जातीय जनगणना को लेकर CM नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल 23 अगस्त की सुबह 11 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अपना पक्ष रखेगा। बिहार के सभी दलों के प्रतिनिधि इसमें शामिल है। इसमें BJP की तरफ से मंत्री जनक राम को भेजा जा रहा है। जनक राम अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते हैं और वर्तमान में जिस जनगणना की बात केंद्र सरकार कर रही है, उसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति दोनों शामिल है।
ऐसे में जातीय जनगणना कराने के पक्ष में जो प्रतिनिधि मंडल जा रहा है, उसमें जनक राम का जाना BJP के रणनीति का एक बड़ा हिस्सा है। इसको ऐसे समझा जा सकता है कि जनक राम जातीय जनगणना कराने का समर्थन क्यों करेंगे? जबकि पहले से ही तय है कि अनुसूचित जाति जनजाति की जनगणना होगी और उसी समाज से जनक राम आते हैं। तो जनक राम प्रधानमंत्री के सामने जाकर यह क्यों कहेंगे कि जातीय जनगणना कराई जाए। इसमें जनक राम का क्या रोल होगा?
मंशा साफ है, जातीय जनगणना नहीं चाहती BJP
दरअसल, BJP इस जातीय जनगणना को नहीं कराना चाहती है।अगर BJP जातीय जनगणना कराने के पक्ष में होती तो बिहार में पिछड़ा और अति पिछड़ा समुदाय से कई बड़े चेहरे थे। खास तौर पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद पिछड़े समाज से आते हैं। वही, दूसरी उपमुख्यमंत्री रेनू देवी अति पिछड़ा समाज से आती हैं। इन दोनों का जातीय जनगणना कराने पर समर्थन हो सकता था। लेकिन, जनक राम का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में भेजने का फैसला BJP की मंशा को साफ करता है कि वह जातीय जनगणना नहीं कराना चाहती है।
BJP ने स्टैंड क्लियर कर दिया है
BJP ने ये पहली बार संकेत नहीं दिया है, इससे पहले भी लोकसभा के मॉनसून सत्र में जब जातीय जनगणना कराने को लेकर विपक्ष की तरफ से आवाज उठी थी तो, बिहार के पिछड़ा समाज के आने वाले केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय से केंद्र सरकार ने यह घोषणा कराई कि सरकार जातीय जनगणना नहीं कराने जा रही है। जो जनगणना कराई जाएगी, उसमें अनुसूचित जाति जनजाति को शामिल कराया जाएगा बाकी किसी भी कास्ट को इसमें शामिल नहीं कराया जाएगा।
BJP की मंशा उसी समय साफ हो गई थी कि एक पिछड़े नेता से जो बिहार से ताल्लुक रखते हैं, उनसे इस बात की घोषणा कराना कि जातीय जनगणना नहीं कराई जा सकती है। इसका मतलब साफ है कि BJP ने स्टैंड क्लियर कर दिया है। जबकि सबसे ज्यादा जातीय जनगणना कराने की मांग बिहार से उठी है। बिहार के पिछड़े समाज के नेता यह चाहते हैं कि जातीय जनगणना हो। खास तौर पर CM नीतीश कुमार इस जातीय जनगणना कराने को लेकर काफी उत्साहित हैं। इसी को लेकर वह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को लेकर PM नरेंद्र मोदी से मिलने जा रहे हैं।
BJP को सवर्णों का एक बड़ा वोट बैंक समर्थन करता है
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय बताते हैं कि BJP ने अपना स्टैंड शुरू से साफ रखा है कि वह जातीय जनगणना नहीं कराना चाह रही है। इसके पीछे BJP की रणनीति है कि BJP को सवर्णों का एक बड़ा वोट बैंक समर्थन करता है। इसलिए पिछड़ा, अति पिछड़ा काबू जनगणना नहीं कराना चाहती है। नित्यानन्द राय से घोषणा कराने से लेकर PM नरेंद्र मोदी के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में जनक राम को भेजने के पीछे भी यही उद्देश्य है।
रवि उपाध्याय बताते हैं कि जो पिछड़े समाज के नेता है वह यह तर्क दे रहे हैं कि सरकार की योजनाओं का लाभ जातीय जनगणना कराने के बाद हर हर व्यक्ति को मिल पाए, इसलिए यह बेहद जरूरी है। ऐसे में यदि पिछड़ा समाज के नेता हर समाज के लोगों की बेहतरीन चाहते हैं, तो उन्हें आर्थिक आधार पर जनगणना करानी चाहिए। क्योंकि हर जाति में गरीब हैं। सिर्फ पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग में ही गरीबी नहीं है। सवर्णों में भी बड़ा तबका गरीबी की मार झेल रहा है। सरकार को आर्थिक आधार पर जनगणना कराना चाहिए।