बिहार विधानसभा उपचुनाव में सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन में दरार आ गयी है. राजद ने दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार तय कर दिये. इस फैसले का कांग्रेस ने विरोध किया और राजद पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतार दिये. लेकिन उपचुनाव में अलग होने के बाद अब महागठंधन टूटा है या नहीं, इसे लेकर अभी भी दोनों दल संशय की स्थिति में ही है.
राजद और कांग्रेस ने कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम तय कर दिये. कांग्रेस महागठबंधन की ओर से कुशेश्वरस्थान की सीट चाहती रही लेकिन राजद ने स्पस्ट कर दिया उपचुनाव में राजद ही दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी. जिसके बाद कांग्रेस ने बगावत के सुर छेड़े और राजद पर हमलावर हुई.
कांग्रेस लगातार अपनी नाराजगी जताती रही और अंत में उपने उम्मीदवार दोनों सीटों पर उतार दिये. जिसके बाद यह कहा जाने लगा कि महागठबंधन टूट गया है. कांग्रेस के नेताओं ने भी इस बात को माना कि महागठबंधन अब नहीं रहा. कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा की बात करें या विधायक दल के नेता अजीत शर्मा की, या फिर बिहार अध्यक्ष मदन मोहन झा, सबने एक सुर में राजद पर हमला बोला.
उधर, राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने तो कांग्रेस की क्षमता पर ही सवाल उठा दिया और कहा कि कांग्रेस में दोनों सीटों को जीतने की क्षमता कांग्रेस में नहीं है. कांग्रेस को पहले अपनी जमीनी हकीकत देखनी चाहिए. कांग्रेस के उम्मीदवार को कांग्रेस कार्यकर्ता ही वोटिंग नहीं करेंगे.
वहीं महागठबंधन के बारे में जब भी तेजस्वी यादव से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उपचुनाव में कई बार ऐसे मुकाबले होते हैं. हम फ्रेंडली फाइट के लिए तैयार हैं. लेकिन तेजस्वी भविष्य में सभी सीटों पर राजद के द्वारा अकेले चुनाव लड़ने की बात भी कह चुके हैं. दूसरी तरफ एक प्रेस कॉफ्रेंस के दौरान कांग्रेस के बिहार अध्यक्ष मदन मोहन झा से जब महागठबंधन को लेकर सवाल किये गये कि क्या कांग्रेस महागठबंधन में बनी हुई है या फिर अलग हो चुकी है तो उन्होंने कहा कि ये आलाकमान तय करेगा कि हमें बिहार में किस तरह चलना है. अभी इसपर कुछ भी नहीं कहा जा सकता.
इस तरह कहा जा सकता है कि अभी बहुत कुछ बिखर तो चुका है लेकिन कुछ ठोस बातें तब ही सामने आएंगी जब आधिकारिक तौर पर घोषणा की जाएगी. हालांकि ताजा हाल को देखें तो अब केवल घोषणा ही बची हुई दिख रही है. लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए, कहना मुश्किल है.
दूसरी तरफ बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने आरजेडी और कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए कहा कि ये बेमेल समझौता कुछ दिनों तक चलेगा और टूट जायेगा. कृषि मंत्री ने शायराना अंदाज में कहा कि कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा और भानुमति का कुनबा जोड़ा. जब जनता ने नकार दिया तो फिर से सत्ता में आने के लिए कुछ लोग बेताब हैं