विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर बिहार उत्पादकता परिषद् एवं बिहार उद्योग संघ के सहयोग से“ Better Production, better nutrition,a better environment and a better life” OUR ACTIONS ARE OUR FUTURE” विषय पर एक नेशनल वेबिनार का आयोजन किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में राजेंद्र प्रसाद एग्रीकल्चरल सेंट्रल विश्विद्यालय के कुलपति डा. आर. सी. श्रीवास्तव उपस्थित थे।
अधिवक्ता बसंत कुमार सिन्हा,परिषद् के सेक्रेटरी जेनेरल ने सेमिनार के विषय पर एक संक्षिप्त टिप्पणी करते हुए बताया की 40 प्रतिसत आबादी पोषणयुक्त भोजन से बंचित है। अनाज का नुकसान तक़रीबन 14% हार्वेस्टिंग और भण्डारण में, 17% उपभोक्ता के स्तर पर हो जाता है । 33% अनाज दुनिया के छोटे किसानो के द्वारा उपज होती है। 2 बिलियन लोग मोटापे के शिकार हो चुकें हैं। दुनिया की 20% महिलाएं 25-34 उमर की गरीबी रेखा के निचे हैं। दुनिया की 55% आबादी शहरों में बस्ती है और 2050 तक 68% होने की संभावना है जो चिंता का विषय है।
#पटना – #विश्व_खाद्य_दिवस के अवसर पर #बिहार उत्पादकता परिषद् एवं बिहार उद्योग संघ के सहयोग से नेशनल वेबिनार का आयोजन जिसमे डॉ आर. सी. श्रीवास्तव , डी.के.श्रीवास्तव ,सुधीर कुमार सिंह ,बसंत कुमार सिन्हा , डॉ प्रिय रंजन त्रिवेदी इत्यादि ने भाग लिया । pic.twitter.com/UhdYzjkOOD
— UB INDIA NEWS (@ubindianews) October 17, 2021
स्वागत भाषण डी.के.श्रीवास्तव,अध्यक्ष, बिहार उत्पादकता परिषद् ने दिया और बताया की तक़रीबन 800 मिलियन आबादी कोविड जैसी महामारी के बाद भूख से लड रही है ।
डॉ प्रिय रंजन त्रिवेदी,अध्यक्ष इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट, ने अपने भाषण में सस्टेनेबल कृषि फ़ूड पैर फोकस किया तथा और सेफ फ़ूड की चर्चा की। इस सिस्टम में दुनिया में तक़रीबन 100 करोड़ लोग काम कर रहे हैं जो की किसी भी सेक्टर में काम करनेवालों से अधिक है। इसलिए इस सेक्टर पर विशेष ध्यान देने की आवस्यकता है।
डॉ.आशुतोष उपाध्याय Principal Scientist (ICAR) ने अपने प्रेजेंटेशन में क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर के बारे में विस्तार से चर्चा की तथा वाटर प्रोडक्टिविटी,क्रॉप वाटर प्रोडक्टिविटी, एग्रीकल्चरल वाटर प्रोडक्टिविटी, लैंड एंड एनर्जी प्रोडक्टिविटी और ओं फार्म वाटर मैनेजमेंट के ऊपर चर्चा की तथा जलवायु परिवर्तन के साथ किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इस पर बल दिया।
मुख्य अतिथि डा.रमेश चन्द्र श्रीवास्तव, कुलपति राजेंद्र प्रसाद एग्रीकल्चरल सेंट्रल यूनिवर्सिटी,पूसा ने कहा की चिंता का विषय ये है की हंगर इंडेक्स में बिहार का पोजीशन कहाँ है। जब भी बिहार का देता देखता हूँ तो दुःख भर गुस्सा आता है।
नेशनल परकैपिटल इनकम एक लाख के आस पास है जबकि बिहार की 32-33 हज़ार तक सिमित है। प्रोडक्टिविटी के क्षेत्र में भी हम पीछे रह गए हैं। हमें अपनी इनकम को हर हाल में बढ़नी होगी तभी हम भूख एवं अन्य कमियों को दूर कर पाएंगे।
सुधीर कुमार सिंह (मैनेजिंग डायरेक्टर,झाखंड मिल्क फेडरेशन) ने डेयरी के क्षेत्र में और उत्पादन बढाने पर जोर दिया ।
डॉ.जनार्दंजी(आई.सी.ए.आर) ने कृषि के क्षेत्र में नए विकाश की ओर ध्यान दिलाया और दुनिया में भूखे लोगों की बढती आबादी पर चिंता जताई । निशित रंजन ने एनिमल हसबेंडरी द्वारा रोजगार सृजन पर बल दिया ताकि भूख की समस्या में कमी आये । चर्चा में श्री जे.के. सिंह (पूर्व फ़ूड डायरेक्टर, बिहार), डॉ.सी के.झा,(साइंटिस्ट, पूसा) ने अपने-अपने विचार रखे ।