मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने १९ मार्च‚ २०१७ को उत्तर प्रदेश के सत्ता की कमान संभाली थी। कल उनके कार्यकाल के साढ़े चार साल पूरे हो गए। इस दौरान साल तो बदले‚ योगी का संकल्प नहीं। उनके एजेंडे में किसान‚ युवा और गरीब सर्वोपरि बने रहे। इनको केंद्र में रखकर सत्ता संभालने के पहले दिन से जो काम शुरू हुए‚ उनका सिलसिला बिना रुके‚ बिना थके‚ बिना डिगे लगातार जारी है। यहां तक कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान भी॥। इस साल की शुरु आत में ही योगी सरकार ने गरीबों को शीघ्र‚ सस्ते और अत्याधुनिक तकनीक से बने आवास मुहैया कराने के लिए लाइट हाउस प्रोजेक्ट की शुरुआत की। आयुष विभाग के १०६५ चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र देकर संकेत दे दिया कि सरकार मिशन रोजगार के एजेंडे पर कायम है। हर साल एक लाख सरकारी नौकरियों के वादे पर अमल करते हुए अब तक पूरी पारदर्शिता से साढ़े चार साल में साढ़े चार लाख सरकारी नौकरियां दे चुकी है। साढ़े तीन लाख को संविदा पर सरकारी नियुक्ति दी गई है। एमएसएमई के जरिये भी दो करोड़ रोजगार दिए गए हैं। मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल के पहले ही दिन प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत उत्तर प्रदेश (लखनऊ) सहित ६ राज्यों में लाइट हाउस प्रोजेक्ट (एलएचपी) का वर्चुअली शिलान्यास किया था। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने पीएम आवास योजना (शहरी) में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए उप्र को सम्मानित भी किया।
इस योजना में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रदेश की मिरजापुर नगर पालिका परिषद‚ मलिहाबाद और हरिहरपुर नगर पंचायत को सम्मानित भी किया। पीएम मोदी की मंशा के अनुसार सीएम योगी भी वर्ष २०२२ तक प्रदेश के सभी बेघर परिवारों को अदद पक्का मकान उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध हैं। प्राथमिकता के अनुसार किसको आवास मिलने हैं‚ यह भी तय हो चुका है। वनटांगिया परिवारों को संतृप्त करने के बाद अब बारी मुसहर परिवारों की है। सरकार अब तक ४२ लाख से अधिक परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मुहैया करा चुकी है। मुख्यमंत्री योगी स्वामित्व योजना के तहत जिन गरीबों की झोपड़ी गैरविवादित या अनरिजर्व श्रेणी की जमीन पर है‚ उनको अभियान चलाकर पट्टा देने के भी निर्देश दे चुके हैं। योगी ने सत्ता संभालने के पहले दिन ही संकेत दे दिया कि वह सिर्फ नाम के नहीं‚ सचमुच के धरती पुत्र हैं। अपने संसाधनों से ८६ लाख लघु–सीमांत किसानों के ३६ हजार करोड़ के कर्ज की माफी का फैसला खुद में अभूतपूर्व था। बाद में यह फैसला कई राज्यों के लिए नजीर बना। योगी के नेतृत्व में ही पहली बार किसी सरकार ने आलू किसानों को राहत देने के लिए बाजार हस्तक्षेप योजना लागू की। वर्ष २०१९ में उनकी पहल पर कृषि कुंभ जैसा नायाब आयोजन लखनऊ में हुआ। देश–दुनिया में खेतीबाड़ी के क्षेत्र में जो हो रहा है‚ उसके लिए मिलियन फार्मर्स योजना से ५५ लाख किसानों को जोड़ा गया। १७ किसान विज्ञान केंद्र स्थापित हुए। मिशन किसान कल्याण कार्यकम ब्लॉक स्तर पर जारी है। यह पहली सरकार है‚ जो किसानों के खातों में अलग–अलग योजनाओं के तहत सीधे २.