लखीमपुर खीरी का घटना को लेकर सियासी घमासान जारी है और नेताओं के बीच घटनास्थल पर पहुंचने की होड़ लगी है। बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और 3 अन्य नेताओं को लखीमपुर खीरी जाने की इजाजत दे दी है। राहुल गांधी अपने 2 मुख्यमंत्रियों भूपेश बघेल और चरनजीत सिंह चन्नी के साथ लखीमपुर खीरी जाने के लिए लखनऊ पहुंचे हुए थे।
इस बीच राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं को लखीमपुर खीरी में दाखिल होने से रोकने के लिए ईस्टर्न पेरीफेरल हाईवे पर बागपत के पास ट्रैफिक बंद कर दिया गया था। बहराइच में एक किसान के अंतिम संस्कार के दौरान कुछ घंटों के लिए इंटरनेट बंद रहा।
झड़प में मारे गए एक किसान के शव का अंतिम संस्कार करने से परिवार के लोगों ने मंगलवार को मना कर दिया था। उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गोली लगने का जिक्र नहीं है। किसान नेता राकेश टिकैत के दखल के बाद तीनों शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया जबकि चौथे शव का फिर से पोस्टमॉर्टम किया जाएगा। राज्य सरकार ने इस घटना की जांच के लिए एडिशनल एसपी अरुण कुमार की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) का गठन कर दिया है।
लखीमपुर खीरी पुलिस की ओर से जो FIR दर्ज की गई है उसमें साफ तौर पर केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा का नाम मुख्य आरोपी के रूप में दर्ज है। उस पर किसानों की भीड़ को गाड़ी से कुचलने और पिस्टल से फायरिंग करने का आरोप है। आशीष के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या के आरोप दर्ज किए गए हैं। FIR में साफ तौर पर कहा गया है कि आशीष मिश्रा मौके पर मौजूद थे। वह थार जीप पर सवार था और उसके साथ अन्य गाड़ियों में 15 से 20 हथियारबंद लोग थे। FIR में कहा गया है कि आशीष मिश्रा थार जीप में ड्राइवर के पास बाईं तरफ वाली सीट पर बैठा था और उसे भीड़ पर फायरिंग करते हुए देखा गया। FIR में ‘दरिंदगी’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है।
FIR में कहा गया है कि आशीष मिश्रा जीप पलटने के बाद उससे कूदकर बाहर निकला और पास के गन्ने के खेत में छिपने के लिए भागा। FIR में यह भी जिक्र है कि यह सब पूरी तरह पहले से प्लान करने के बाद किया गया। FIR में इस्तेमाल किए गए ज्यादातर शब्द किसानों द्वारा जिले के अधिकारियों को दिए गए आवेदन में लिखे गए शब्दों से मेल खाते हैं।
इससे पहले मंगलवार को केंद्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी की जीप से किसानों को कुचलने का दर्दनाक वीडियो सामने आने के बाद राजनीतिक दलों ने केंद्रीय राज्यमंत्री को तत्काल पद से हटाने और उनके बेटे को गिरफ्तार करने की मांग की। घटनास्थल का 29 सेकेंड का दिल दहलाने वाला वीडियो किसानों द्वारा शेयर किया गया है। इस वीडियो में नजर आ रहा है कि एक खेत के पास सड़क के दोनों ओर काले झंडे और बैनर के साथ किसान जा रहे थे, लेकिन उनमें से कोई भी पीछे की तरफ नहीं देख रहा था। तभी अचानक पीछे से एक गाड़ी तेजी से आती है। इस वीडियो में ड्राइवर दोनों हाथों से स्टीयरिंग व्हील को थामे नजर आ रहा है। आगे खड़े किसान को जरा भी अंदाजा नहीं था कि गाड़ी उसे कुचलने जा रही है। गाड़ी उसे कुचलते हुए आगे बढ़ जाती है।
ये जानबूझकर की गई हत्या के हृदय विदारक दृश्य हैं। जब गाड़ी आगे चली गई तो पीछे कई लोग जमीन पर पड़े हुए थे। इनमें से कई लोग चीख रहे थे, उनकी सांसें तेज चल रही थी। कोई बेसुध था तो किसी की सांसें टूट रही थी। लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस जीप के पीछे आ रही ब्लैक कलर की SUV ने भी रोड पर मौजूद शख्स को रौंद दिया। ये सब कुछ इतनी जल्दबाजी में हुआ कि वहां मौजूद लोगों को कुछ समझ ही नहीं आया। उन्हें जरा भी आभास नहीं था कि पीछे से कोई कार उनके चीथड़े उड़ाने के लिए आगे बढ़ रही थी। कुछ प्रदर्शनकारी तो छलांग लगाकर रास्ते से हट गए लेकिन कुछ लोग गाड़ी से कुचल दिए गए।
