वर्ष २०२४ में होने वाले लोकसभा चुनाव के ‘महाभारत’ के लिए भाजपा ने अभी से शतरंजी बिसात बिछाना शुरू कर दी है। इसी सिलसिले में भाजपा के शीर्ष रणनीतिकारों ने राज्यों में ‘सेनापतियों’ को भेजना शुरू कर दिया है। हरीश द्विवेदी को बिहार भाजपा का प्रभारी नियुक्त करना इसी रणनीति का हिस्सा है। भाजपा की नयी राष्ट्रीय कार्यकारिणी से साफ संकेत मिलता है कि भाजपा अपने कोर जनाधार को खोना नहीं चाहती है। इसलिए भाजपा ने हरीश द्विवेदी पर भरोसा जताकर एक साथ बिहार व उत्तरप्रदेश दोनों स्थानों के जनाधार को सम्यक संदेश दे दिया है। फिलहाल भाजपा के सामने फरवरी २०२१में उत्तरप्रदेश का चुनाव है। यह चुनाव वर्ष २०२४ में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए निर्णायक साबित होने वाला है। पूरे देश के विपक्ष की नजर उत्तरप्रदेश में लगी है। उनके लिए उत्तरप्रदेश का चुनाव करो या मरो के समान है। पश्चिमी उत्तरप्रदेश में किसान आंदोलन भाजपा के लिए चुनौती है। लखीमपुरी की घटना से भाजपा को चोट पहुंची है। ऐसे में अब भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अपने कोर वोटरों को बांधने का प्रयास शुरू कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन अवसर पर सेवा ही समर्पण अभियान के तहत भाजपा ने १७ सितंबर से ०७ अक्टूबर तक जनता के बीच जाकर मैराथन अभियान चलाया। प्रदेश भाजपा मुख्यालय में तो एक दिन में पांच–पांच कार्यक्रम किए गए। कई केन्द्रीय मंत्रियों ने इस अभियान में हिस्सा लिया। हालांकि महागठबंधन की मजबूती देखकर बिहार में भाजपा ने मौजूदा वर्ष के प्रारंभ से ही संगठन को और मजबूत करने के लिए अपनी गतिविधियां बढ़ा दी है। एक नयी रणनीति के तहत संगठन को और सशक्त करने का अभियान छेड़़ दिया गया है। भाजपा के शीर्ष नेताओं के निर्देश पर पार्टी ने ९–१० जनवरी को ही राजगीर में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। इस शिविर में भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष की मौजूदगी में पार्टी नेताओं को संगठन को और सशक्त बनाने पर जोर दिया था। भाजपा अपने कुछ खास नेताओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें ट्रेनिंग मास्टर तैयार किया है। राजगीर से ट्रेनिंग लेकर भाजपा के ये ट्रेनिंग मास्टर बिहार के हर जिले में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में सांसद‚ विधायकों समेत कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दे चुके हैं। जनवरी महीने के आखिरी सप्ताह में जिला स्तरीय ट्रेनिंग कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में क्षेत्र के सभी सांसद‚ विधायक व एमएलसी समेत अन्य प्रमुख नेता भी शामिल हुए। प्रदेश और जिला स्तरीय ट्रेनिंग समाप्त होने के बाद भाजपा अपने सभी मंडल और बूथ के स्तर पर ट्रेनिंग आयोजित की।०–१४ फरवरी तक मंड़लों में प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। इसके बाद ६ अप्रैल से भाजपा के स्थापना दिवस पर बूथ स्तर पर अपनी ताकत झोंकी।
दरअसल बिहार विधानसभा चुनाव के बाद भी आराम फरमाने की आदत छोड़़ भाजपा नेताओं को जनता के बीच जाने का निर्देश मिला है। प्रदेश के हर बूथ की खांका तैयार कर ली गई है। बूथ पर छह राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। ०६ अप्रैल को स्थापना दिवस मनाने के बाद २३ जून को बलिदान दिवस‚ २५ सितंबर को पं. दीनदयाल उपाध्याय जयंती समारोह मनाया गया। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा ने कई होमवर्क किए। भाजपा ने बू्थ स्तर पर तीन पदाधिकारियों (त्रिशक्ति) को खड़े़ की। बिहार में ७२००० से अधिक बूथ है। प्रत्येक बूथ पर त्रिशक्ति के अलावा बूथ अध्यक्ष ने प्रत्येक पंचायत में १९ सदस्य खड़े़ किए और इन १९ सदस्यों में महिला सदस्यों के आरक्षण का भी ख्याल रखा गया। भाजपा वर्ष २०२४ में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर आक्रामक रूख तैयार करने जा रही है। इस बीच पार्टी अपने एजेंडे़ पर चलेगी। एनआरसी को बिहार समेत यूनिफॉम सिविल कोड़ या समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए आगे बढ़ेगी। पिछले दिनों प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भाजपा ने समान नागरिक संहिता लागू करने का स्पष्ट संकेत दे दिया है। भाजपा ने साफ कहा कि आज देश में समान नागरिक संहिता की मांग है‚क्योंकि कांग्रेस‚ राजद‚ सपा‚ तृणमूल‚ डीएमके‚ मुस्लिम लीग जैसे दल इसी तुष्टिकरण के नीतियों पर चल रहे हैं और पोषित हो रहे हैं ।