९४ लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान कर चुकी है। ॥ गेहूं‚ धान और गन्ने की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद और भुगतान का रिकॉर्ड भी योगी सरकार के ही नाम है। मंडी शुल्क में १ फीसद कमी‚ ४५ कृषि उत्पादों को मंडी शुल्क से छूट देने के साथ ही २७ मंडियों का आधुनिकीकरण किया गया। जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए मंडलीय मंडियों में जैविक उत्पादों की बिक्री के आउटलेट शुरू किए गए। जिलास्तरीय मंडियों में भी सरकार ऐसे आउटलेट स्थापित करने जा रही है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को ३२ हजार ५७२ करोड़ का भुगतान। गन्ना किसानों को १.४४ लाख करोड़ से अधिक का भुगतान। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों की उपज की खरीद और इसके बदले में पूरी पारदशता के साथ ७९ हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया। किसानों को एमएसपी का अधिकतम लाभ मिले इसके लिए सरकार ने न केवल इसे लागत से जोड़कर दाम बढ़ाए‚ बल्कि खरीद का दायरा भी बढ़ा। प्रदेश में पहली बार‚ चना‚ मक्का‚ सरसों आदि की पहली बार खरीद हुई। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत सर्वाधिक भुगतान करने वाला उत्तर प्रदेश देश का इकलौता राज्य है।
पहले की सरकारों की प्राथमिकता गन्ना मिलों को कौड़ी के दामों पर बेचने और उनको बंद करने की थी‚ जबकि योगी सरकार के कार्यकाल में गोरखपुर की पिपराइच और बस्ती की मुंडेरवा में आधुनिक चीनी मिलें लगीं। रमाला सहित २० चीनी मिलों का आधुनिकीकरण भी कराया गया। साढ़े चार वर्षों में योगी सरकार के प्रयासों से स्थिति पलट गई। पिछली सरकारों की नीतियों के कारण गन्ने की जिस खेती से किसान किनारा करने लगे थे‚ वही अब उनकी पसंदीदा फसल बन गई। इस दौरान न केवल खेती का रकबा बढ़ा‚ बल्कि चीनी का परता भी बढ़ा। नतीजतन‚ लगातार गन्ना एवं चीनी के उत्पादन में उप्र देश में नम्बर वन है। वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान सभी ११९ मिलों को चलाकर योगी सरकार ने नजीर कायम की। इस दौरान कोरोना के खिलाफ जंग में प्रभावी हथियार के रूप में सेनेटाइजर का भी रिकॉर्ड उत्पादन हुआ। इसका प्रदेश में तो उपयोग हुआ ही‚ दूसरे प्रदेशों में भी निर्यात हुआ। कहा जाता है कि खेती सब कुछ की प्रतीक्षा कर सकती है‚ पर पानी की नहीं। फसल को पानी चाहिए‚ वह भी समय पर। योगी सरकार का सिंचाई पर खासा जोर रहा। इसका परिणाम है कि ४६ साल से लंबित बाणसागर परियोजना के साथ सिंचाई की ३३४ परियोजनाएं पूरी हुइ। ५० लाख किसानों को ८० से ९० फीसद अनुदान पर ड्रिप और ्प्रिरंकलर‚ २११९८ किसानों को ४० से ७० फीसद अनुदान पर सोलर पम्प दिया गया।
बुंदेलखंड में सूखे के समय सिंचाई के लिए १५०० से अधिक तालाबों का निर्माण‚ डार्कजोन में नलकूप लगाने की अनुमति‚ २००० नये सरकारी नलकूपों का निर्माण‚ १००० का पुननर्माण‚ ५०० से अधिक बहुउद्देशीय गंगा तालाबों का निर्माण आदि इस क्षेत्र में सरकार की प्रमुख उपलब्धियां रहीं। सरकार चाहती है कि प्रतिष्ठित सरकारी सेवाओं में प्रदेश के युवाओं का प्रतिनिधित्व बढ़े। इसके लिए मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के नाम से निःशुल्क कोचिंग की शुरुûआत की। महिलाओं के लिए मिशन शक्ति का कार्यक्रम चल ही रहा है।
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