उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान एवं हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह (८९) का लंबी बीमारी के बाद शनिवार को लखनऊ में निधन हो गया। राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नायकों में शुमार भाजपा नेता कल्याण सिंह के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद‚ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी‚ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई नेताओं ने शोक जताया है। उत्तर प्रदेश में उनके निधन पर तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है। सोमवार को बुलंदशहर के नरौरा में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। पिछड़े़ लोध समाज से आने वाले सिंह जमीन से जुड़े़ राजनेता थे। कुशल प्रशासक होने के साथ ही विराट व्यक्तित्व के स्वामी थे। प्रदेश के विकास में उन्होंने अमिट योगदान दिया। राम मंदिर आंदोलन का जिक्र उनका नाम लिये बिना अधूरा रहेगा। छह दिसम्बर‚ १९९२ को जब अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाया जा रहा था‚ तो वह मुख्यमंत्री आवास में मौजूद थे। विचलित तो थे‚ लेकिन जैसे ही विवादित ढांचे की आखिरी इट गिरी उन्होंने तत्काल अपना सीएम वाला राइटिंग पैड़ मंगाया और मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा लिख भेजा। आवास से बाहर आए और कहा कि उनकी सरकार राम के नाम पर ही बनी थी और राम मंदिर के लिए ऐसी कई कुर्सियां त्याग सकता हूं। विवादित ढांचा न बचा पाने के लिए उन्हें एक दिन की सजा सुनाई गई। दरअसल‚ उस समय परिस्थितियां ऐसी बन गई थीं कि कारसेवकों की भावनाओं के ज्वार के सामने विवादित ढांचा टिक न सका। हालांकि संविधान की शपथ लेने के बावजूद वह विवादित ढांचे को बचा पाने में विफल रहे। पार्टी कार्यकर्ता उन्हें प्यार से ‘बाबूजी’ कहकर पुकारते थे। उनकी ऐसी ही छवि समाज के उन करोड़़ों वंचितों‚ किसानों‚ युवाओं और महिलाओं के मन–मस्तिष्क में भी अमिट रहेगी‚ जिनके सशक्तिकरण के लिए उन्होंने सतत प्रयास किया। कल्याण सिंह का जन्म ५ जनवरी‚ १९३२ में अलीगढ़ जिले में अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में किसान परिवार में हुआ था। वह बचपन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़़ गए थे। राजनीति में पदार्पण किया तो पिछड़़ों के बड़े़ नेता के रूप में उभरे। अस्सी के दशक में मंड़ल राजनीति के दौर में पिछड़े़ वोट बैंक को भाजपा के पक्ष में करने का श्रेय उन्हें ही जाता है। राम मंदिर आंदोलन से तन्यमता से जुड़े़‚ लेकिन भव्य मंदिर में विराजमान रामलला के दर्शन की उनकी इच्छा अधूरी रह गई।
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से बड़ा ऐलान किया गया है। अयोध्या में राम जन्मभूमि की तरफ जाने वाले मार्ग का नामकरण यूपी की पूर्व सीएम कल्याण सिंह के नाम पर किया जाएगा। प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि अयोध्या में रामजन्मभूमि की तरफ जाने वाली लड़का का नाम कल्याण सिंह के नाम पर रखा जाएगा। इसके अलावा उन्होंने लखनऊ, प्रयागराज, बुलंदशहर और अलीगढ़ में भी एक-एक सड़क का नाम कल्याण सिंह के नाम पर रखने का ऐलान किया।
लगभग तीन दशक पहले अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह एक प्रमुख हिंदू नेता के तौर पर उभरे थे। हालांकि, उस घटना के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। कल्याण सिंह का 21 अगस्ता की शाम लखनऊ के संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में निधन हो गया। वह 89 साल के थे।
कल्याण सिंह अपने लंबे राजनीतिक जीवन में अक्सर सुर्खियों में रहे। मस्जिद विध्वंस मामले में अदालत में लंबी सुनवाई चली। इस बीच वह राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। राजस्थान के राज्यपाल का कार्यकाल पूरा होने के बाद सितंबर 2019 में वह लखनऊ लौटे और फिर से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इस दौरान उन्होंने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के समक्ष मुकदमे का सामना किया और अदालत ने सितंबर 2020 में उनके समेत 31 आरोपियों को बरी कर दिया।
