मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मानना है कि देश में जातीय जनगणना कराना उचित‚ उपयोगी तथा देशहित में है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर जरूर गंभीरतापूर्वक विचार कर निर्णय लेंगे। मंगलवार को दिल्ली से पटना लौटने के बाद एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय जनगणना कराने के मुद्े पर सोमवार को हमलोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है। मेरे नेतृत्व में १० पार्टियों के प्रतिनिधियों ने भी प्रधानमंत्री से मुलाकात की है। मुलाकात करीब ४०–४५ मिनट तक चली‚ जिसमें सभी पार्टियों के प्रतिनिधियों ने अपनी–अपनी बातें रखीं। सभी नेताओं ने कहा कि जातीय जनगणना होनी चाहिए‚ क्योंकि इसका बहुत लाभ है और यह सभी के हित में है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी की बातों को ध्यानपूर्वक सुना है। हमलोगों ने अपनी बात रख दी है‚ अब इस संबंध में निर्णय प्रधानमंत्री को लेना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष २०१९ में बिहार विधानसभा और विधान परिषद के द्वारा तथा वर्ष २०२० में विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव को हमलोगों ने पहले ही पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री के पास भेज दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय जनगणना को लेकर बिहार में सभी लोगों की राय एक ही है। उन्होंने कहा कि देश में आखिरी बार अंग्रेजों के जमाने में वर्ष १९३१ में जातीय जनगणना हुई थी। अब तक उसी जातीय जनगणना को आधार मानकर चला जा रहा है‚ जो उपर्युक्त नहीं है। एक बार जरूर जातीय जनगणना करा लेनी चाहिए। इससे सभी लोगों को लाभ होगा और सरकार को भी पूरी जानकारी मिलेगी कि किस जाति समूह की कितनी जनसंख्या है और उन्हें आगे बढाने के लिए क्या किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री से हमलोगों ने आग्रह किया कि जातीय जनगणना सबके हित के साथ–साथ सरकार के भी हित में है‚ इसलिए इस पर ध्यान दिया जाए।
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