
पंजाब में नए कृषि कानूनों को लेकर बीजेपी और अकाली दल का गठबंधन पहले ही टूट चुका है. अब बीजेपी नए सहयोगी के तौर पर कैप्टन की ओर देख रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और अकाली दल ने साथ मिलकर 117 में से 18 सीटें जीती थीं. बीजेपी ने दावा किया था कि अकाली दल की सरकार के खिलाफ एंटी इंकंबेंसी की वजह से ऐसा हुआ. बीजेपी को उस चुनाव में तीन सीटें हासिल हुई थीं. पंजाब बीजेपी के महासचिव सुभाष शर्मा का कहना है- कैप्टन ने बीजेपी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन की इच्छा जाहिर की है जो कि स्वागत योग्य कदम है. पंजाब के लोगों की भलाई के लिए कोई भी गठबंधन हमें स्वीकार है.
कैप्टन अमरिंदर ने भले की कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बनाने का ऐलान किया हो लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उनकी लोकप्रियता अब भी बरकरार है. सुभाष शर्मा ने कहा कि पंजाब कांग्रेस में उथल-पुथल के बावजूद कैप्टन अमरिंदर की लोकप्रियता बनी हुई है. वो कहते हैं- सबसे बड़ी बात ये है कि राष्ट्रहित के मुद्दों पर वो सख्त स्टैंड लेते हैं. बीजेपी की सोच भी कुछ ऐसी ही है. चेहरे की कमी है. इसलिए इस गठबंधन (कैप्टन-बीजेपी) से राज्य के लोगों को फायदा मिलेगा. शर्मा की यह भी कहना है कि केंद्र सरकार पहले भी किसानों से वार्ता कर चुकी है. अगर उसी दिशा में प्रयास किए जाएं तो किसानों के फायदे के लिए कुछ समाधान की उम्मीद की जा सकती है.