मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि तीन से चार दिनों में बाढ से हुई क्षति का पूर्ण आकलन कर लें। इसके बाद जिलों के प्रभारी मंत्री सबंधित जिलों में जाकर जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर इसे अंतिम रूप दें। कोई भी बाढ़ प्रभावित सहायता से वंचित नहीं रहे। पशु क्षति का भी ठीक से आकलन कराकर पशुपालकों की सहायता की जाये। जल संसाधन विभाग बाढ के स्थायी समाधान के लिए दीर्घकालीन योजना बनाकर कार्य करे ताकि बाढ का असर कम से कम हो। बाढ़ के कारण जहां फसल नहीं लगायी जा सकी‚ उसे फसल क्षति माना जाये। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में राज्य में बाढ आपदा एवं अल्पवृष्टि से उत्पन्न स्थिति की उच्चस्तरीय समीक्षा कर रहे थे। बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों के जिलाधिकारी भी शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारी जिलों के उन विशिष्ट क्षेत्रों का भी आकलन कर लें‚ जहां अल्पवृष्टि की स्थिति बन रही हो। उन्होंने कहा कि मौसम पूर्वानुमान के अनुसार भविष्य के लिए सचेत रहते हुए पूरी तैयारी रखें। सीएम ने कहा कि इस वर्ष अधिक वर्षापात होने से नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण राज्य में बाढ की स्थिति बनी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि बाढ़ के कारण जहां किसानों द्वारा फसल नहीं लगायी जा सकी‚ उसे फसल क्षति मानते हुए उन सभी किसानों को उचित सहायता उपलब्ध करायें। साथ ही किसानों की फसल क्षति का भी आकलन कर उन्हें सहायता उपलब्ध करायें। उन्होंने कहा कि बाढ के कारण हुई क्षति का पंचायतवार सही तरीके से आकलन करें ताकि उसके आधार पर सभी प्रभावितों की मदद की जा सके। कोई भी बाढ आपदा पीडित सहायता से वंचित नहीं रहे। बैठक में आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से राज्य में बाढ एवं अल्पवृष्टि को लेकर विस्तृत जानकारी दी। बैठक में उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद‚ उप मुख्यमंत्री सह आपदा प्रबंधन मंत्री श्रीमती रेणु देवी‚जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा आदि उपस्थित थे।
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