6 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश के हरदा में आयोजित स्वामित्व योजना के शुभारंभ कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल होते हुए देश के ३००० गांवों के १.७१ लाख ग्रामीणों को जमीनों के अधिकार पत्र सौंपते हुए कहा कि स्वामित्व योजना गांवों की जमीन पर बरसों से काबिज ग्रामीणों को अधिकार पत्र देकर उन्हें आÌथक रूप से आत्मनिर्भर बनाने वाली महतवाकांक्षी योजना है। कहा कि ग्रामीणों को उनके भूखंडों पर मालिकाना हक मिलने से वे गैर–संस्थागत स्त्रोतों से उचे ब्याज पर उधार लेने के लिए मजबूर नहीं होंगे। भूखंडों के दस्तावेज का उपयोग बैंकों से ऋण सहित विभिन्न आÌथक और वित्तीय कार्यों में कर सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि २५ सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र संघ के ७६वें सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि देश के ६ लाख गांवों में ड्रोन से भूखंडों का सर्वेक्षण कराकर उनके मालिकों को संपत्ति का स्पष्ट तौर पर स्वामित्व सौंपकर उन्हें आÌथक रूप से सशक्त बनाने की स्वामित्व योजना तेजी से आगे बढ़ाई जा रही है। गौरतलब है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आÌथक सशक्तिकरण और गांवों में नई खुशहाली की इस महkवाकांक्षी योजना के सूत्र मध्य प्रदेश के वर्तमान कृषि मंत्री कमल पटेल द्वारा वर्ष २००८ में उनके राजस्व मंत्री रहते तैयार की गई मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार योजना से आगे बढ़ते हुए दिखाई दिए हैं। हरदा में जन्मे और ग्रामीण परिवेश में आगे बढ़े कमल पटेल ने लगातार अनुभव किया कि दशकों से गांवों में रह रहे ग्रामीणों को यदि उनके स्वयं के भूखंडों पर मालिकाना हक के दस्तावेज मिल जाएं तो उनकी आÌथक शक्ति बढ़ेगी और इससे गांवों में भी अप्रत्याशित रूप से आÌथक खुशहाली बढ़ जाएगी। इसी परिप्रेIय में ८ अक्टूबर‚ २००८ को पटेल के गृह जिले हरदा के मसनगांव और भाट परेटिया गांवों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में १५५४ भूखंडों के मालिकाना हक के पट्टे मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका के माध्यम से दोनों गांवों के किसानों और मजदूरों को सौंपे गए थे।
इस अभियान से ग्रामीणों के सशक्तिकरण के आशा के अनुरूप सुकून भरे परिणाम प्राप्त हुए। जब नरेंद्र सिंह तोमर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री बने तब देश भर के गांवों में ग्रामीणों को उनके भूखंडों का मालिकाना हक देने के महkव के मद्देनजर स्वामित्व योजना पर महkवपूर्ण विचार मंथन हुआ। २४ अप्रैल‚ २०२० को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पांच राज्यों में स्वामित्व योजना की शुरु आत की गई। इसके बाद २४ अप्रैल‚ २०२१ को पंचायत राज दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना को राष्ट्रीय स्तर पर चरणबद्ध रूप से लागू किए जाने की घोषणा की। हाल ही में प्रस्तुत राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) की रिपोर्ट–२०२१ से पता चलता है कि कृषि उत्पादन से कमाई घटी है‚ और कर्ज बढ़ा है। साथ ही‚ बड़ी संख्या में ग्रामीण परिवारों की आमदनी का जरिया मजदूरी बन गया है।
यही धारणा एनएसएस के २०१३ के पिछले सर्वे में भी नजर आई थी। २०१५–१६ में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक द्वारा किए गए सर्वे में भी इसे दोहराया गया था। इस रिपोर्ट के अनुसार जहां वर्ष २०१३ से १९ के बीच पिछले ६ साल में खेती करने वाले परिवारों की संख्या ९ करोड़ से बढ़कर ९.३ करोड़ हो गई है‚ वहीं इसी अवधि के दौरान कृषि क्षेत्र से इतर काम करने वाले परिवारों की संख्या ६.६ करोड़ से बढ़कर करीब ८ करोड़ हो गई। साथ ही‚ औसत कृषक परिवारों पर २०१८–१९ में कर्ज बढ़कर ७४‚१२१ रुûपये हो गया है‚ जो २०१२–१३ में ४७‚००० रु पये था। इस रिपोर्ट के अनुसार संपत्ति स्वामित्व रखने वाले शीर्ष १० प्रतिशत परिवारों ने अपने कुल ऋण का ८० प्रतिशत संस्थागत स्रोतों से उधार लिया जबकि निचले स्तर के ५० प्रतिशत परिवारों ने अपने कुल ऋण का लगभग ५३ प्रतिशत गैर–संस्थागत स्रोतों से उधार लिया। चूंकि जहां एक ओर अधिकांश ग्रामीण गरीबों के पास स्वयं के नाम से भूसंपत्ति नहीं होती है‚ वहीं दूसरी ओर संस्थागत ऋण तक पहुंच काफी हद तक परिवारों की संपत्ति और ऋण चुकाने की क्षमता से निर्धारित होती है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब ग्रामीण संस्थागत ऋण से दूर हो जाते हैं। ऐसे में स्वामित्व योजना के तहत प्राप्त होने वाले जमीन के मालिकाना हक के किसान कम ब्याज दर के पर आसान और कम जोखिमपूर्ण ऋण लेकर आÌथक मुश्किलों का मुकाबला कर पाएंगे और आÌथक रूप से भी सशक्त हो सकेंगे।
इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि ग्रामीण परिवारों की बदहाली दूर करने के लिए किसानों को उद्यमी बनाया जाना जरूरी है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की २०१८–१९ में कृषि से जुड़े परिवारों के आकलन संबंधी रिपोर्ट में कहा गया है कि गांवों में अपनी कुल आय का ५० फीसदी से अधिक हिस्सा खेती से अर्जित करने वाले किसानों की तादाद महज लगभग चार करोड़ है। गांवों के बकाया किसान अपनी ५० फीसदी से अधिक आय अन्य साधनों और मजदूरी से प्राप्त करते हैं। ऐसे कृषि श्रमिकों को कृषि योजनाओं का पर्याप्त फायदा नहीं मिल पाता है। ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि या पीएम किसान योजना के अंतर्गत लगभग ११ करोड़ किसानों को वित्तीय लाभ मिल रहा है। ऐसे में स्वामित्व योजना के तहत भूखंडों के दस्तावेज के आधार पर कम ब्याज दर पर आसान ऋण प्राप्त करके ग्रामीणों द्वारा गांवों में ही सूIम‚ लघु एवं ग्रामीण उद्योग शुरू करके आमदनी में वृद्धि की जा सकेगी तथा कृषि के इतर आÌथक गतिविधियां बढ़ने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था की ताकत को भी बढ़ाया जा सकेगा‚ जो ग्राम स्वराज के लिए एक उदाहरण बन सकेगी। हम उम्मीद कर सकते हैं कि ८ अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ३००० गांवों के ग्रामीणों को उनकी जमीन का अधिकार पत्र सौंपकर उनके आÌथक सशक्तिकरण और खुशहाली के लिए शुरू की गई स्वामित्व योजना के उपयुक्त कारगर क्रियान्वयन से ग्रामीण भारत में आÌथक खुशहाली का नया चमकीला अध्याय लिखा जा सकेगा। साथ ही‚ इस योजना से गांव की तकदीर और तस्वीर बदलने की नई संभावनाएं आगे बढ़ सकेंगी।