वाम दलों के नेताओं ने शुक्रवार को संयुक्त संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर कहा कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान विगत १० महीनों से दिल्ली के मोर्चे पर डटे हुए हैं जिसमें अब तक ६०० से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं। बावजूद इसके अंबानी–अडानी परस्त केंद्र सरकार किसानों से वार्ता करने को तैयार नहीं है। यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। वाम नेताओं ने कहा कि सरकार जनता की गाढी कमाई से खडी राष्ट्रीय सम्पदाओं रेल‚ सेल‚ भेल‚ सडक‚ अस्पताल‚ बैंक‚ बीमा आदि बेचने में लगी है। कमरतोड मंहगाई से त्रस्त जनता के ऊपर टैक्स का बोझ लगातार बढता जा रहा है। आजादी के बाद अर्थव्यवस्था की ऐसी बुरी हालत कभी नहीं हुई थी। बेरोजगारी रोज नया रिकॉर्ड बना रही है। वहीं मजदूरी दर में भारी गिरावट हुई है। ४४ श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूर विरोधी ४ श्रम कोड कानून लाया गया है। प्रस्तावित बिजली विधेयक के जरिये केंद्र सरकार बिजली का कॉरपोरेटीकरण करने में लगी है। इसके खिलाफ २७ सितंबर को संयुक्त किसान संगठनों के आह्वान पर आयोजित भारत बंद बिहार में ऐतिहासिक होने वाला है। वाम दल पूरी मुस्तैदी के साथ बंद के समर्थन में सडकों पर उतरेंगे। वाम नेताओं ने बिहार में बाढ‚ किसानों–बटाईदारों को प्रति एकड ३० हजार रुपये मुआवजा‚ मनरेगा मजदूरों का कार्ड‚ काम और समय पर मजदूरी भुगतान की गारंटी‚ मनरेगा में दैनिक मजदूरी ६०० रुपये करने‚ वायरल फीवर से लगातार हो रही मौत आदि मुद्े भी उठाए।संवाददाता सम्मेलन में भाकपा–माले के धीरेन्द्र झा व केडी यादव‚ सीपीएम के अरुण मिश्रा व गणेश शंकर सिंह तथा सीपीआई के इरफान अहमद व इंदुभूषण जी शामिल थे।
PK को मिली अस्पताल से छुट्टी, राज्यपाल से मिला प्रतिनिधि मंडल
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर के स्वास्थ्य में सुधार आने के बाद पटना के अस्पताल से छुट्टी मिल...