राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विशेष कार्याधिकारी (OSD) लोकेश शर्मा ने शनिवार रात इस्तीफा दे दिया। इससे कुछ घंटे पहले उन्होंने एक ट्वीट किया था जिसे पंजाब में कांग्रेस नेतृत्व में हुए बदलाव की परोक्ष आलोचना के रूप में देखा गया था। ट्वीट के लहजे से प्रतीत हुआ जैसे किसी ताकतवर व्यक्ति को बेसहारा बना दिया गया और औसत दर्जे के किसी व्यक्ति को ऊंचाई पर पहुंचा दिया गया। राजस्थान के मुख्यमंत्री के विशेष कार्याधिकारी ने शनिवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया और ट्वीट के लिए माफी मांगी।
शर्मा ने रविवार शाम को गहलोत से मुलाकात कर अपना रुख स्पष्ट किया और कहा कि उनका इरादा पार्टी आलाकमान की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इस्तीफे की पेशकश की और मुख्यमंत्री से उसे स्वीकार करने का अनुरोध किया। शर्मा ने कहा, “मैंने मुख्यमंत्री के विशेष कार्याधिकारी के पद से इस्तीफा दे दिया है और मुख्यमंत्री से उसे स्वीकार करने का अनुरोध किया है। हालांकि मैं पहले की तरह पार्टी के हित में काम करता रहूंगा।”
शर्मा पिछले एक दशक से अधिक समय से गहलोत के साथ जुड़े थे और उनके सोशल मीडिया की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। दिसंबर 2018 में गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें ओएसडी बनाया गया था। शनिवार को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के इस्तीफा देने के बाद शर्मा ने ट्वीट किया था, ”मजबूत को मजबूर, मामूली को मग़रूर किया जाए…बाड़ ही खेत को खाए, उस फसल को कौन बचाए!”
त्यागपत्र में ओएसडी ने कहा कि वह 2010 से ट्विटर पर सक्रिय हैं और उन्होंने कभी पार्टी लाइन से परे ट्वीट नहीं किया है। शर्मा ने कहा कि गहलोत द्वारा ओएसडी की जिम्मेदारी दिए जाने के बाद उन्होंने कभी कोई राजनीतिक ट्वीट नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनके ट्वीट से पार्टी आलाकमान या राज्य सरकार किसी भी तरह आहत हुए हों तो वह माफी मांगते हैं।
दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की शिकायत पर मार्च में शर्मा के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था। पिछले साल पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और 18 अन्य विधायकों के विद्रोह के कारण राजस्थान में खड़े हुए राजनीतिक संकट के दौरान शेखावत, भाजपा नेता संजय जैन, कांग्रेस विधायक भंवरलाल और विश्वेंद्र सिंह के बीच कथित बातचीत की ऑडियो क्लिप लीक हो गई थी जिसमें वे कथित तौर पर राज्य में कांग्रेस सरकार को गिराने की योजना पर चर्चा कर रहे थे। आरोप है कि शर्मा ने वह ऑडियो क्लिप प्रसारित की थी। हालांकि शर्मा ने इन आरोपों का खंडन किया था।
भाजपा की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष सतीश पूनियां ने रविवार को कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने भाग्य को लेकर चिंतित हैं। पूनियां ने कहा, “पंजाब के घटनाक्रम से पता चलता है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का भी पार्टी से मोहभंग हो गया है। कांग्रेस आखिरी सांसें गिन रही है और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपनी कुर्सी की चिंता हो रही है।’’
पूनियां ने कहा कि क्या राजस्थान कैबिनेट में कभी फेरबदल होगा, यह अमिताभ बच्चन की ‘कौन बनेगा करोड़पति’ का एक करोड़ रुपये का सवाल बन गया है। उन्होंने कहा कि इसका न तो कोई जवाब है और न ही लोगों को इनाम मिलेगा। उन्होंने कांग्रेस पर पार्टी के भीतर लोकतंत्र की कमी का भी आरोप लगाया। अपनी पार्टी के बारे में बात करते हुए, पूनियां ने कहा कि भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा करने के लिए शीघ्र ही एक विचार-विमर्श सत्र आयोजित करेगी।
आपको बता दें कि इससे पहले पंजाब में कांग्रेस के अंदर मचे घमासान पर कल राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बयान दिया था। अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा था कि कांग्रेस हाईकमान को कई बार विधायकों एवं आमजन से मिले फीडबैक के आधार पर पार्टी हित में निर्णय करने पड़ते है। उम्मीद है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह जी ऐसा कोई कदम नहीं उठायेंगे जिससे कांग्रेस पार्टी को नुकसान हो।
सीएम गहलोत ने अपने ट्वीट में लिखा था, ”मुझे उम्मीद है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह जी ऐसा कोई कदम नहीं उठायेंगे जिससे कांग्रेस पार्टी को नुकसान हो। कैप्टन साहब ने स्वयं कहा कि पार्टी ने उन्हें साढ़े नौ साल तक मुख्यमंत्री बनाकर रखा है। उन्होंने अपनी सर्वोच्च क्षमता के अनुरूप कार्य कर पंजाब की जनता की सेवा की है।”