कल्याण सिंह ने दो बार भारतीय जनता पार्टी से नाता भी तोड़ा। पहली बार 1999 में पार्टी नेतृत्व से मतभेद के चलते उन्होंने भाजपा छोड़ी। वर्ष 2004 में उनकी भाजपा में वापसी हुई। इसके बाद 2009 में सिंह ने भाजपा के सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया और आरोप लगाया कि उन्हें भाजपा में अपमानित किया गया। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाकर अपने विरोधी मुलायम सिंह यादव से भी हाथ मिलाने से परहेज नहीं किया।
अलीगढ़ जिले के मढ़ौली ग्राम में तेजपाल सिंह लोधी और सीता देवी के घर पांच जनवरी 1932 को जन्मे कल्याण सिंह ने स्नातक तथा साहित्य रत्न (एलटी) की शिक्षा प्राप्त की और शुरुआती दौर में अपने गृह क्षेत्र में अध्यापक बने। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर कल्याण सिंह ने समाजसेवा के क्षेत्र में कदम रखा और इसके बाद जनसंघ की राजनीति में सक्रिय हो गये। वह पहली बार 1967 में जनसंघ के टिकट पर अलीगढ़ जिले की अतरौली सीट से विधानसभा सदस्य चुने गये और इसके बाद 2002 तक दस बार विधायक बने।
आपातकाल में 20 माह जेल में रहे कल्याण सिंह 1977 में मुख्यमंत्री राम नरेश यादव के नेतृत्व में बनी जनता पार्टी की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने। 1990 के दशक में वह राम मंदिर आंदोलन के नायक के रूप में उभरे और 1991 का विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा गया। पूर्ण बहुमत की भारतीय जनता पार्टी की सरकार में वह जून 1991 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने लेकिन छह दिसंबर 1992 को अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया।
कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली सरकारों में मंत्री रह चुके बालेश्वर त्यागी ने ”जो याद रहा” शीर्षक से एक किताब लिखी है जिसमें उन्होंने कल्याण सिंह की प्रशासनिक दक्षता और दूरदर्शिता से जुड़े कई संस्मरण लिखे हैं। कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए अफसरों को सही काम करने के लिए पूरी छूट दी। बहुजन समाज पार्टी के समर्थन से 21 सितंबर 1997 को कल्याण सिंह ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस बीच 21 अक्टूबर 1997 को बसपा ने कल्याण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। हालांकि, कांग्रेस विधायक नरेश अग्रवाल के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों और मार्कंडेय चंद के नेतृत्व में बसपा विधायकों के दल बदल से बने लोकतांत्रिक कांग्रेस और जनतांत्रिक बहुजन समाज पार्टी के समर्थन से कल्याण सिंह की सरकार बनी रही।
इस बीच, एक दिन के लिए लोकतांत्रिक कांग्रेस के जगदंबिका पाल ने भी मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी लेकिन अदालत ने उन्हें अवैध घोषित कर दिया और कल्याण सिंह 12 नवंबर 1999 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहे। 2004 में कल्याण सिंह भाजपा के टिकट पर बुलंदशहर लोकसभा क्षेत्र से पहली बार लोकसभा सदस्य बने। 2009 में उन्होंने एक बार पुन: भाजपा छोड़ दी और एटा लोकसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के समर्थन से निर्दलीय सांसद चुने गये लेकिन बाद में वह भाजपा में लौट आये।
नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए जब भाजपा नेताओं का एक खेमा लामबंद हो रहा था तो कल्याण सिंह ने मोदी की वकालत की। मोदी के नेतृत्व में 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद कल्याण सिंह को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया। कल्याण सिंह के परिवार में उनकी पत्नी रामवती देवी और एक पुत्र तथा एक पुत्री हैं। उनके पुत्र राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया एटा से भाजपा के सांसद हैं जबकि उनके पौत्र संदीप सिंह उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान-हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का आज बुलंदशहर जिले के नरौरा स्थित राजघाट पर अंतिम संस्कार होगा। उनका पार्थिव देह अलीगढ़ के अहिल्याबाई होल्कर स्टेडियम से अतरौली के लिए निकल चुका है। पूर्व सीएम के अंतिम सफर में एक हजार से ज्यादा गाड़ियों का काफिला शामिल है। अतरौली में करीब दो घंटे तक उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। यहीं पर गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। इसके बाद उनका पार्थिव शरीर नरौरा गंगा घाट पर पहुंचेगा, जहां शाम 5 बजे के करीब उनका अंतिम संस्कार होगा।
