आफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद जिस बात का अंदेशा था‚ वह अब सच होने लगा है। कश्मीर में बीते दो दिनों में जिस प्रकार आतंकियों ने आम लोगों को निशाना बनाया है; वह ९० के शुरुआती दौर की आहट सरीखा है‚ जब आतंकियों ने धर्म के आधार पर लोगों को निशाना बनाया था। इसके बाद लाखों की संख्या में हिंदुओं को सबकुछ छोड़़कर पलायन करना पड़़ा। विश्लेषक इन घटनाओं का जो भी आकलन करें‚ लेकिन गैर मुस्लिमों को अगर इसी तरह निशाना बनाया जाता रहा तो बीते दो दशक में कश्मीर में सामान्य हालात बहाल करने के प्रयासों पर पानी फिर सकता है। अनुच्छेद ३७० के निष्प्रभावी होने और उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के कमान संभलने के बाद सूबे में रौनक लौटने लगी थी‚ खासकर पर्यटन में। उद्योग लगाने के लिए रेल–सड़़क जैसी आधारभूत संरचना पर जोर दिया जा रहा था। स्थानीय निकाय के चुनाव में भी लोगों ने बढ़–चढ़कर हिस्सा लिया था। अलगाववादी तत्व भी करीब–करीब हाशिए पर दिख रहे थे। ऐसा लगने लगा था कि कश्मीर में आतंक बीते दौर की बात हो चुकी है। सोशल मीडि़या पर सैलानियों की तस्वीरें इसकी गवाही दे रही थीं। आतंकवादियों की हालिया वारदातों से एक बात स्पष्ट है–बदले माहौल को फिर से लहूलुहान करना। बाहरी और गैर मुसलमानों को खास तौर पर निशाना बनाना। यह खतरनाक इसलिए है कि इस प्रकार की घटनाओं का शेष भारत में सांप्रदायिक संदेश भी जाएगा। सवाल है आतंक की इस नई लहर से निपटने की तैयारी क्या होॽ सुरक्षाबल तो अपना काम करेंगे ही। सबसे माकूल जवाब आतंकियों को तो यही होगी कि लोग कश्मीर से दूरी न बनाएं‚ अपने कार्यक्रम को यथावत रखें। दूसरा‚ आवेश में कश्मीर या धर्म विशेष के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी से बचें। क्योंकि इस प्रकार की प्रतिक्रियाएं आतंक के उद्देश्यों के लिए खाद–पानी का काम करती हैं। तीसरी और सबसे अहम बात–घाटी में आतंक के खिलाफ जंग स्थानीय लोगों की मदद के बिना नहीं जीती जा सकती। सो‚ किसी भी प्रकार के धार्मिक और क्षेत्र विशेष को निशाना बनाते हुए टिप्पणी से परहेज निहायत जरूरी है। क्योंकि आतंक की विचारधारा भी यही करवाना चाहती है। जन्नत को दोबारा जहन्नुम नहीं बनने देना होगा।
आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में एक बार फिर अपने नापाक इरादों को अंजाम दिया है। श्रीनगर के सफाकदल इलाके में गवर्नमेंट ब्यॉज हायर सेकेंडरी स्कूल के अंदर घुसकर आतंकियों ने दो शिक्षकों की गोली मारकर हत्या कर दी।
इनकी पहचान स्कूल की प्रिंसिपल सुखविंदर कौर जो कि सिख और शिक्षक दीपक जो कि हिंदू के रूप में हुई है। मिली जानकारी के मुताबिक, आतंकी हमले में दोनों शिक्षक घायल हो गए थे और उन्हें अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन बाद में उन्होंने दम तोड़ दिया।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक, दोनों शिक्षक जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर के ईदगाह इलाके में स्थिति गवर्नमेंट ब्यॉज हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाते थे। आंतकियों ने स्कूल के अंदर घुसकर शिक्षकों पर फायरिंग कर दी।
