लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल में मचा घमासान शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. तेज प्रताप यादव के हमलावर होने के बाद अब पार्टी के बिहार अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने उन्हें जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि लालू यादव राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष हैं और उनके सिवा कोई और उनसे स्पष्टीकरण नहीं मांग सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि यह उनकी पार्टी का अंदरूनी मामला है. जगदानंद सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि छात्र राजद का अध्यक्ष बनाने की जिम्मेदारी उनकी है. बता दें कि छात्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष आकाश यादव को हटा दिया गया है. आकाश को तेज प्रताप का करीबी माना जाता है. इसके अलावा तेज प्रताप यादव पर लगातार सवाल पूछने पर जगदानंद सिंह ने कहा कि हू इज तेज प्रताप.
बिहार आरजेडी अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि मेरे लिए पार्टी सर्वोच्च है. ये तेज प्रताप यादव कौन है. मेरी जिम्मेदारी सिर्फ आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के लिए बनती है. इससे पहले तेज प्रताप यादव के हिटलर बयान पर जगदानंद सिंह ने कहा था कि आरजेडी में हिटलर कोई नहीं हो सकता. हिटलर जैसे शब्द का पार्टी में कोई स्थान नहीं, इसलिए कोई कुछ भी बोले, मैं उस पर ध्यान नहीं देता. उन्होंने कहा कि आरजेडी में संवैधानिक पद पर तीन लोग हैं- लालू प्रसाद यादव, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर मैं.
तेजस्वी यादव ने कही ये बात
लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और बिहार आरजेडी अध्यक्ष के बीच काफी दिनों से खींचतान चल रही है. वहीं, दोनों की नाराजगी पर तेजस्वी यादव ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि सबकी अपनी अपनी राय है. जब मैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू जी हैं, तो फिर कोई दिक्कत नहीं है. सबकुछ जल्दी ठीक हो जाएगा.
आकाश यादव को पद मुक्त करने से तेज प्रताप नाराज
इससे पहले, तेज प्रताप यादव ने छात्र आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष पद से आकाश यादव को हटाने के जगदानंद सिंह के फैसले को हिटलरशादी करार दिया था. तेज प्रताप यादव ने तंज कसते हुए ट्वीट किया था, ‘प्रवासी सलाहकार से सलाह लेने मैं अध्यक्ष जी ये भूल गए की पार्टी संविधान से चलती है और आरजेडी का संविधान कहता है कि बिना नोटिस दिए आप पार्टी के किसी पदाधिकारी को पदमुक्त नहीं कर सकते. आज जो हुआ वो आरजेडी के संविधान के खिलाफ हुआ.’
बता दें कि पिछले दिनों छात्र आरजेडी की बैठक के दौरान तेज प्रताप यादव ने मंच से हिटलर जैसे शब्द का प्रयोग किया था. उन्होंने यहां तक कहा था कि कुर्सी किसी की बपौती नहीं है. इसके बाद से जगदानंद सिंह ने पार्टी कार्यालय से तौबा ही कर ली थी.