अमेरिकी सेना ने कहा है कि उसने अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के ‘साजिशकर्ता’ के खिलाफ ड्रोन हमला किया। हाल में काबुल एयरपोर्ट पर आत्मघाती धमाकों में १६९ अफगान और १३ अमेरिकी सैनिकों की मौत के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइड़न ने जवाबी कार्रवाई करने का वादा किया था। अफगान में आईएस से संबद्ध ‘इस्लामिक स्टेट–खुरासान’ (आईएसआईएस–के) ने काबुल में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्ड़े पर बृहस्पतिवार को हुए हमलों की जिम्मेदारी ली थी॥। अमेरिका की सेंट्रल कमान के प्रवक्ता कैप्टन बिल अर्बन ने शुक्रवार को कहा‚ ‘अमेरिकी सेना ने आईएसआईएस–के साजिशकर्ता के खिलाफ आज आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया। यह मानवरहित हवाई हमला अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में हुआ। शुरुआती संकेत मिले हैं कि हमने लक्षित व्यक्ति को मार दिया है।’ इससे पहले व्हाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइड़न काबुल हवाईअड्ड़े पर हमला करने वाले आतंकवादियों को जिंदा नहीं छोड़़ना चाहते। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने अपने नियमित प्रेसवार्ता में कहा‚ ‘मुझे लगता है कि उन्होंने कल यह स्पष्ट कर दिया वह हमले के जिम्मेदार लोगों को जिंदा नहीं छोड़़ना चाहते।’ बहरहाल‚ अभी यह पता नहीं चला है कि क्या बृहस्पतिवार को काबुल हवाई अड्ड़े पर हुए हमले में आईएसआईएस–के का साजिशकर्ता शामिल था।
अमेरिका के एक अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि काबुल हवाई अड्ड़े पर आत्मघाती बम हमला करने वाला आतंकी २५ पौंड़ विस्फोटक लिए हुआ था‚ जिसमें विस्फोटक छर्रे भरे हुए थे। इस हमले में अफगानिस्तान के १६९ नागरिक और अमेरिका के १३ सैनिक मारे गए॥। बम विस्फोट के संबंध में शुरुआती जांच के बारे में एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री से किया गया विस्फोट इतना घातक था कि इससे हवाई अड्ड़े के गेट के अंदर मौजूद अमेरिकी सैनिक और गेट के बाहर मौजूद सैनिक और अफगान नागरिक मारे गए। उन्होंने बताया कि आमतौर पर आत्मघाती बम हमलावर पांच से १० पौंड़ विस्फोटक अपने पास रखते हैं। यह विस्फोट उस वक्त किया गया‚ जब काबुल हवाई अड्ड़े पर निकासी अभियान चल रहा था और हजारों की संख्या में लोग वहां मौजूद थे।
अमेरिका ने कहा है कि तालिबान को कूटनीतिक रूप से मान्यता देने के लिए वह संगठन से ‘बातें नहीं‚ काम की’ और जताई गई प्रतिबद्धताओं पर खरा उतरने की उम्मीद करता है॥। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड़ प्राइस ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता में कहा कि तालिबान ने साफ कर दिया है कि ‘वे चाहते हैं कि अफगानिस्तान में अमेरिका की राजनयिक उपस्थिति बनी रहे।’ प्राइस ने कहा कि उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि वे चाहते हैं कि अन्य देश अपने राजनयिक मिशनों को वहां बरकरार रखें। तालिबान ने कहा था कि हम उन दूतावासों की सराहना करते हैं जो खुले हैं और बंद नहीं हुए हैं। हम उन्हें उनकी सुरक्षा का आश्वासन देते हैं। प्राइस ने कहा कि अमेरिका ने अभी तक इस मुद्दे पर फैसला नहीं लिया है‚ लेकिन यह एक ऐसी चीज है जिस पर हम अपने भागीदारों के साथ सक्रिय रूप से चर्चा कर रहे हैं और यहां भी इसके बारे में सोच रहे हैं’। उन्होंने कहा‚ ‘हम आज उनको जवाब देने के लिए तैयार नहीं हैं‚ इसलिए कि हमने तालिबान के कई बयान सुने हैं। इनमें से कुछ सकारात्मक‚ कुछ रचनात्मक रहे हैं‚ लेकिन अंततः हम जो तलाश रहे हैं और हमारे अंतरराष्ट्रीय साझेदार जो खोज रहे हैं वह काम है‚ सिर्फ बातें नहीं।