बिहार में अवैध रेत के खेल में शामिल दो पूर्व आइपीएस अधिकारी राकेश दुबे और सुधीर पोरिका की मुश्किलें लगातार बढ़ रही है. राज्य सरकार ने दो आइपीएस अधिकारियों पूर्व आरा एसपी राकेश कुमार दुबे और पूर्व औरंगाबाद एसपी सुधीर कुमार पोरिका की निलंबन अवधि बढ़ा दी है. गृह विभाग के स्तर से जारी आदेश में कहा गया है कि इन दोनों अधिकारियों का निलंबन 22 जनवरी 2022 तक के लिए विस्तारित कर दिया गया है.
अवैध बालू खनन में मिली भगत के आरोप में आइपीएस सुधीर कुमार पोरिका और राकेश कुमार दुबे को 27 जुलाई 2021 को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था. इन्हें 60 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था, जिसकी समय सीमा 24 सितंबर 2021 को पूरी हो रही है. परंतु सरकार ने इनकी निलंबन अवधि को आगामी चार महीने के लिए जारी रखने का निर्णय लिया है.
वहीं दोनों अधिकारियों को अपना-अपना पक्ष रखने के लिए 30 दिनों का समय दिया गया था, लेकिन दोनों का कोई बचाव पक्ष लिखित या बयान के तौर पर प्राप्त नहीं हुआ है. इसके बाद आगे की कार्रवाई की गयी है. हालांकि गृह विभाग के स्तर से अभी इससे संबंधित विधिवत आदेश जारी नहीं किया गया है, लेकिन इस प्रस्ताव पर सहमति बन गयी है.
आइपीएस सुधीर कुमार पोरिका पर डीए केस होना तय- आइपीएस अधिकारी सुधीर कुमार पोरिका पर डीए (आय से अधिक संपत्ति) केस होना तय माना जा रहा है. गृह विभाग ने इन पर आय से अधिक संपत्ति मामले में कार्रवाई करने के लिए ईओयू के एडीजी को लिखित आदेश जारी किया है. विभाग के स्तर से जारी निलंबन आदेश में ही इसका स्पष्ट तौर पर जिक्र किया गया है. इससे यह तय हो गया है कि अगला डीए केस पूर्व एसपी पोरिका पर होना तय है. ईओयू जल्द ही इससे संबंधित कार्रवाई करने जा रही है.
परमेश्वर, लालकेश्वर, राकेश दुबे…ये हैं बिहार के 5 ‘कालाधन कुबेर’, सुशासन राज में डकार गए करोड़ों
बिहार की नीतीश कुमार सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई का दावा करती है। बावजूद इसके पिछले कुछ दिनों में कई ऐसे मामले में सामने आए, जिनमें अलग-अलग विभागों के अधिकारियों ने अवैध संपत्ति बनाकर सुशासन की साख पर बट्टा लगाने की कोशिश की। जांच के दौरान इन अफसरों के पास से अकूत संपत्ति का पता चला है। इनमें पुलिस के साथ-साथ दूसरे विभागों के अधिकारी भी शामिल हैं। आइये जानते हैं ‘काले धन’ के ये कुबेर कौन-कौन हैं…
आय से अधिक संपत्ति के मामले में जिन अफसरों पर कार्रवाई हुई है उनमें आईपीएस अधिकारी राकेश दुबे का नाम कुछ दिनों पहले ही में सामने आया। अवैध बालू खनन के मामले में सस्पेंड हुए भोजपुर के एसपी राकेश दुबे के कई ठिकानों पर पिछले दिनों आर्थिक अपराध इकाई ने छापेमारी की। इस दौरान करीब दो करोड़ 55 लाख से ज्यादा आय से अधिक संपत्ति का पता चला। साथ ही उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के भी सबूत मिले हैं। आधा दर्जन से अधिक कंस्ट्रक्शन कंपनियों में निवेश का भी पता चला। जिसके बाद जांच टीम लगातार कार्रवाई में जुटी हुई है।
बिहार टॉपर घोटाला मामले में बिहार बोर्ड के पूर्व चेयरमैन लालकेश्वर सिंह और उनकी पत्नी उषा सिन्हा पर साल 2016 में कार्रवाई हुई थी। एसआईटी की टीम ने उन्हें जून 2016 में अरेस्ट किया था। जांच के दौरान टीम को उनके पास बेनामी संपत्ति का पता चला। उनके करीब 50 करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर जांच का दौर चला। इस दौरान रियल स्टेट और जमीन में भारी निवेश की जानकारी सामने आई।
बिहार में जिन दागी अधिकारियों पर एक्शन हुआ उनमें बिहार कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व सचिव परमेश्वर राम का नाम भी शामिल है। बीएसएससी पेपर लीक कांड में परमेश्वर राम ने करोड़ों की डीलिंग कराई थी। जिसका खुलासा होने के बाद 2017 में परमेश्वर राम को गिरफ्तार किया गया। एसआईटी की पूछताछ में परमेश्वर ने स्वीकार किया कि एएनएम भर्ती के लिए काउंसलिंग में धांधली की थी।
बिहार में धन कुबेर बने सरकारी पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में वैशाली के बड़े अधिकारी अनुभूति श्रीवास्तव का भी नाम शामिल है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में विशेष निगरानी की टीम ने यह छापेमारी की है। उनके पास एक करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति मिली है। अनुभूति श्रीवास्तव हाजीपुर नगर परिषद में कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर तैनात थे। उनके पास से और भी संपत्ति के कई सबूत मिले हैं।
आय से अधिक संपत्ति को लेकर पटना में विजिलेंस की टीम ने इसी महीने सितंबर में एक इंजीनियर के ठिकाने पर छापेमारी की। पटना के गुलजारबाग डिवीजन के कार्यपालक अभियंता कौन्तेय कुमार के आवास पर रेड के बाद लाखों रुपये कैश मिले। इंजीनियर के ठिकाने से लाखों रुपये कैश और बेहिसाब संपत्ति के कागजात भी मिले। आरोपी इंजीनियर पटना में ही पथ निर्माण विभाग में कार्यरत थे।