बिहार में नीति आयोग की तर्ज पर अब जिलों की रैंकिंग होगी। नीतीश सरकार ने इसके लिए 17 स्टैंडर्ड तैयार किया है। इसी के आधार पर जिलों की कैटेगरी तय की जायेगी। आगे की विकास योजनाओं को बनाने में भी इसका ख्याल रखा जाएगा।
जिलों का विकास इंडेक्स तैयार होगा
जिस तरह नीति आयोग अपनी रिपोर्ट में राज्यों के विकास का इंडेक्स तैयार करता है, ठीक उसी तरह बिहार सरकार जिलों की रैंकिंग तय करने जा रही है। साल 2030 तक सतत विकास लक्ष्य को हासिल करने के लिए अब जिलों की रैंकिंग की जाएगी। इसके लिए 17 प्रमुख स्टैंडर्ड पर स्थिति का मूल्यांकन किया जाएगा।
ये हैं वो 17 मानक, जान लीजिए
इंडेक्सिंग के लिए जो 17 मानक तैयार किए गए हैं, उनमें गरीबी का खात्मा, भुखमरी समाप्त करना, स्वस्थ्य जीवन सुनिश्चित करना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिंग समानता, सभी के लिए जल और स्वच्छता की उपलब्धता, सभी के लिए किफायती ऊर्जा, आर्थिक विकास और रोजगार, उद्योग का विस्तार, राज्यों के अंदर असमानता को कम करना, शहरों का बेहतर विकास, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्रवाई करना, शांतिपूर्ण और समावेशी समाज को बढ़ावा देना और वैश्विक भागीदारी में वृद्धि शामिल है।
राज्य की तर्ज पर जिलों की रैंकिंग
योजना और विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने सभी जिलाधिकारियों को रैंकिंग को लेकर पत्र लिखा है। उनसे कहा गया है कि लक्ष्य को लेकर जिला इंडेक्स फ्रेमवर्क तैयार कराएं। हर मानक में जिले की क्या उपलब्धि है, इसकी समीक्षा करें। जिलों को लिखे पत्र में विभाग ने कहा है कि नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य की मॉनिटरिंग के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मानक तैयार किया गया है, जिसके आधार पर तुलनात्मक उपलब्धियों की समीक्षा की जाती है। राज्यों की रैंकिंग होती है। इसी आधार पर जिलों की भी रैंकिंग की जाएगी।