कोयले की कमी से होने वाले बिजली संकट को देखते हुए अब खुद प्रधानमंत्री ने इस मामले में दखल देते हुए एक एक्शन प्लान तैयार किया है। इसके जरिए जल्द ही राज्यों को हो रही कोयले की कमी और बिजली संकट को दूर कर लिया जाएगा। इसके लिए सरकार पूरी तरह से मुस्तैदी दिखा रही है।
बढ़ेगा उत्पादन और आपूर्ति
मौजूदा समय में ताप बिजली घरों की रोजाना की कोयले की मांग करीब 19 लाख टन है। वहीं सोमवार को 19.5 लाख टन कोयले की आपूर्ति हुई है। इसको एक सप्ताह में बढ़ाकर हर रोज 20 लाख टन किया जाएगा। इस बात की भी उम्मीद है कि इस माह के अंत तक अधिकतर बिजली घरों के पास आठ दिनों के कोयले का भंडार उपलब्ध होगा।
अपना स्टाक ले जाएं राज्य
कोयला मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वो कोल इंडिया के स्टाक से कोयला ले जाएं। केंद्र के मुताबिक बीते चार दिनों में संयंत्रों को होने वाली कोयला आपूर्ति में काफी सुधार हुआ है। सरकार ये भी साफ कर चुकी है कि जो राज्य केंद्र सरकार के बिजली प्लांट से आवंटित बिजली की आपूर्ति अपने ग्राहकों को नहीं करेंगे उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में उन राज्यों को मिलने वाली अतिरिक्त बिजली आवंटन रद कर दूसरे जरूरत मंद राज्यों को कर दिया जाएगा।
सरकार ने भविष्य में कोयले की आपूर्ति को बढ़ाने के लिए 40 नए कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। ये कोयला ब्लाक की नीलामी का तीसरा चरण होगा। पहले दो चरणों में 28 ब्लाक की नीलामी की गई थी। केंद्र की तरफ से कहा गया है कि झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रेदश, महाराष्ट्र, बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश व असम में स्थित कुल 88 कोल ब्लाक की नीलामी होनी है।
मौजूदा संकट राज्यों द्वारा केंद्र की बताई बातों की अनदेखी की वजह से ही हो रहा है। दरअसल, इस वर्ष मार्च में ही केंद्र की तरफ से बिजल संयंत्रों को कहा गया था कि वो कोयले का पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित कर लें। लेकिन इसको राज्यों ने गंभीरता से नहीं लिया इसकी वजह से अब ये राज्य परेशानी का सामना कर रहे हैं। बता दें कि मंगलवार को इस मामले में पीएम ने समीक्षा बैठक की थी।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि राज्यों की तरफ से कोल इंडिया के करीब 21,000 करोड़ रुपये बकाया हैं। फिलहाल महाराष्ट्र पर 2,600 करोड़ रुपये, बंगाल पर 2,000 करोड़, तमिलनाडु व मध्य प्रदेश पर 1,000 करोड़, कर्नाटक पर 23 करोड़ व राजस्थान पर 280 करोड़ रुपये बकाया है। माना जा रहा है कि स्थिति सुधरने पर ये राज्य कोल इंडिया को बकाया राशि का भुगतान भी कर देंगे।
बता दें कि अप्रैल 2021 में कोल इंडिया के पास 10 करोड़ टन कोयले का स्टाक था। वहीं यदि वर्ष 2020 के अप्रैल माह की बात करें तो ये स्टाक 7.5 करोड़ टन कोयला था। लेकिन राज्यों ने न तो कोयले का भंडारण ही सुनिश्चित किया और न ही कोल इंडिया की बकाया राशि को ही चुकाया। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी कोयले की कीमत की वजह से भी इस पर असर पड़ा। इसका नतीजा ये हुआ कि राज्यों ने आयात बंद कर केंद्र से अतिरिक्त कोयले की मांग की। राज्यों ने इस मामले में जब आंख खोली जब देश के 135 ताप बिजली घरों में से आधे से ज्यादा संयंत्रों में कोयले का भंडार महज पांच दिनों का ही रह गया।
केंद्र जिस तेजी के साथ इस समस्या से निपटने की कोशिश कर रहा है वहीं पंजाब, उत्तराखंड, बिहार व मध्य प्रदेश लगातार अपनी समस्या का रोना रोने में लगे हुए हैं। एक सच्चाई ये भी है कि पहले ही तुलना में उत्तराखंड, बिहार व मध्य प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में स्थिति सुधरी है। वहीं हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा व छत्तीसगढ़ में इस तरह की कोई समस्या नहीं है। हालांकि पंजाब में जरूरत स्थिति खराब है। यहां पर काफी समय से लंबे समय के लिए बिजली कटौती करनी पड़ रही है।