सितम्बर २४‚ २०२१ भारतीय शेयर बाजार के लिए ऐतिहासिक दिन सिर्फ इसलिए नहीं है कि इस दिन मुंबई शेयर बाजार का सूचकांक सेंसेक्स अब तक के सबसे ऊंचे स्तर यानी ६०‚०४८.४७ बिंदु पर बंद हुआ। यह ऐतिहासिक इसलिए भी है कि एक हजार बिंदुओं से तीस हजार बिंदुओं का सफर तय करने में सेंसेक्स को करीब पच्चीस वर्ष का वक्त लगा पर तीस हजार से साठ हजार का सफर सेंसेक्स ने करीब छह साल में तय कर लिया। इससे पता चलता है कि छह सालों में सेंसेक्स ने तूफानी रफ्तार दिखाई है। पर यहां नहीं भुलाया जाना चाहिए कि कोरोना से ग्रस्त सेंसेक्स मार्च २०२० में २६००० बिंदुओं पर धराशायी था। यानी करीब अठारह महीनों में ही सेंसेक्स दोगुने से ज्यादा के स्तर पर पहुंच गया। यानी जो निवेशक मार्च २०२० में डरकर शेयर बेच रहे थे‚ वो अब पछता रहे होंगे। जो निवेशक मार्च २०२० के बाजार में हिम्मत से साथ जमे रहे‚ वो अब खुश होंगे। शेयर बाजार अनिश्चितता का कारोबार है। इस अनिश्चितता को झेलने के लिए कलेजा चाहिए। आम निवेशक के पास वह कलेजा और ज्ञान दोनों ही नहीं होते। इसलिए आम निवेशक तेजी का फायदा उठाते नहीं दिखते। छोटे निवेशक को बाजार से जब खरीदना चाहिए था‚ तब वह बेच रहा होता है और जब बेचना होता है तब वह खरीद रहा होता है। यह कहानी हर बार दोहराई जाती है। इस बार का oश्य कुछ अलग होगा ऐसा न मानने की कोई वजह नहीं है। कुल मिलाकर सेंसेक्स के ऊपर जाने की मोटे तौर पर तीन वजहें हैं–एक तो यह कि देश में टीकाकरण रफ्तार पकड़ चुका है‚ यानी एक दिन में करोड़ से ज्यादा टीके लगाए जाने की खबरें इक्का–दुक्का नहीं हैं। रफ्तार पकड़ने का आशय है कि लोगों में भरोसा बढ़ रहा है। लोग घर से कार खरीदने के लिए‚ टूर वगैरह के लिए‚ शापिंग मॉल में जा रहे हैं। हवाई अड्डों पर भीड़ बढ़ रही है। कारों की सेल बढ़ रही है। यानी वजह नंबर एक यह टीकाकरण जनित विश्वास अर्थव्यवस्था में आ रहा है। दूसरी वजह यह है कि दुनिया भर के निवेशकों का चीन से भरोसा कम हो रहा है। तीसरी वजह यह है कि अब भारतीय निवेशक भी म्चुअल फंडों के जरिये और सीधे शेयर बाजार में निवेश करने के लिए बढ़– चढ़कर आ रहे हैं। तो शेयर बाजार नई ऊंचाईयों पर जा रहा है। पर जैसा कि हर तेजी में होता है‚ नादान पिट जाते हैं और समझदार कमा जाते हैं‚ सो सावधानी जरूरी है खासकर छोटे और आम निवेशकों के लिए।