मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार द्वारा ओबीसी संशोधन बिल पारित कराये जाने के संबंध में कहा कि पहले से ही राज्यों को यह अधिकार था कि वे ओबीसी के संबंध में निर्णय लेंगे। हमलोगों के राज्य में जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के समय में ईबीसी बना। अति पिछडा वर्ग बना। अलग–अलग राज्यों की अलग–अलग स्थिति है। केंद्र सरकार के निर्णय के बाद फिर से सभी राज्यों को यह अधिकार मिल गया है।उन्होंने कहा कि बिहार में जब वर्ष २००५ में हमलोगों को काम करने का मौका मिला‚ तो हमने कई वैसी जातियां‚ जो पहले पिछडे वर्ग में थीं‚ उनको अति पिछडा वर्ग में शामिल किया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने राज्यों को एक बार फिर से यह अधिकार दिया है। पहले से ही राज्यों को यह अधिकार था। बीच में इस पर रोक लग गयी थी। अब फिर से केंद्र सरकार ने अधिकार दे दिया है‚ इसके लिए हम उन्हें बधाई देते हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मानना है कि समाज में सभी वर्गों के विकास और उत्थान के लिए जातीय जनगणना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इससे किसी का नुकसान नहीं होगा‚ बल्कि सबको फायदा ही होगा। सीएम ने कहा कि राज्य में अपने संसाधन से जाति आधारित जनगणना कराने पर निर्णय लेने से पहले मैं इस संबंध में प्रधानमंत्री से चर्चा के लिए समय मिलने का इंतजार अवश्य करूंगा। सोमवार को ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जातीय जनगणना के संबंध में हमने जो पत्र लिखा था‚ वह उन्हें मिल गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय से उस पत्र का एक्नालेजमेंट भी १३ अगस्त को प्राप्त हो गया है। जब प्रधानमंत्री उचित समझेंगे‚ तो मिलने का समय देंगे। जब प्रधानमंत्री से मिलने का समय मिलेगा‚ तो जायेंगे। प्रधानमंत्री से बातचीत में जो चीजें सामने आयेंगी‚ उसको लेकर आपस में बैठकर सबों से बातचीत की जायेगी। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने पहले भी जातीय जनगणना अपने यहां करायी है। हम चाहते हैं कि जातीय जनगणना हो‚ पर इस संबंध में फैसला अंततः केंद्र सरकार को ही लेना है। उन्होंने कहा कि वर्ष २०११ में केंद्र सरकार ने अलग से जातीय जनगणना करायी थी‚ लेकिन उसकी रिपोर्ट को प्रकाशित नहीं किया गया। जातीय जनगणना को लेकर वे १९९० से ही मैं अपनी बातें रखता रहा हूं। अलग–अलग जातियों की संख्या की एक बार जानकारी हो जाने से उनको आगे बढाने को लेकर बेहतर काम हो सकेगा। जातीय जनगणना होने के बाद आरक्षण की सीमा ५० प्रतिशत से आगे बढाने की मांग उठने की संभावना को लेकर पूछे गये सवाल का पर मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में सभी वर्गों के विकास और उत्थान के लिए जातीय जनगणना जरूरी है।