रिपोर्ट के मुताबिक, चार से पांच शइक्षक प्रिंसिपल ऑफिस में मीटिंग कर रहे थे। तभी कम से कम 2 आतंकी घुस आए। आतंकियों ने मुस्लिम शिक्षकों को ग्रुप से अलग कर दिया और गैस मुस्लिम अध्यापकों को स्कूल की इमारत से से बाहर खींच ले गए। इसके बाद उन पर गोलियां चलाकर मौके से फरार हो गए।
इस हमले की सूचना मिलने के बाद DGP समेत कई पुलिस अधिकारी स्थिति का जायजा लेने के स्कूल पहुंच गए हैं। जम्मू-कश्मीर के DGP दिलबाग सिंह ने कहा कि घाटी में जो आम नागरिकों पर हमले हो रहे हैं वो पूरी तरह से जम्मू-कश्मीर में दहशत फैलाने के लिए किए जा रहे हैं। बेगुनाह लोगों को निशाना बनाया जा रहा है ताकि लोगों का आपस में भाईचारा खत्म हो सके। वहीं जम्मू कशअमीर पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस हमले की निंदा की है।
बता दें कि दो दिन पहले ही 5 अक्टूबर को आंतकवादियों ने श्रीनगर में एक कश्मीरी पंडित को निशाना बनाया था। आतंकवादियों मंगलवार को श्रीनगर में बिंदरू मेडिकेट के मालिक 68 वर्षीय माखन लाल बिंदरू की गोली मारकर हत्या कर दी थी। कश्मीर पुलिस के मुताबिक, आतंकवादियों ने कश्मीरी पंडित कारोबारी माखनलाल बिंदरू को उनकी मेडिकल की दुकान में गोली मारकर हत्या कर दी थी।
जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने कहा है कि हालिया आतंकी हमलों के जिम्मेदार लोग यदि पाताल में भी छिपे हों तो उन्हें खोजकर सजा दी जाएगी। सिन्हा ने कहा कि आतंकियों द्वारा टारगेटेड किलिंग एक मैसेज देने के लिए की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस तरह एक आम नागरिक को गोलियों से भून देना एक नया पैटर्न है। हालांकि उन्होंने घाटी के हर शख्स की जिन्हें आतंकी टारगेट करना चाहते हैं, विशेष रूप से सिखों, हिंदुओं और कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा का मुकम्मल इंतजाम किया जाएगा।
यह पूछे जाने पर कि आतंकियों द्वारा इस तरह टारगेट करके लोगों की हत्या करने के पीछे क्या मंशा हो सकती है, मनोज सिन्हा ने कहा, ‘यह स्वाभाविक रूप से कायरतापूर्ण हमला है, और शायद पहली बार किसी महिला पर इस तरह हमला करके उसकी जान ली गई है। वह महिला यतीम बच्चों की सेवा करती थी, उनके लिए काम करती थी और कश्मीर के अनेक बच्चों को पढ़ा करके उनका भविष्य निर्माण करती थी। इसकी जितनी निंदा की जाए कम है। उनके परिजनों के प्रति हमारी पूरी संवेदना हैं, और उनके आंसुओं की एक-एक बूंद का हिसाब सूद सहित और कायदे से किया जाएगा। यह सच है कि टारगेटेड किलिंग की जा रही है।’
सिन्हा ने कहा, ‘टारगेटेड किलिंग एक मैसेज देने के लिए की जा रही है। आतंकवाद फैलाने की कोशिश जो कुछ यहां के लोग और कुछ कहीं और बैठे उनके आका कर रहे हैं, उनसे निपटे के लिए सुरक्षाबलों को पूरी आजादी दी गई है। इस तरह आम आदमी को गोलियों से भून देना एक नया पैटर्न है। इन लोगों को पसंद नहीं है कि यहां शांति, सद्भाव और विकास आए। जम्मू-कश्मीर में जुलाई में लगभग 10.5 लाख लोग घूमने के लिए आए थे। अगस्त में 11 लाख 28 हजार लोग आए थे और सितंबर में यह आंकड़ा 12.25 लाख के ऊपर चला गया था। ये समान्य आदमी के जीवन को बर्बाद करना चाहते हैं। इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों को पाताल से खोजकर सजा देने का काम प्रशासन करेगा।’