बिहार में अभी जातीय जनगणना की शोर कम भी नहीं हुई थी कि अब फिर एक बार विशेष दर्जे की मांग पर सियासत शुरू हो गई है. जेडीयू के मंत्री विजेंद्र यादव के बयान पर आरजेडी (RJD) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने मंगलवार को कहा कि जिस तरह से जेडीयू (JDU) ने विशेष राज्य के दर्जे पर सरेंडर किया उससे वह एक्सपोज हो गई है. विशेष राज्य के दर्जे पर जेडीयू सिर्फ राजनीति कर रही थी. उन्हें इससे कोई मतलब नहीं था. ये बिहार की 12-13 करोड़ जनता के साथ धोखा है. किस काम का डबल इंजन की सरकार?
मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि बीजेपी के मंत्री नितिन नवीन कह रहे हैं कि आत्मनिर्भर बनें और देने वाला राज्य बने बिहार. 16 वर्षों में बीजेपी खुद आत्मनिर्भर नहीं बन पाई. उधार के चेहरे पर चुनाव लड़ती है. बीजेपी के पास कोई मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं होता है. बीजेपी को बताना चाहिए कि बिहार ना देने वाला राज्य बन पाया है और ना लेने वाला राज्य बन पाया है. बाढ़ में क्या मिला? नरेंद्र मोदी के पैकेज का क्या हुआ?
जेडीयू को पीएम मोदी से उम्मीदः अजय आलोक
उधर, जेडीयू नेता अजय आलोक ने कहा कि सुरमाला से अगर कोई सुर गायब हो जाए तो फिर उसी सुर को बार-बार बोलना उचित नहीं होता. जब विशेष राज्य के दर्जे का प्रवाधान केंद्र सरकार ने खत्म ही कर दिया और हम मांग-मांग के थक गए तो समझ गए कि विशेष राज्य के दर्जे का प्रावधान ही खत्म हो गया, लेकिन हमें सहायता तो चाहिए. विशेष मदद नहीं मिलेगी तो बिहार को हम आगे कैसे बढ़ाएंगे. राज्य को मिले डेढ़ करोड़ के पैकेज पर काम हो रहा है. इसके अतिरक्त भी हमें चाहिए. हमें उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ, सबका विकास’ के तहत उन्होंने विशेष सहायता दी भी है और आगे भी देते रहेंगे, यही उम्मीद करते हैं.
वहीं, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि हम सड़क से लेकर सदन तक लड़ेंगे. जान देना होगा तो जान देंगे. जिस राजनीतिक दल को पीछे हटना है हट जाए. यह सदन से पारित एजेंडा है और बिहार को विशेष दर्जा मिलना चाहिए. इसके लिए जिन्हें बैकफुट पर जाना है वह चले जाएं. हम जीतकर अपना हक लेंगे. बिहार का हक है विशेष दर्जा और इसको लेकर रहेंगे. इसके लिए जो भी संघर्ष करना पड़े हम उसे करने के लिए तैयार हैं.