प्रधानमंत्री आवास पर जातीय जनगणना की मांग पर होने वाली बैठक खत्म हो गई है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत बिहार के 10 दलों के 11 बड़े नेताओं ने पीएम मोदी से मुलाकात की. इसके बाद प्रतिनिधिमंडल के नेताओं ने मीडिया से बात की.
नीतीश कुमार ने कहा, “सभी लोगों ने एक साथ जातीय गनगणना की मांग की. पीएम मोदी ने हम सभी की बात ध्यान से सुनी. हमने पीएम से इस पर उचित निर्णय लेने का आग्रह किया. हमने उन्हें बताया कि कैसे जाति जनगणना पर राज्य विधानसभा में दो बार प्रस्ताव पारित किया गया है. पीएम मोदी ने हमारी बात खारिज नहीं की. उम्मीद है कि पीएम हमारी बात पर गौर करेंगे.”
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “जातीय जनगणना से देश को फायदा होगा. मंडल कमीशन से पहले पता ही नहीं था कि देश में कितनी जातियां हैं. मंडल कमीशन के बाद पता चला कि देश में हजारों जातियां हैं. जब जानवरों की गिनती होती है, पेड़ पौधों की गिनती होती है, तो इंसानों की भी होनी चाहिए. कल्याणकारी योजनाओं के लिए जातीय जनगणना आवश्यक है. ये डेलिगेशन जो मिला है, ये सिर्फ बिहार के लिए नहीं है पूरे देश के लिए है. देशहित के मुद्दों पर हम विपक्ष के तौर पर हमेशा सरकार का समर्थन करते आए हैं.”
वहीं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा, ‘हमने प्रधानमंत्री से कहा कि हर हालत में जातिगत जनगणना कराएं, ये ऐतिहासिक निर्णय होगा. उन्होंने बहुत गंभीरता से हमारी बात सुनी है इसलिए हमें लगता है कि जल्दी ही कोई निर्णय होगा. जातीय जनगणना के मुद्दे पर हम सभी एकसाथ हैं. जब कोई भी देश हित का मुद्दा होता है तो हम सरकार के साथ होते हैं.’
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में हुई इस मुलाकात में सीएम के नेतृत्व में 11 सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के नेताओं ने भी पीएम मोदी से मुलाकात की. इसमें बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस नेता अजीत शर्मा, जेडीयू से विजय चौधरी, बीजेपी से जनक राम, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा से जीतन राम मांझी, वीआईपी से मुकेश सहनी, भाकपा माले से महबूब आलम, AIMIM से अख्तरुल इमान, सीपीआई से सूर्यकांत पासवान और सीपीएम से अजय कुमार शामिल रहे.
पीएम से मुलाकात से पहले आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि जातीय जनगणना बिहार के हित में है, इससे प्रदेश का विकास होगा। बिहार की सर्वदलीय टीम में शामिल बीजेपी नेता जनक राम ने पीएम से मुलाक़ात से पहले कहा कि पीएम का फ़ैसला सबको मंज़ूर होगा. वहीं बिहार के पूर्व सीएम और हम पार्टी के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा है हम सकारात्मक रुख से प्रधानमंत्री से मिलने जा रहे हैं. हमे पूरा विश्वास है कि प्रधानमंत्री हमारा सहयोग करेंगे.
दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी की बिहार इकाई दो उपमुख्यमंत्रियों या बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल सहित अपने वरिष्ठ नेताओं को नहीं भेज रही है. नीतीश कुमार सरकार में कैबिनेट मंत्री जनक राम प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी की बिहार इकाई का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर बैठक के लिए चार अगस्त को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की मांग पर पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद देश में जाति आधारित जनगणना की मांग करते रहे हैं.
प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं ये सदस्य
- नीतीश कुमार – मुख्यमंत्री
- तेजस्वी यादव – नेता प्रतिपक्ष, आरजेडी
- विजय कुमार चौधरी – जेडीयू
- जनक राम – बीजेपी
- अजीत शर्मा – कांग्रेस
- महबूब आलम – भाकपा माले
- अख्तरुल ईमान – एआईएमआईएम
- जीतन राम मांझी – हम
- मुकेश सहनी – वीआईपी
- सूर्यकांत पासवान – भाकपा
- अजय कुमार – माकपा
गौरतलब हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर बातचीत के लिए बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी पत्र लिखा था. कई दिनों के बाद जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार के पत्र का जवाब दिया और इसके बाद उन्हें मिलने का समय दिया गया. नीतीश कुमार रविवार की शाम ही दिल्ली पहुंच गए थे. उनके अलावा भी प्रतिनिधिमंडल के बाकी सदस्य दिल्ली पहुंच चुके हैं. अब देखना होगा कि बैठक के बाद आज क्या कुछ निर्णय लिया जाता है.
पिछले कई दिनों से उठ रही जातिगत जनगणना की मांग
जाति जनगणना की मांग पिछले महीने संसद में केंद्र के एक बयान से शुरू हुई थी. जिसमें केवल अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी की गणना का प्रस्ताव किया गया था. बिहार जैसे राज्यों में, जहां मंडल युग से ओबीसी का राजनीति में वर्चस्व रहा है. यहां पिछड़े वर्गों को ध्यान में रखते हुए जातिगत जनगणना की जोरदार मांग हो रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार जातिगत जनगणना कराने की वकालत करते रहे हैं. इसी को लेकर वह प्रधानमंत्री के साथ बैठक में हिस्सा लेने दिल्ली पहुंच गए हैं.
जातिगत जनगणना पर दो दिन पहले नीतीश कुमार ने कहा था कि अभी हम लोग प्रधानमंत्री मोदी से यह मांग करेंगे कि केंद्र सरकार जातिगत जनगणना कराए. केंद्र के द्वारा पूरे देश में जातीय जनगणना नहीं होती है. तब राज्य सरकार के द्वारा बिहार में जातीय जनगणना कराए जाने पर सोचा जाएगा.