अन्य पिछड़़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित ‘संविधान (१२७वां संशोधन) विधेयक २०२१’ लोकसभा में ३८५ मतों से पारित हो गया। विधेयक के पक्ष में ३८५ वोट पड़े़‚ विपक्ष में कोई मत नहीं पड़़ा। इससे पहले मंगलवार को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की सीमा ५० प्रतिशत को बढ़ाने की मांग उठी। सरकार ने भी सकारात्मक संकेत दिए हैं। सामाजिक न्याय मंत्री वीरेंद्र सिंह का कहना है कि बदलती परिस्थितियों में इस पर विचार हो सकता है॥। मानसून सत्र के पहले दिन से ही विपक्ष के हंगामे के कारण बाकी विधेयक शोर–शराबे के बीच ही पारित किए गए। लेकिन संविधान संशोधन विधेयक होने के कारण सदन में व्यवस्था की आवश्यकता होती है। ओबीसी से जुड़़ा विधेयक होने के कारण विपक्ष ने शांति से विधेयक पर चर्चा की और मतदान में हिस्सा लिया। विधेयक पर करीब साढ़े पांच घंटे चर्चा हुई। इसके बाद सर्वसम्मति से ओबीसी सूची बनाने का अधिकार राज्यों को देने संबंधी संविधान का १२७वां संशोधन विधेयक पारित कर दिया। विपक्ष के अनेक सदस्यों का आरक्षण की सीमा ५० प्रतिशत से अधिक करने पर सामाजिक अधिकारिता मंत्री बीरेंद्र सिंह मौजूदा समय पर आरक्षण की सीमा बढाने पर विचार किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अनेक बार पिछली सरकारों से जातिगत जनगणना के आंकड़े़ मांगे हैं। चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा‚ कांग्रेस इस विधेयक का समर्थन करती है‚ लेकिन सरकार को सोचना चाहिए कि यह विधेयक क्यों लाना पड़ा। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि २०१८ में संविधान के १०२वें संशोधन के समय विपक्ष ने चेताया था कि उसमें ओबीसी जातियों के चयन के राज्यों के अधिकार का हनन किया जा रहा है लेकिन सरकार ने हमारी बात पर ध्यान नहीं दिया। अगर हमारी बात सुनी गई होती तो इस विधेयक को लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। भाजपा की सहयोगी दल जदयू ने जातिगत जनगणना का समर्थन करते हुए आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग की।
कांग्रेस समेत 15 प्रमुख विपक्षी दलों ने संसद के मानसून सत्र के आखिर पड़ाव पर पहुंचने के साथ ही सोमवार को बैठक कर आगे की रणनीति पर चर्चा की और यह फैसला किया कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीासी) से संबंधित संशोधन विधेयक पर चर्चा में वे भाग लेंगे और इसे पारित कराने में पूरा समर्थन देंगे.
बैठक के बाद राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘‘इस संशोधन विधेयक का हम सभी समर्थन करेंगे. हमारी मांग है कि इस विधेयक को पेश किया जाए और उसी वक्त चर्चा कर उसे पारित किया जाए.’’
उन्होंने कहा, ‘‘दूसरे मुद्दे अपनी जगह हैं, लेकिन यह मुद्दा देशहित में है क्योंकि यह आधी से ज्यादा आबादी से जुड़ा है. हम इसका पूरा समर्थन करेंगे.’’
इस बीच सरकार ने लोकसभा में ओबीसी से संबंधित ‘संविधान (एक सौ सत्ताइसवां संशेधन) विधेयक, 2021’ पेश कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी दल पेगासस जासूसी मामले पर चर्चा की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास करते रहेंगे और महंगाई और किसानों से जुड़े मुद्दों पर सरकार को घेरेंगे.
बैठक में इन नेताओं ने की शिरकत
खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में हुई बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा एवं जयराम रमेश, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव, लोकसभा में द्रमुक के नेता टीआर बालू, शिवसेना नेता संजय राउत और कई अन्य दलों के नेता मौजूद थे.
पेगासस और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर पिछले कई दिनों से संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है. 19 जुलाई से मॉनसून सत्र आरंभ हुआ था. लेकिन, अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है. सत्र का 13 अगस्त को समापन होना है.
विपक्षी दलों का कहना है कि पेगासस जासूसी मुद्दे पर पहले चर्चा कराने के लिए सरकार के तैयार होने के बाद ही संसद में गतिरोध खत्म होगा। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्ष की मांग को खारिज करते हुए शुक्रवार को लोकसभा में कहा था कि यह कोई मुद्दा ही नहीं है.