मातृभाषा हिन्दी में भावों का सम्प्रेषण सहज एवं ग्राह्य है। इसे बोलने और समझने वालों की संख्या भारत में सर्वाधिक है। ये बातें राज्यपाल फागू चौहान ने शनिवार को डॉ. सीएल सोनकर द्वारा लिखित पुस्तक ‘उत्तर प्रदेश के लोकधर्मी कवि एवं समाज’ के लोकार्पण पर कहीं। उन्होंने कहा कि डॉ. सोनकर ने इस पुस्तक में लोकधर्म से संबंधित उत्तर प्रदेश के ६१ संतों एवं कवियों के पदों का मार्मिक वर्णन किया है। विभिन्न शिक्षण संस्थानों में इन संतों एवं कवियों के साथ–साथ इनकी रचनाओं के बारे में भी पढाया जाता है तथा इनपर अनेक शोध कार्य लगातार किए जा रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि डॉ. सोनकर की इस कृति में अवधी‚ भोजपुरी‚ बुन्देली‚ कन्नौजी‚ कौरवी व ब्रज लोक साहित्य की रचनाओं को भी दिखाने का प्रयास किया गया है। इनके लेखन में ऐतिहासिक दृष्टिकोण अपनाते हुए गुरु गोरखनाथ से लेकर भारतेन्दु तक तथा लोक गीतों और बोलियों एवं तत्समय की परम्पराएं तथा लोक संस्कृति को दर्शाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि इस कृति के माध्यम से एक तरफ उत्तर प्रदेश के लोकधर्मी कवि एवं समाज के विवरणों का तथ्यपरक रेखांकन किया गया है‚ वहीं दूसरी तरफ विद्वानों के विभिन्न मतों के माध्यम से हिन्दी भाषा की उत्पत्ति को प्राकृत से जोडने का भी प्रयास किया गया है। इस पुस्तक की रचना में यह भी प्रयास किया गया है कि यहां के समाज तथा साहित्य के आन्दोलनों की विचारधाराओं का कोई पक्ष अछूता न रहे। विदित हो कि लोकार्पित पुस्तक ‘उत्तर प्रदेश के लोकधर्मी कवि एवं समाज’ के लेखक डॉ. सीएल सोनकर उत्तर प्रदेश सरकार के प्रान्तीय सिविल सेवा के अधिकारी हैं। राजभवन के दरबार हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र प्रताप सिंह‚ पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश कुमार चौधरी एवं अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. अब्दुल मतीन ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू‚ राज्यपाल सचिवालय के पदाधिकारीगण तथा अन्य लोग उपस्थित थे।
अमित शाह ने संभाली बिहार चुनाव की कमान …………
अमित शाह ने इस साल अक्टूबर, नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की कमान संभाल ली है। चुनाव की...