कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री सदानंद सिंह का निधन हो गया है। पटना में खगौल के पास एक निजी अस्पताल क्यूरिस हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांसें ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। लीवर सिरोसिस की बीमारी से परेशान थे। दिल्ली के प्रसिद्ध डॉक्टर एसके सरीन से लीवर का इलाज कराया था। उसके बाद पटना लौटे, लेकिन तकलीफ बढ़ी तो फिर अस्पताल में एडमिट होना पड़ा। पटना में उनकी स्थित कभी ठीक तो कभी नाजुक हो जा रही थी।
खगौल के पास क्यूरिस हॉस्पिटल में लगभग दो माह से उनका इलाज चल रहा था। लीवर सिरोसिस जब बढ़ने लगा तो किडनी में इंफेक्शन हो गाया। इसके बाद मंगलवार को उनका डायलिसिस किया गया। लेकिन उनके शरीर ने डायलिसिस बर्दाश्त नहीं किया और बुधवार की सुबह नौ बजकर नौ मिनट पर उनका निधन हो गया। उन्हें एक पुत्र और तीन पुत्रियां हैं। शुभानंद राजनीति में एक्टिव हैं। तीन बेटियां सुचित्रा कुमारी, सुदिप्ता कुमारी और सुविजया कुमारी हैं।
जानकारी के मुताबिक सदानंद सिंह का निधन पटना के सगुना मोड़ स्थित क्यूरिस अस्पताल में हुआ है. अस्पताल में भर्ती होने के बाद विभिन्न दलों के नेताओं ने जाकर उनसे अस्पताल में मुलाकात की थी. सदानंद सिंह के निधन के बाद से बिहार के राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर दौड़ गई है.
सदानंद सिंह बिहार में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ राजनेता थे. वो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के अलावा लंबे समय तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे थे. सदानंद सिंह साल 2000 से 2005 तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे साक ही करीब 10 साल से कांग्रेस विधायक दल के नेता के पद पर रहे. सदानंद सिंह बिहार सरकार में सिंचाई और ऊर्जा राज्यमंत्री रह चुके थे. उनके सभी दलों के नेताओं से काफी मधुर संबंध थे साथ ही वो लोगों के बीच भी काफी लोकप्रिय थे.
सदानंद सिंह की पहचान बिहार कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेता के रूप में होती थी. यही कारण है कि बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक 9 बार चुनाव जीतने का रिकार्ड भी इस दिग्गज कांग्रेसी राजनेता के नाम है. बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक 9 बार सदानंद सिंह ने जीत हासिल की थी. वो 1969 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर कहलगांव विधानसभा से चुनाव जीतें. 1985 में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर एक बार निर्दलीय भी जीते हालांकि उनकी जीत लगातार नहीं रही. 1990, 1995 और अक्टूबर 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में उनकी हार हो गई थी, जबकि फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में वो जीत गए थे.
कांग्रेस के बिगड़ते दिनों में भी बचाए रखी लाज
सदानंद सिंह की गिनती बिहार कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती थी. बिहार में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बावजूद हर बार वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे. बिहार सरकार में सिंचाई एवं ऊर्जा राज्यमंत्री रह चुके थे, इसके अलावा वो 2000 से 2005 तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे थे. बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का जिम्मा भी उन्होंने संभाला था. 2010 से 2020 तक वो बिहार में कांग्रेस विधायक दल के नेता थे. सदानंद सिंह ने कभी भी अपना चुनाव क्षेत्र नहीं बदला. 1969 से 2015 तक वो लगातार 12 बार कहलगांव सीट से चुनाव लड़े और नौ बार जीते.