पटना – बिहार इतिहास संकलन समिति के तत्वावधान में देश के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी इतिहासकार, राष्ट्रवादी विचारक, प्रख्यात मनीषी, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के संस्थापक सदस्यों में से एक एवं इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय प्रोफेसर सतीश चंद मित्तल की दूसरी पुण्यतिथि मनाई गई ।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति की मीडिया सह प्रभारी अर्चना रॉय भट्ट ने कहा कि भारत मे प्रोफेसर सतीश चंद्र मित्तल राष्ट्रवादी दृष्टिकोण से इतिहास लेखन के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर रहे है । वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र में आधुनिक भारतीय इतिहास के वरिष्ठ प्रोफेसर थे । अपने कार्यकाल में उन्होंने भारतीय इतिहास को समृद्ध बनाने के लिए उन्होंने 38 पुस्तकों का लेखन किया है । इसके साथ साथ 500 अधिक उनके आलेख प्रकाशित हुए है ।
इस अवसर पर भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य एवं बिहार इतिहास संकलन समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर राजीव रंजन ने स्वर्गीय प्रोफेसर मित्तल के साथ गुजरे अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि वे राष्ट्रवादी इतिहास की दृष्टि से लैस इतिहास लेखन को संकल्पबद्ध सेवाभाव से संकल्पित थे । प्रो. मित्तल उन छह याचिकाकर्ताओं में शामिल थे, जिन्होंने वेंडीडो निगर की किताब ‘द हिंदू: एन अल्टरनेटिव हिस्ट्री’ पर भारतीय इतिहास को लेकर त्रुटिपूर्ण तथ्यों और भ्रामक इतिवृत लेखन पद्धति अपनाने के कारण प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
इस अवसर पर कई प्रस्ताव भी पारित हुए जिसमें सतीश चंद मित्तल के विचारों को समाज तक पहुचाने का कार्य करना है । इतिहास लेखन को बढ़ावा देने के लिए युवा शोधार्थियों को प्रोत्साहित करना , सतीश चंद मित्तल के लेखन पर शोध का कार्य एवं बिहार इतिहास संकलन समिति के सौजन्य से इनके स्मृति मेमोरियल व्यखानामाला बिहार के विभिन्न महाविद्यालयों में आयोजित किया जाय ।
मीना मार्केट भूत नाथ रोड में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रोफेसर राजीव रंजन, प्रोफ़ेसर रामाकांत शर्मा, प्रोफेसर शिवेश कुमार , प्रोफेसर राजीव कुमार , डॉक्टर निगम भारद्वाज , शैलेश कुमार , डॉक्टर सूर्यनारायण प्रसाद , डॉक्टर मायानंद , राहुल झा , डॉक्टर प्रशांत एवं अर्चना राय भट्ट ने भाग लिया ।