सड़कों पर उमड़ी भीड़, अमर रहें के लग रहे नारे
पूर्व सीएम को आखिरी बार देखने और श्रद्धांजलि देने के लिए अलीगढ़ की सड़कों पर लोगों की भीड़ जुट गई है। हजारों की संख्या में लोग स्टेडियम से लेकर अतरौली तक सड़क की दोनों तरफ खड़े हैं। लोग पूर्व सीएम के पार्थिव शरीर पर पुष्प वर्षा कर रहे हैं। चारो तरफ ‘कल्याण सिंह अमर रहें’ के नारे गूंज रहे।
नड्डा ने पूरी की कल्याण की अंतिम इच्छा
पूर्व सीएम कल्याण सिंह की आखिरी इच्छा थी कि जब उनका जीवन समाप्त हो जाए तो उनके शव को BJP के झंडे में लपेटकर ले जाया जाए। उनकी ये अंतिम इच्छा BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पूरी की। रविवार को BJP मुख्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने नड्डा ने कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर पर भाजपा का झंडा रखा।
रविवार की शाम पार्थिव शरीर एयर एंबुलेंस से अलीगढ़ धनीपुर हवाई पट्टी लाया गया था। यहां से पार्थिव शरीर को फूलों से सजे ट्रक में रखकर 13 किलोमीटर दूर अहिल्याबाई होल्कर स्टेडियम लाकर मैदान में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। उमड़ी भीड़ ने जय श्रीराम के नारे लगाए। ‘जब तक सूरज चांद रहेगा बाबू जी का नाम रहेगा’- के नारे भी लगे।
आज सुबह करीब 9 बजे सड़क मार्ग से पार्थिव शरीर अतरौली के रास्ते उनके पैतृक गांव मढ़ौली ले जाया जाएगा, जहां पर कल्याण सिंह का जन्म हुआ था। यहां पर बाबूजी का पैतृक आवास है। कुछ देर के लिए पार्थिव शरीर को गांववालों के अंतिम दर्शन के लिए घर पर रखा जाएगा। यहां से अंतिम यात्रा बुलंदशहर जिले के नरौरा कस्बा स्थित गंगा घाट के लिए रवाना होगी।
तीन दिन का राजकीय शोक, आज सारे स्कूल-कॉलेज, कार्यालय बंद रहेंगे
कल्याण सिंह के निधन पर प्रदेश सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। सोमवार को सार्वजनिक अवकाश का भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया है, यानी आज प्रदेश के सारे सरकारी कार्यालय, स्कूल, कॉलेज बंद रहेंगे। भाजपा के जिला मुख्यालयों पर श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की जाएंगी।
पीएम ने कल्याण सिंह के परिवार से भी मुलाकात की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को लखनऊ स्थित आवास पहुंचकर पूर्व सीएम कल्याण सिंह के अंतिम दर्शन किए। इस दौरान उन्होंने पूर्व सीएम के परिवार से भी मुलाकात की। इसकी तस्वीर प्रधानमंत्री ने रात में सोशल मीडिया पर जारी की।
प्रधानमंत्री ने अंतिम दर्शन के बाद मीडिया को संबोधित किया। बोले, ‘हम सब के लिए ये शोक की घड़ी है। कल्याण सिंह जी के माता-पिता ने उनका नाम कल्याण सिंह रखा था। उन्होंने अपने माता-पिता के दिए नाम को सार्थक किया। वो जीवन भर जनकल्याण के लिए जिए। जनकल्याण को ही अपना मन बनाया। उन्होंने अपना जीवन भारतीय जनता पार्टी, भारतीय जनसंघ और देश के लिए समर्पित कर दिया। कल्याण सिंह भारत के कोने-कोने में एक विश्वास का नाम बन गए थे।’
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘कल्याण सिंह एक प्रतिबद्ध निर्णयकर्ता का नाम बन चुके थे। जीवन का अधिकतम समय उन्होंने जन कल्याण के लिए लगाया। उनको जब भी जो दायित्व मिला। उसे उन्होंने बखूबी निभाया। सरकार, संगठन में जो भी दायित्व मिला, उसे उन्होंने पूरा किया। देश ने एक मूल्यवान शख्सियत खोई है। मैं भगवान प्रभु श्री राम से प्रार्थना करता हूं कि वह उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें। उनके परिवार और समर्थकों को ये दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।’
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (बाबू जी) ने शनिवार रात 9 बजे 89 साल की उम्र में लखनऊ के SGPGI में आखिरी सांस ली। वे 48 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। रविवार को लखनऊ में प्रधानमंत्री मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई बड़ी हस्तियों ने पूर्व सीएम को श्रद्धांजलि दी।