बिहार में मानसून की सक्रियता ठंडी पड़ गई है। हालांकि बारिश सामान्य से 14 प्रतिशत अधिक हुई फिर भी राहत नहीं है। मानसून में सक्रियता नहीं होने से बिहार में दिन के तापमान में वृद्धि हो रही है। तपिश भरी गर्मी से लोग परेशान हो रहे हैं। 24 घंटे में महज एक दो स्थानों पर हल्की वर्षा हुई है।
मौसम विभाग के मुताबिक 24 से 48 घंटे में नेपाल से सटे कुछ जिलों में हल्की बारिश हो सकती है। बारिश वहीं हो रही है, जहां बाढ़ का अधिक प्रभाव है। सामान्य इलाकों में बारिश का औसत काफी कम है।
24 घंटे तक तपिश भरी गर्मी से नहीं मिलेगा छुटकारा
मौसम विभाग का कहना है कि अब तक पूरे बिहार में 1 जून से 5 सितंबर तक मानक के अनुसार 839 MM बारिश होनी चाहिए थी जो 953 MM यानी 14 प्रतिशत अधिक हुई है। बिहार में मानसून के दौरान सामान्य वर्षा 1017 MM है। वायु मंडलीय दबाव औसतन 1004 मिलीबार के आस पास बना हुआ है और मानसून की अक्षीय रेखा भी पूर्णत: परिलक्षित नहीं है। इस कारण से सुबह से शाम तक गर्मी और वातावरण में काफी नमी बढ़ जाने के कारण तपन और उमश अगले 24 घंटे तक बने रहने की संभावना है।
बारिश का नहीं बन रहा कोई सिस्टम
मौसम विभाग के मुताबिक बारिश का कोई सिस्टम नहीं बन रहा है। मौसम विभाग का कहना है कि पूर्वोत्तर और उससे सटे पूर्व मध्य बंगाल की खाड़ी पर परिसंचरण अब उत्तर और उससे सटे पूर्व केंद्र बंगाल की खाड़ी पर स्थित है। यह समुद्र तल से 4.5 किलो मीटर तक फैला हुआ है जो उंचाई के साथ दक्षिण पश्चिम की ओर झुका हुआ है। इसके प्रभाव से प्रभावित मध्य बंगाल की खाड़ी पर कम दबाव का क्षेत्र बने रहने की संभावना है।
24 से 48 घंटे के दौरान बारिश का सिस्टम
मौसम विभाग के मुताबिक बंगाल की खाड़ी में आद्र हवाओं का व्यापक प्रभाव नमी लेकर बिहार के भागों पर पहुंच रहा है। इस कारण से अगले 24 से 48 घंटे के दौरान गरज के साथ बारिश की गतिविधियां बिहार के तराई वाले इलाकों में बढ़ने वाली है। इसके प्रभाव से मधुबनी, सीतामढ़ी, दरभंगा में बारिश का प्रभाव दिखाई पड़ेगा।
पटना सहित दक्षिण बिहार के 19 जिलों में बारिश को लेकर लेकर मौसम विभाग का कोई पूर्वानुमान नहीं है। हालांकि मौसम विभाग का कहना है कि अधिक गर्मी के कारण लोकल प्रभाव से कुछ क्षणों के लिए बारिश एक दो स्थानों पर हो सकती है लेकिन इसका प्रभाव ऐसा नहीं होगा जिससे लोगों को राहत मिल सके।
अभी भी राज्य के 16 जिले बाढ़ की चपेट में
बिहार के 26 जिलों में इसबार बाढ़ का प्रकोप दिखा है। अभी भी राज्य के 16 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। राज्य में अबतक 53 लोगों की बाढ से मौत हो चुकी है। केंद्रीय टीम से पहले बिहार सरकार ने भी बिहार को बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करवाया है। राज्य के कृषि विभाग के मुताबिक लगभग चार हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बाढ़ के हालात का जायजा लेने के लिए लगातार कई हवाई सर्वेक्षण किए हैं।
कई नदियों का जलस्तर बढा
नेपाल में हो रही बारिश के कारण बिहार की कई नदियों का जलस्तर एकबार फिर बढ़ रहा है। इसके मद्देनजर जल संसाधन विभाग ने उत्तर बिहार के सभी जिलों को हाई अलर्ट कर दिया है। मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, वैशाली, पूर्वी चंपारण और पश्चिम चंपारण जिलों में तटबंधों की निगरानी का आदेश दिया गया है। भागलपुर और मुंगेर में गंगा का जलस्तर भी बढ़ रहा है। गंडक, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, गंगा, महानंदा नदी सहित कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
प्राकृतिक आपदा से पीड़ित किसानों को विभिन्न योजनाओं के जरिये सरकार मदद पहुंचाने का काम कर रही है. यास तूफान से हुए नुकसान का सर्वे अंतिम चरण में पहुंच जाने के बाद अब बाढ़ और बारिश से फसलों को हुए नुकसान का सर्वे भी शुरू करा दिया गया है. कृषि सचिव डॉ एन सरवण कुमार ने सभी जिलों से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है.
जिन जिलों में अतिवृष्टि से बिचड़ा बर्बाद हुआ था वहां के किसानों को वैकल्पिक फसल का बीज वितरण किया जा रहा है. दस सितंबर तक यह कार्य पूरा कर लिया जायेगा. कई जिलों के डीएम ने भी सरकार से बीज का वितरण कराने को पत्र लिखा है.
कृषि सचिव डाॅ एन सरवण कुमार ने बताया कि सरकार आपदा से पीड़ित किसानों को अधिक- से -अधिक राहत देने का काम कर रही है. मुख्यमंत्री ने बाढ़ इलाके का हवाई और जमीनी सर्वेक्षण किया था. फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए जो दिशा निर्देश दिये थे, इसके तहत पीड़ित किसानों को कृषि इनपुट अनुदान योजना व आकस्मिक फसल योजना के तहत राहत दी जा रही है.
यास तूफान से हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने 99 करोड़ की राशि आवंटित कर दी है. बाढ़ से 25 जिलों में लगभग साढ़े चार लाख हेक्टेयर में फसल को नुकसान हुआ है. इसमें गन्ना और सब्जी की फसलें भी हैं.
सर्वेक्षण का कार्य पूरा करने के बाद राज्य सरकार का अनुमोदन लेकर कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ दिया जायेगा. आपदा के नियम के अनुसार 33 प्रतिशत से कम नुकसान होने पर मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है. जिन किसानों की फसल एक चौथाई नष्ट हुई है, उनको मुआवजा नहीं दिया जायेगा.
आकस्मिक फसल योजना की मांग
कुछ जिलों के डीएम ने कृषि विभाग को पत्र लिख कर आकस्मिक फसल योजना के तहत बीज वितरण का प्रस्ताव भेजा है़ विभाग इस पर विचार कर रहा है. कृषि सचिव ने बताया कि अतिवृष्टि से कई जिलों में बिचड़ा का नुकसान हुआ था़ उसका आकलन कर लिया गया है.
किसानों को तुरंत राहत देने के लिए आकस्मिक फसल योजना के तहत धान ,मकई, तोरिया, धान का बीज बड़े पैमाने पर वितरित कराया जा रहा है. पूर्वी – पश्चिमी चंपारण जिले में बीज बांटने का काम हो रहा है. सीतामढ़ी, शिवहर व मधुबनी में भी दस सितंबर तक बीज वितरण कर लिया जायेगा.