शिक्षा विकास की रीढ़ होती है एवं पूरी शिक्षा व्यवस्था शिक्षकों की उपलब्धि पर आधारित होती है। प्रदेश में योग्य शिक्षकों की कमी नहीं है। कोरोना के कारण बच्चों की शिक्षा में बहुत नुकसान हुआ। शिक्षकों के समक्ष बच्चों के उस नुकसान की भरपाई की चुनौती है।’ ये बातें शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने शिक्षक दिवस पर रविवार को पुरस्कार के लिए चयनित शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में कही। शिक्षा मंत्री ने पुरस्कृत शिक्षकों को बधाई एवं प्रदेश के सभी शिक्षकों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ड़ॉ. राधाकृष्णन की इच्छानुसार उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। वे एक महान शिक्षाविद एवं दार्शनिक थे। श्री चौधरी ने कहा कि इस दिन सुयोग्य एवं प्रतिभावान शिक्षकों को सम्मानित करने का विशेष महत्व होता है। इससे दूसरे शिक्षक भी बेहतर काम के लिए प्रेरित होते हैं। शिक्षा विकास की रीढ़ होती है एवं पूरी शिक्षा व्यवस्था शिक्षकों की उपलब्धि पर आधारित होती है। बिहार में योग्य शिक्षकों की कमी नहीं है। यदि उपयुक्त शैक्षणिक माहौल बनाकर शिक्षक अपना शत–प्रतिशत शिक्षण कार्य में लगाएं तो शिक्षित एवं विकसित बिहार की कल्पना पूरी होने का मार्ग प्रशस्त होगा। शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए सभी न्यायिक बाधाओं को दूर कर योग्य शिक्षकों की नियुुक्तियां पारदर्शी तरीके से तेजी से चल रही है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोविड़ महामारी के कारण पूरे देश में शिक्षण संस्थान पिछले एक–ड़ेढ़ वर्ष से बंद रहे जिससे शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई है। अब विद्यालय धीरे–धीरे खुुलने पर शिक्षा विभाग एवं तमाम शिक्षकों के सामने असली चुनौती बच्चों की पढ़ाई में हुए नुकसान की भरपाई करनी है। इसमें ईमानदारी एवं मुस्तैदी से लगना होगा। कोरोना के कारण ही इस कार्यक्रम को बड़े पैमाने पर नहीं मनाया जा सका‚ जो अगले वर्ष से किया जायगा। इस कार्यक्रम में सभी का स्वागत करते हुए अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने शिक्षकों को शुभकामनाएं देते हुए उनके महत्वपूर्ण योेगदान की चर्चा की। प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा निदेशक के अलावा शिक्षा विभाग के अन्य पदाधिकारियों ने भी इसमें भाग लिया। धन्यवाद ज्ञापन निदेशक‚ प्राथमिक शिक्षा ने किया।
जहां चाह वहां राह’ वाली कहावत को रविवार को शिक्षक दिवस पर राजकीय सम्मान से सम्मानित शिक्षकों ने कर दिखाया है। इन शिक्षकों ने सरकारी सुविधा की परवाह न करते हुए खुद के आइडि़या से बच्चों में नया जोश भरा। शिक्षा मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भी सम्मान समारोह में उनके जज्बे को सलाम किया और कहा कि सभी शिक्षकों को इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। पटना से सटे खुशरूपुर के राजकीयकृत महादेव उच्च माध्यमिक विद्यालय की शिक्षिका निशि कुमार का भी नाम आज राजकीय पुरस्कार पाने वालों में शुमार रहा। जब स्कूल गयीं तो कुछ नया कर गुजरने की प्रेरणा ने इस मंजिल पर पहुंचाया। निशि ने अपने प्रयास से बच्चों के बीच इनफॉरमेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया। पढ़ाई को इस माध्यम से रूचिकर बनाया जो छात्र/छात्राओं के लिए बहुत बड़़ा संबल बना। पटना से सटे मनेर स्थित दुनियारी उच्च विद्यालय के धनंजय आचार्य अपने लेख के कारण काफी चर्चा में रहे। लेख के जरिये आचार्य ने बच्चों के सम्पूर्ण विकास में मदद पहुंचायी। कुमारी विभा ने तो अपने ओज से स्काउट गाइड़ को लोकप्रिय बनाया। अपने विद्यालय में सहगामी क्रियाओं में सराहनीय रूचि दिखाई। विभा मधुबनी के रामेश्वर प्लस टू स्कूल की शिक्षिका हैं। औरंगाबाद के छोटे से शहर कुटुंबा स्थित राजकीयकृत मध्य विद्यालय के शिक्षक जितेन्द्र कुमार सिन्हा ने खुद के प्रयास से ई लाइब्रेरी विकसित किया। उन्होंने विद्यालय के सुरक्षा को लेकर भी ठोस प्रयास किया। समस्तीपुर के शाहपुर स्थित जीबी उच्च विद्यालय के शिक्षक अमित कुमार ने हाई स्कूल के बच्चों के बीच शोध करने के गुर बताकर प्रोत्साहित किया। भागलपुर की नम्रता मिश्रा‚ नवादा की मंजू कुमारी‚ बेगूसराय की विभा रानी‚ भारती रंजन कुमारी‚ प्रमोद कुमार‚ शिवनारायण मिश्रा भी नवाचारी प्रयोग कर राजकीय सम्मान से पुरस्कृत किये गये॥।