गुजरात में विधानसभा चुनाव से लगभग 15 महीने पहले शनिवार को राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. विजय रुपाणी पिछले छह महीनों में हटाए जाने वाले बीजेपी के चौथे मुख्यमंत्री बन गए हैं. गुजरात से पहले उत्तराखंड और कर्नाटक में भी बीजेपी पिछले छह महीनों में तीन मुख्यमंत्री बदल चुकी है. विजय रुपाणी अब चौथे मुख्यमंत्री हैं.
कब-कब बीजेपी ने बदले CM
बीजेपी ने मार्च में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह लोकसभा सदस्य तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना दिया था. जुलाई में मुख्यमंत्री बनाए जाने के चार महीने बाद ही तीरथ सिंह रावत को भी हटा दिया गया और दो बार के विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई. उत्तराखंड के बाद बीजेपी ने कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा को हटाकर बीएस बोम्मई को मुख्यमंत्री की कमान सौंप दी.
पार्टी के एक नेता ने दावा किया कि राज्य में नया नेतृत्व लाने के लिए गुजरात और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों को बदला गया. उन्होंने कहा, कर्नाटक में मुख्यमंत्री और उनके बेटे के खिलाफ भारी नाराजगी थी. इसी तरह गुजरात इकाई में पार्टी के एक वर्ग द्वारा रूपाणी को हटाने की मांग की गई थी, जिसमें कहा गया था कि उनके नेतृत्व में अगले साल के राज्य चुनाव जीतना मुश्किल होगा.
वहीं उत्तराखंड में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को एक नया चेहरा लाने के लिए बदल दिया गया था, लेकिन तीरथ सिंह रावत को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के छह महीने के भीतर राज्य विधानसभा के लिए निर्वाचित होने में विफलता के कारण हटा दिया गया था. गुजरात के एक पार्टी नेता ने कहा, पार्टी में एक वर्ग से मुख्यमंत्री बदलने की चर्चा और मांग की गई थी, लेकिन किसी को उम्मीद नहीं थी कि इस तरह से खबर आएगी. हमें नहीं पता कि इस्तीफा सौंपने के बाद इसकी घोषणा की जाएगी
रुपाणी के इस्तीफे से पहले कोई खास गतिविधि देखने को नहीं मिली
गुजरात में मुख्यमंत्री के इस्तीफे से पहले कोई खास गतिविधि देखने को नहीं मिला और अचानक ही उनका इस्तीफा देखने मिला. वहीं दूसरी ओर मार्च में, त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह लेने से पहले, बीजेपी ने राज्य में दो सदस्यों को भेजा था, जिसमें छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह भी शामिल थे, ताकि वे प्रतिक्रिया एकत्र कर सकें. इसी तरह तीरथ सिंह रावत को बदलने से पहले बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें राष्ट्रीय राजधानी बुलाया था और उन्हें संवैधानिक और कानूनी संकट के बारे में समझाया था. कर्नाटक में महीनों से सत्ता परिवर्तन की अटकलों के बीच येदियुरप्पा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की थी. येदियुरप्पा ने जुलाई में अपनी सरकार के दो साल पूरे होने के बाद इस्तीफा दे दिया.