एक अन्य वीडियो में आसमानी रंग का कुर्ता पहने हुए एक शख्स थार जीप से उतरकर तेजी से भागता हुआ हुआ दिखाई दिया। उस शख्स का कई लोग पीछा करते हैं और वह खेतों की ओर भागता है। किसानों ने एक और वीडियो शेयर किया जिसमें एक शख्स अपनी पिस्टल लहराते हुए दौड़ रहा है और कुछ लोग उसे घेरे हुए हैं। किसानों का कहना है कि वह शख्स मंत्री का बेटा आशीष मिश्रा था। इस वीडियो को सोशल मीडिया पर बीजेपी सांसद वरुण गांधी और कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा ने शेयर किया था। वरुण गांधी ने ट्वीट किया, लखीमपुर खीरी के खिसानों को जानबूझकर कुचले जाने का यह वीडियो किसी को भी अंदर से हिला देने वाला है। पुलिस को इसका संज्ञान लेना चाहिए और कार में जो लोग भी दिख रहे हैं उन्हें और उनसे जुड़े लोगों को गिरफ्तार करना चाहिए।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी और उनके बेटे आशीष मिश्रा ने इंडिया टीवी के रिपोर्टर पवन नारा को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में दावा किया कि वे निर्दोष हैं। मंत्री ने कहा, ‘मेरा बेटा थार जीप में नहीं था। प्रदर्शनकारियों ने जब जीप पर हमला बोला तो उसमें ड्राइवर घायल हो गया, जिससे गाड़ी ने बैलेंस खो दिया और यह प्रदर्शनकारियों को कुचलती हुए आगे बढ़ गई।’ मंत्री के बेटे ने दावा किया कि वह घटनास्थल से कई किलोमीटर दूर दंगल के कार्यक्रम में मौजूद थे।
अजय मिश्रा टेनी ने स्वीकार किया कि वीडियो में दिख रही गाड़ी उनके नाम पर रजिस्टर्ड है और इसे उनका ड्राइवर हरिओम मिश्रा चला रहा था, जिसे प्रदर्शनकारियों ने पीट-पीट कर मार डाला। यह पूछे जाने पर कि कुर्ता पहने हुए गाड़ी से भागता हुआ शख्स कौन था, अजय मिश्रा ने उसे पहचानते हुए कहा कि वह पार्टी कार्यकर्ता सुमित जायसवाल था।
अजय मिश्रा ने बार-बार यही कहा कि वीडियो में जो गाड़ियां दिख रही हैं, उनमें उनका बेटा आशीष नहीं था। उन्होंने कहा, उन्हें नहीं पता कि किन परिस्थितियों में गाड़ियां भीड़ पर चढ़ गईं। उन्होंने कहा कि हो सकता है लोग जान बचाकर भाग रहे हों। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि ड्राइवर ने गाड़ी पर से अपना कंट्रोल खो दिया हो जिससे वह बाद में पलट गई। सुमित जायसवाल ने हमारे रिपोर्टर पवन नारा से बात करते हुए माना कि गाड़ी से उतरकर भागते हुए वही दिखाई दे रहे हैं।
विपक्ष के नेता आशीष मिश्रा की तत्काल गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार ने लखीमपुर खीरी घटना की तुलना ब्रिटिश शासन के दौरान हुए जलियांवाला बाग कांड से कर दी। पवार ने कहा, यह साफ तौर पर ‘शक्ति का दुरुपयोग’ था और सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश को इस घटना की जांच करनी चाहिए। शिरोमणि अकाली दल के सुप्रीमो प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि वह किसानों की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सरकार की असंवेदनशीलता और निष्क्रियता को लेकर स्तब्ध हैं। सीनियर बादल ने कहा, ‘दोषी चाहे भी हों, उन्हें सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।’
इसमें कोई शक नहीं कि लखीमपुर खीरी में जो कुछ भी हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था और किसानों की दर्दनाक तरीके से गाड़ियों से कुचलकर मौत हो गई। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कार्रवाई करने में अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी है। सरकार ने मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया है, हाई कोर्ट के एक रिटायर्ड जज द्वारा न्यायिक जांच की घोषणा की है और मारे गए लोगों के परिजनों के लिए 45 लाख रुपये की मदद की घोषणा की है। मंत्री के बेटे के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है और सब कुछ पारदर्शी तरीके से किया जा रहा है। इन सबके बावजूद विपक्षी दल इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे भी किसी को शिकायत नहीं होनी चाहिए। सियासी दलों को अपनी आवाज उठाने का अधिकार है, लेकिन ऐसा करते हुए उन्हें राष्ट्र हित का ध्यान रखना चाहिए।
मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि शरद पवार जैसे सीनियर नेता ने इस घटना की तुलना जलियांवाला बाग से कर दी। कुछ नेताओं ने कहा कि ऐसा अत्याचार अंग्रेजों के जमाने में भी नहीं हुआ था, जबकि कुछ अन्य नेताओं ने उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर दी। मुझे लगता है ये कुछ ज्यादा हो गया।
सबकी कोशिश यह होनी चाहिए कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो, दोषियों को सजा मिले और आगे ऐसी घटना न हो। चुनाव आएंगे और जाएंगे, सरकारें बनेंगी और गिरेंगी लेकिन लोग अगर कानून अपने हाथ में लेने लगे, बदला लेने के लिए एक दूसरे की जान लेने लगेंगे तो प्रदेश कैसे बचेगा, देश कैसे चलेगा।