शारदीय नवरात्र के नौ दिनों के अंतर्गत मां दुर्गा के अलग–अलग स्वरुपों की पूजा की जा रही है। सोमवार को पंचमी व षष्ठी तिथि एक दिन होने से ज्येष्ठा नक्षत्र व सौभाग्य योग में पंचम तथा षष्ठम स्वरूप में देवी स्कंदमाता व कात्यायनी माता की पूजन हुई। देवी को प्रसन्न करने में श्रद्धालु कोई कसर नहीं छोड रहे हैं। नाना प्रकार के भजन‚ स्तुति‚ लोकगीत‚ कीर्त्तन‚ विविध आरती‚ विशेष भोग‚ पत्र–पुष्प‚ ईत्र आदि अर्पण कर माता की पा पाने हेतु प्रार्थना किया जा रहा है। माता के उपासक अपनी विशेष कामना की पूर्ति के लिए विशेष मंत्र से जाप व पाठ कर रहे हैं।
रवियोग में आज खुलेगा माता का पट
आज मंगलवार को सप्तमी तिथि‚ मूल नक्षत्र एवं शोभन योग में सभी पूजा पंडालों‚ मंदिरों एवं घरों में स्थापित माता जगत जननी का विधि–विधान से पूजा करने के बाद वेदोक्त मंत्रोचार के साथ माता का पट खोला जाएगा तथा देवी के सातवें स्वरूप माता कालरात्रि की पूजा भी होगी। आश्विन शुक्ल सप्तमी में माता का पट प्रातः ०६.१४ बजे सूर्योदय के बाद खोला जायेगा। श्रद्धालुओं को माता जगदम्बा का दिव्य दर्शन सुबह से ही होने लगेगा। पत्रिका प्रवेश की पूजा भी आज ही किया जायेगा।
आज से चारदिवसीय विशेष पूजा
मंगलवार को आश्विन शुक्ल सप्तमी में देवी दुर्गा का पट खुलने के बाद श्रद्धालु अगले चार दिनों तक माता की विशेष आराधना में लीन हो जायेंगे। पट खुलने के बाद श्रद्धालुओं को माता का विहंगम दर्शन प्राप्त होगा। १३ अक्टूबर बुधवार को महाष्टमी में माता महागौरी की पूजा के साथ श्रृंगार पूजा भी किया जाएगा। इसी दिन मध्यरात्रि में महानिशा पूजा कर भक्त माता की विशेष अनुकंपा पाएंगे। वहीं महानवमी दिन गुरुवार को सिद्धिदात्री माता का पूजा‚ दुर्गा सप्तशती पाठ का समापन‚ हवन‚ पुष्पांजलि व कन्या पूजन किया जाएगा। आश्विन शुक्ल दशमी शुक्रवार को विजयादशमी का पर्व होगा। इसी दिन देवी की विदाई और जयंती धारण किया जाएगा।
माता का पट खुलने का शुभ मुहूर्त
सप्तमी तिथि– प्रातः ०६.१३ बजे से मध्यरात्रि ०२.०० बजे तक
मूल नक्षत्र–सुबह से लेकर शाम ०४.२६ बजे तक
शोभन योग–सूर्योदय से दोपहर ०२.२० बजे तक
अभिजित मुहूर्त– दोपहर ११.१३ बजे से ।११. ५९ बजे तक
गुली काल मुहूर्त–दोपहर ११–३६ बजे ०१– ०३ बजे तक॥